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President Murmu: राष्ट्रपति मर्मू ने सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से की मुलाकात, इन मुद्दों पर की चर्चा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Tue, 30 Sep 2025 10:56 PM IST
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सार

राष्ट्रपति द्रौपदी मर्मू ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान और थल, वायु, नौसेना प्रमुखों से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। इसके बाद महामहिम ने राष्ट्रपति की अंगरक्षकों को उनके 75 वर्षों की सेवा के लिए डायमंड जुबिली सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर प्रदान किया। इस दौरान अंगरक्षको के प्रतिष्ठित घोड़े ‘वीरात’ को भी सम्मानित किया गया।

President Murmu met with CDS and CHIEF of all three armed forces discussed these issues
राष्ट्रपति मर्मू ने सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से की मुलाकात। - फोटो : X-@rashtrapatibhvn
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विस्तार
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राष्ट्रपति द्रौपदी मर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में मुख्य रक्षा अधिकारी जनरल अनिल चौहान और थल, वायु और नौसेना प्रमुखों से मुलाकात की। राष्ट्रपति कार्यालय ने इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की हैं। यह बैठक भारत की सैन्य नेतृत्व की मजबूती और रणनीतिक संवाद को दर्शाती है।
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राष्ट्रपति मर्मू ने सीडीएस जनरल अनिल चौहान के साथ सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य देश की सुरक्षा, सैन्य तैयारियों और प्रमुख मामलों पर विचार-विमर्श करना बताया गया।
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राष्ट्रपति की अंगरक्षकों का सम्मान
राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति की अंगरक्षकों (पीबीजी) को उनके 75 वर्षों की शानदार सेवा के लिए डायमंड जुबिली सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर प्रदान किया। इस अवसर पर ‘वीरात’,  अंगरक्षक के प्रतिष्ठित अश्व को भी सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति ने समारोह में कहा कि हम सभी अंगरक्षकों की सेवा और परंपराओं पर गर्व महसूस करते हैं।

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पीबीजी का ऐतिहासिक महत्व
राष्ट्रपति की अंगरक्षकों की स्थापना 1773 में गवर्नर-जनरल के अंगरक्षक के रूप में हुई थी, जिसे बाद में वायसरॉय के अंगरक्षक के नाम से जाना गया। 27 जनवरी 1950 को इसे राष्ट्रपति की अंगरक्षकों के रूप में नामित किया गया। यह एकमात्र रेजिमेंट है जिसे दो ‘स्टैंडर्ड’ राष्ट्रपति का स्टैंडर्ड और रेजिमेंटल स्टैंडर्ड धारण करने की अनुमति है।

अद्वितीय संबंध और परंपरा
पीबीजी के कर्मियों और उनके घोड़ों के बीच विशेष संबंध है। रिटायरमेंट के बाद भी ‘वीरात’ को अपनाया गया, जो इस बंधन का प्रतीक है। पीबीजी के कर्मी उत्कृष्ट अश्वारोही, टैंक विशेषज्ञ और पैराट्रूपर्स होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जनवरी, 2022 को गणतंत्र दिवस पर इस घोड़े को प्यार से थपथपाया था।

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चयन प्रक्रिया और वर्तमान संरचना
आज पीबीजी विशेष शारीरिक क्षमताओं वाले हाथ से चुने गए व्यक्तियों का संगठन है। इसकी चयन प्रक्रिया बहुत कठोर होती है। वर्तमान में यह रेजिमेंट समारोहों और राष्ट्रपति के प्रतिनिधित्व के लिए जिम्मेदार है। इसकी पेशेवर उत्कृष्टता और सैन्य परंपराओं का पालन इसे भारतीय सेना में अनूठा बनाता है।


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