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Web Series: वेब सीरीज में ई-सिगरेट के बढ़ावे से किशोरों में बढ़ा नशा, टैंक थिंक चेंज फोरम के अध्ययन में खुलासा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: वीरेंद्र शर्मा Updated Thu, 04 May 2023 05:34 AM IST
सार

विशेषज्ञ सुशांत कालरा ने कहा कि हीरो और हीरोइन टेलीविजन पर नशे को ग्लैमराइज करते दिखाई देते हैं। आज वेब सीरीज का जमाना है और कई सीरीज में इसे खुलकर दिखाया जाता है।

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Promotion of e cigarettes and alcohol in web series and films is increasing intoxication among teenagers
E-CIGARETTE
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विस्तार
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वेब सीरीज, फिल्मों और विज्ञापनों में ई-सिगरेट व अल्कोहल को बढ़ावा देने से किशोरों में नशा बढ़ रहा है। अगले 10 साल में नशे की चपेट में आने वाले 10 से 17 साल के किशोरों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है। यह खुलासा टैंक थिंक चेंज फोरम के अध्ययन ‘आइडियाज फॉर एन एडिक्शन-फ्री इंडिया’ में हुआ है। बुधवार को इस अध्ययन को लेकर देश के नीति निर्माता, मनोविज्ञानियों, समाजशास्त्रियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई। इनका मानना है कि कोरोना महामारी के बाद के हालात को देखते हुए किशोरों में बढ़ती नशे की लत काफी गंभीर मामला है।
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विशेषज्ञ सुशांत कालरा ने कहा कि हीरो और हीरोइन टेलीविजन पर नशे को ग्लैमराइज करते दिखाई देते हैं। आज वेब सीरीज का जमाना है और कई सीरीज में इसे खुलकर दिखाया जाता है। नशे को जिस तरह से यहां बढ़ावा दिया जा रहा है, वह किसी बड़े संकट से कम नहीं है। डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि ई-सिगरेट मूलत: पारंपरिक सिगरेट से एक कदम आगे की बात है। ई-सिगरेट में जो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है। उसका प्रयोग स्टिक या अन्य लिक्विड की तुलना में ज्यादा नशे को डिलीवर करने में हो सकता है।
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अच्छे प्रदर्शन का बढ़ता दबाव व अकेलापन भी वजह
अध्ययन में अच्छे प्रदर्शन के बढ़ते दबाव व अकेलेपन के कारण बच्चों में बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी नशे की लत के महत्वपूर्ण कारण के रूप में चिह्नित किया गया है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरके सूरी ने कहा, सामाजिक दबाव के कारण युवाओं में नशे की लत बढ़ी है। अध्ययन के मुताबिक, कई अंतरराष्ट्रीय ई-सिगरेट कंपनियों दावा कर रही हैं कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और वैपिंग प्रोडक्ट सिगरेट की तुलना में कम खतरनाक हैं। अमेरिका के 16 राज्यों में अध्ययन में पता चला कि तीन हजार से ज्यादा लोग फेफड़ों के कैंसर की चपेट में थे।

दावों का प्रमाण नहीं कार्रवाई की जरूरत  
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. केके हांडा ने कहा, अंतरराष्ट्रीय तंबाकू उद्योग ई-सिगरेट को धूम्रपान के विकल्प के रूप में पेश कर रहा है। यह उद्योग इस तरह से मार्केटिंग करता है कि ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट का विकल्प बन सकता है, जबकि ऐसा कोई चिकित्सकीय प्रमाण नहीं है। डॉ. विकास मित्तल ने कहा कि भारत में वैपिंग और ई-सिगरेट पर प्रतिबंध है, लेकिन अवैध बाजार में ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों ही तरीके से इसकी बिक्री हो रही है। इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
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