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Puja Khedkar: '12 बार दी गई यूपीएससी की परीक्षा में से सात पर न करें विचार', पूजा खेडकर का हाईकोर्ट से अनुरोध

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: काव्या मिश्रा Updated Fri, 30 Aug 2024 02:13 PM IST
सार

पूजा खेडकर ने शुक्रवार सुबह अदालत में दायर एक हलफनामे में अनुरोध किया कि सामान्य श्रेणी की छात्रा के रूप में उनके सात प्रयासों को नजर अंदाज किया जाए। यदि इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो पुष्टि किए गए प्रयासों की संख्या घटकर पांच हो जाएगी।

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Puja Khedkar To Court, Took Exam 12 Times, But Don't Consider 7 Of Those
आईएएस पूजा खेडकर - फोटो : एक्स/अन्य
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विस्तार
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पूर्व आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर ने अब दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में उन्होंने अनुरोध किया है कि सिर्फ दिव्यांग श्रेणी में दी जाने वाली उनकी परीक्षा को ही उचित माना जाए। दरअसल, पूजा खेडकर ने यूपीएससी की प्रवेश परीक्षा 12 बार दी थी। इसलिए वह अदालत से अपील कर रही हैं कि उनकी दिव्यांग श्रेणी वाली परीक्षा को ही उचित माना जाए। इसके अलावा पूजा ने यह भी दावा किया है कि उनका नाम और सरनेम नहीं बदला गया है। 

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 12 प्रयासों में से सात को नजरअंदाज करें
खेडकर ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा पास करने के उनके 12 प्रयासों में से सात को नजरअंदाज करें। खेडकर ने विशेष रूप से शारीरिक अक्षमता के दावों पर जोर दिया कि उनके पास महाराष्ट्र के एक अस्पताल का प्रमाण पत्र है, जिसमें उनके बाएं घुटने में अस्थिरता के साथ पुरानी एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) का इलाज किया गया है। इसलिए उन्होंने कहा कि केवल 'दिव्यांग' श्रेणी में किए गए प्रयासों को ही गिना जाना चाहिए।
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उन्होंने सरकार के 40 प्रतिशत मानक के मुकाबले 47 प्रतिशत दिव्यांगता का दावा किया है। 

यह दिया तर्क
पूजा खेडकर ने शुक्रवार सुबह अदालत में दायर एक हलफनामे में अनुरोध किया कि सामान्य श्रेणी की छात्रा के रूप में उनके सात प्रयासों को नजर अंदाज किया जाए। यदि इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो पुष्टि किए गए प्रयासों की संख्या घटकर पांच हो जाएगी (जिनमें से हर किसी में वह पास हुई)। यह दिव्यांगों के लिए ऊपरी सीमा से चार कम है और सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए दी गई ऊपरी सीमा से एक कम है।

नाम और सरनेम बदलने का भी आरोप
बता दें, खेडकर उस वक्त चर्चाओं में आ गई थीं, जब उन पर शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता के बारे में झूठ बोलने और परीक्षा पास करने के लिए अपना नाम और सरनेम बदलने के साथ-साथ ओबीसी प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगा था। इस पूरे मामले का खुलासा जून में हुआ था। दिल्ली हाईकोर्ट खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जो जालसाजी और धोखाधड़ी सहित आपराधिक आरोपों का सामना कर रही हैं। शहर की एक अदालत ने एक अगस्त को उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

पांच सितंबर तक नहीं किया जाएगा गिरफ्तार
कुछ दिनों बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पुलिस से भी उसकी याचिका पर नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा गया - उसे अंतिम फैसला आने तक गिरफ्तार न करने को कहा गया। यह सुरक्षा गुरुवार तक लागू रहेगी।

मेरा सिर्फ बीच का नाम बदला गया: खेडकर
दूसरी ओर, यूपीएससी ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि खेडकर ने धोखाधड़ी की है। इस बीच, खेडकर ने यूपीएससी के उस दावे को भी खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 12 प्रयासों में से एक के लिए अपना नाम और सरनेम बदल लिया था। उन्होंने दावा किया कि सिर्फ उनके बीच का नाम बदला गया है और इसलिए इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है कि मेरे नाम में बड़ा बदलाव हुआ है। उन्होंने कहा, 'यूपीएससी ने बायोमेट्रिक डेटा के जरिए मेरी पहचान सत्यापित की। मुझे मेरे दस्तावेज फर्जी या गलत नहीं लगे।'

उन्होंने यह भी दावा किया है कि यूपीएससी ने उनका चयन रद्द कर दिया है, उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि उन्हें पहले ही एक परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में चुना और नियुक्त किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि केवल केंद्र सरकार, विशेष रूप से कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ही कार्रवाई कर सकता है। 

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