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मराठा आरक्षण पर गरमाई सियासत: भाजपा शरद पवार पर हमलावर, सुप्रिया सुले को आंदोलनकारियों का विरोध झेलना पड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 31 Aug 2025 05:56 PM IST
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सार
भाजपा नेताओं का कहना है कि जब पवार सत्ता में थे तब उनके पास मौका था कि वे मराठों को आरक्षण दिलवा सकते थे। लेकिन उन्होंने उस समय कुछ नहीं किया। प्रवीण डेरेकर ने यहां तक कहा कि 'सुप्रिया सुले के पास संवैधानिक शक्ति नहीं है, फिर भी वे लोगों से मिलने गईं। शायद इसी नाराजगी की वजह से कुछ युवाओं ने आजाद मैदान में उनका विरोध किया।'

शरद पवार पर भाजपा हमलावर
- फोटो : ANI
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विस्तार
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा फिर गरमा गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे की तीखी आलोचना के बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को एनसीपी (शरद पवार गुट) प्रमुख शरद पवार को निशाने पर लिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि जब पवार सत्ता में थे तब उन्होंने मराठा समाज के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे पहले शनिवार को शरद पवार ने कहा था कि आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने 52 प्रतिशत की सीमा तय की है और इसे बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन जरूरी है। उनके इसी बयान के बाद भाजपा ने उन पर हमला बोला।
यह भी पढ़ें - Maratha Quota: मराठा आरक्षण पर राजनीति तेज, नितेश राणे बोले- EWS में मिले हक; ओबीसी में शामिल करना संभव नहीं
सुप्रिया सुले को प्रदर्शनकारियों का विरोध
पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में मनोज जरांगे के आंदोलन स्थल पर पहुंचीं। वहां उनका सामना गुस्साए मराठा प्रदर्शनकारियों से हुआ। प्रदर्शनकारियों ने उनकी गाड़ी को रोका और शरद पवार के खिलाफ नारे लगाए। भाजपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रवीण डेरेकर ने कहा कि कई मराठा युवा शरद पवार के रुख से नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पवार लंबे समय तक राज्य और केंद्र सरकारों का हिस्सा रहे, लेकिन कभी मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिलाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
भाजपा नेताओं के तीखे सवाल
भाजपा नेता और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी पवार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और एक दशक तक केंद्रीय मंत्री भी रहे। लेकिन उन्होंने कभी मराठा आरक्षण के लिए पहल क्यों नहीं की? अब वे संविधान संशोधन की बात कर रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि जब मंडल आयोग बना या जब वे सत्ता में थे तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया?' पाटिल इस समय राज्य मंत्रिमंडल की उस उप-समिति के प्रमुख हैं जो मराठा समाज की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति तथा आरक्षण की मांग से जुड़े मामलों की समीक्षा कर रही है।
यह भी पढ़ें - Maratha Quota Row: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन तेज; जरांगे बोले- मांग पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे
शरद पवार का पक्ष
शनिवार को शरद पवार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कुल आरक्षण पर 52% की सीमा तय की है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि तमिलनाडु में 72% आरक्षण को अदालत ने मंजूरी दी थी। इसलिए जरूरी है कि संसद में संवैधानिक संशोधन कर इस सीमा को बढ़ाया जाए। उन्होंने बताया कि इस विषय पर वे अन्य सांसदों से चर्चा कर रहे हैं।
क्या है मनोज जरांगे की मांग?
मनोज जरांगे मराठों के 'कुनबी' यानी कृषक जाति की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, यह मांग अन्य पिछड़े वर्ग के संगठनों की तरफ से कड़ा विरोध झेल रही है।

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सुप्रिया सुले को प्रदर्शनकारियों का विरोध
पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में मनोज जरांगे के आंदोलन स्थल पर पहुंचीं। वहां उनका सामना गुस्साए मराठा प्रदर्शनकारियों से हुआ। प्रदर्शनकारियों ने उनकी गाड़ी को रोका और शरद पवार के खिलाफ नारे लगाए। भाजपा के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रवीण डेरेकर ने कहा कि कई मराठा युवा शरद पवार के रुख से नाराज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पवार लंबे समय तक राज्य और केंद्र सरकारों का हिस्सा रहे, लेकिन कभी मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण दिलाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
VIDEO | Mumbai: NCP (SP) leader Supriya Sule meets Maratha activist Manoj Jarange Patil; demands an all-party meeting and a special session of the Maharashtra legislature to discuss the Maratha quota issue. She says, “From the very first day, I have been demanding that this issue… pic.twitter.com/R6tHdMJZ81
— Press Trust of India (@PTI_News) August 31, 2025
भाजपा नेताओं के तीखे सवाल
भाजपा नेता और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी पवार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और एक दशक तक केंद्रीय मंत्री भी रहे। लेकिन उन्होंने कभी मराठा आरक्षण के लिए पहल क्यों नहीं की? अब वे संविधान संशोधन की बात कर रहे हैं, तो यह सवाल उठता है कि जब मंडल आयोग बना या जब वे सत्ता में थे तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया?' पाटिल इस समय राज्य मंत्रिमंडल की उस उप-समिति के प्रमुख हैं जो मराठा समाज की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति तथा आरक्षण की मांग से जुड़े मामलों की समीक्षा कर रही है।
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शरद पवार का पक्ष
शनिवार को शरद पवार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने कुल आरक्षण पर 52% की सीमा तय की है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि तमिलनाडु में 72% आरक्षण को अदालत ने मंजूरी दी थी। इसलिए जरूरी है कि संसद में संवैधानिक संशोधन कर इस सीमा को बढ़ाया जाए। उन्होंने बताया कि इस विषय पर वे अन्य सांसदों से चर्चा कर रहे हैं।
क्या है मनोज जरांगे की मांग?
मनोज जरांगे मराठों के 'कुनबी' यानी कृषक जाति की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, यह मांग अन्य पिछड़े वर्ग के संगठनों की तरफ से कड़ा विरोध झेल रही है।