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Rahul Hydrogen Bomb: 'हाइड्रोजन बम' नहीं गिरा, क्या 'वैज्ञानिक' फेल? बिहार में 'वोट चोरी' दांव का कितना असर?

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 18 Sep 2025 04:19 PM IST
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सार

चुनाव आयोग पर लगातार हमले कर रही कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने फिलहाल अपना तथाकथित 'हाइड्रोजन बम' नहीं गिराया है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या 'वैज्ञानिक' फेल हो गए? बिहार में विपक्षी दलों की तरफ से खेला गया 'वोट चोरी' का दांव कितना असरदार हो सकता है? बिहार के सियासी चौसर पर बिछाई जा रही बिसात के मायने क्या हैं? जानिए इस रिपोर्ट में

Rahul Gandhi Hydrogen Bomb Claim Did Congress and scientists fail how effective vote theft tactic in Bihar
राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग के जवाब - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राहुल गांधी का 'हाइड्रोजन बम' आज भी नहीं गिरा। पहले इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (17 सितंबर) पर वोटों की धोखाधड़ी पर बड़ा खुलासा कर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को मुश्किल में डाल सकते हैं, लेकिन पीएम के जन्मदिन पर कांग्रेस नेता ने ऐसा कोई खुलासा नहीं किया। इसके दूसरे दिन गुरुवार को राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस अवश्य की, लेकिन उन्होंने स्वयं बता दिया कि यह 'हाइड्रोजन बम' नहीं है। यानी बड़े खुलासे के लिए अभी और इंतजार करना होगा। 

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भाजपा ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा है कि 'हाइड्रोजन बम' का वैज्ञानिक फेल हो गया है। पार्टी के अनुसार पहले राहुल गांधी चुनावों में लगातार असफल हो रहे थे, अब वे वोटों की धोखाधड़ी के कथित खुलासे पर लगातार फेल हो रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता एसएन सिंह ने अमर उजाला से कहा कि राहुल गांधी वोट चोरी का आरोप लगाकर केवल सनसनी पैदा कर सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं, लेकिन असलियत में 'वोट चोरी' के नाम पर असलियत में कहने के लिए उनके पास कुछ नहीं है। यही कारण है कि पिछली बार घंटे भर अपनी बात कहने वाले राहुल गांधी ने इस बार 15-20 मिनट में ही अपनी प्रेस वार्ता खत्म कर दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की झूठ की दुकान बुरी तरह असफल हो गई है। 
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क्या बिहार में चलेगा वोट चोरी का मुद्दा 
कांग्रेस नेता की यह पूरी कोशिश बिहार में वोट चोरी को एक मुद्दा बनाने की है। कांग्रेस समर्थक मानते हैं कि राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा के बाद राज्य में वोट चोरी को लेकर चर्चा तेज है और इससे माहौल बदल सकता है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि बिहार राजनीति के लिहाज से बहुत सतर्क राज्य है। यहां का मतदाता अपने वोट के अधिकार को लेकर बहुत जागरूक है। यदि किसी वैध मतदाता का वोट कटता तो इससे बवाल खड़ा हो जाता। लोग सड़कों पर उतर जाते।

'जनता का बड़ा विरोध अब तक सामने नहीं आया'
धीरेंद्र कुमार ने कहा कि, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर आम लोगों की तरफ से कोई बड़ा आंदोलन या हंगामा करने की बात पूरे बिहार में कहीं से नहीं आई है। ऐसे में यह मुद्दा लोगों के बीच एक बड़ा विमर्श खड़ा कर रहा है, उन्हें ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा कि वोट चोरी के मुद्दे पर वही मतदाता विरोध खड़ा करता जिनके नाम वोटर लिस्ट से काटे जाते। 

ये भी पढ़ें- Rahul Gandhi vs EC: 'ज्ञानेश कुमार वोट चोरों को बचा रहे, सबूतों पर कोई भ्रम नहीं', राहुल का सीईसी पर बड़ा आरोप

लेकिन वैध मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से नहीं काटे गए हैं, यही कारण है कि इस मुद्दे पर विपक्ष कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं कर पाया। कुछ मतदाताओं के नाम गलती से काटे या जोड़े गए हैं, ऐसे लोगों और राजनीतिक दलों की शिकायत पर इनका लगातार निवारण भी कर दिया जा रहा है। यही कारण है कि वोट चोरी बिहार में अब तक बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है।

राहुल गांधी ने क्या आरोप लगाए
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में चुनाव आयोग पर वोटों की कथित धोखाधड़ी करने वालों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के आलंद में 6018 से अधिक वोट काटे गए, लेकिन स्थानीय लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। कांग्रेस के मजबूत इलाकों से मतदाताओं के नाम राज्य के बाहर से मोबाइल नंबर और तकनीकी का इस्तेमाल करके किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग से कई बार इन नंबरों को डिलीट करने वालों के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई।

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चुनाव आयोग ने दिए थे इस तरह के जवाब
राहुल गांधी ने इस बार भी कुछ मतदाताओं के पते के नाम पर कुछ अस्पष्ट शब्द लिखने का आरोप लगाया। पिछली बार उन्होंने कहा था कि कई मतदाताओं के पते के नाम पर केवल शून्य दर्ज किया गया है। राहुल गांधी ने इसे एक फ्रॉड बताया था, लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि जिन मतदाताओं के पास स्थाई आवास नहीं होते, वे सड़कों पर रहते हैं या रैन बसेरों में निवास करते हैं, उनके आवास के पते के रूप में शून्य दर्ज किया जाता है। माना जा रहा है कि इस बार भी इसी तरह चुनाव आयोग कुछ मुद्दों पर गलतफहमी दूर कर सकता है।

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