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रायसीना डायलॉग: 'आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण की ताकतें एक मंच पर, हमें निश्चितता का अहंकार छोड़ने की जरूरत'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शुभम कुमार
Updated Tue, 18 Mar 2025 03:50 AM IST
सार
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने रायसीना वार्ता को वैश्विक चर्चाओं का चौराहा बताया। उन्होंने कहा कि रायसीना डायलॉग एक चौराहे की तरह है जो मुक्त प्रवाह वाली बहुआयामी चर्चाओं के लिए मंच प्रदान करता है। मिसरी ने एक ऐसी दुनिया का भी चित्रण किया जिसमें आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण की ताकतें एक साथ मौजूद हैं।
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विक्रम मिसरी, विदेश सचिव
- फोटो : ANI
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विस्तार
17 मार्च से लेकर 19 मार्च तक भारत में चल रहे रायसीना डायलॉग के मंच पर सोमवार को दुनियाभर के नेताओं ने भू-राजनीति और वैश्विक मुद्दों पर मंथन किया। इसी बीच विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने रायसीना वार्ता के खासियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रायसीना डायलॉग एक चौराहे की तरह है जो मुक्त प्रवाह वाली बहुआयामी चर्चाओं के लिए मंच प्रदान करता है। बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में इसने क्षेत्रीय संघर्षों और पर्यावरण संबंधी संकटों जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर विकसित होते विमर्श को आकार दिया है।
रयसीना डॉयलॉग की खासियत पर जोर
रायसीना डायलॉग के एक सत्र को संबोधित करते हुए मिसरी ने एक ऐसी दुनिया का भी चित्रण किया जिसमें आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण की ताकतें एक साथ मौजूद हैं। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा कि हम अक्सर कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। इसी बिंदु पर हम कालचक्र को याद करते हैं।
ये भी पढ़ें:- रायसीना डायलॉग: आज पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन, दुनिया भर के नेता भू-राजनीति और वैश्विक मुद्दों पर करेंगे मंथन
उन्होंने कहा कि हमें निश्चितता के अहंकार को छोड़ने की आवश्यकता है, क्योंकि हम अपने लोगों की स्थिति, हमारे ग्रह की स्थिति और इस विश्व में शांति की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए मिल रहे हैं। मिसरी ने कहा कि रायसीना डायलॉग 2016 में शुरू हुआ था और आज इसके दसवें संस्करण में इसके आयोजन और प्रतिभागियों का स्तर बढ़ गया है।
मिसरी ने 'इतिहास के चाप' का किया जिक्र
मिसरी ने अपने संबोधन में बात को स्पष्ट करते हुए "इतिहास के चाप" के रूपक का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि हम अक्सर इतिहास के चाप की दिशा में बदलाव की बात करते हैं, लेकिन यह बिना किसी चेतावनी के फिर से पहले वाली दिशा में लौट सकता है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि हमें अपने विचारों में निश्चितता के अहंकार को त्यागने की जरूरत है, ताकि हम अपने लोगों और ग्रह की स्थिति और इस दुनिया में शांति की संभावनाओं पर बेहतर चर्चा कर सकें।
साथ ही उन्होंने कहा कि रायसीना डायलॉग न केवल अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं के साथ तालमेल बनाए रखता है, बल्कि इसने समय के प्रमुख मुद्दों पर विकसित हो रहे विचारों को भी आकार दिया है। इन मुद्दों में क्षेत्रीय संघर्ष, सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव, व्यापार और प्रौद्योगिकी व्यवधान, आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन, पर्यावरण संकट और स्थिरता के मुद्दे शामिल हैं। मिसरी ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में नियमों की लगातार चुनौती दी जा रही है, जिससे वैश्विक संदर्भ में बहुत कुछ बदल रहा है।
ये भी पढ़ें:- African Envoy Expulsion: US से राजदूत को निकाले जाने पर बोले राष्ट्रपति रामफोसा, यह कार्रवाई संबंधों में बाधा
रायसीना डयलॉग पर एक नजर..
बता दें कि रायसीना डायलॉग का पहला संस्करण 2016 में हुआ था, और अब, इस वार्ता का दसवां संस्करण आयोजित किया जा रहा है। इस बार, रायसीना डायलॉग में 131 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जबकि पहले संस्करण में 35 देशों से प्रतिनिधित्व था। मिसरी ने कहा कि इस आयोजन का दायरा और इसका प्रभाव अब काफी बढ़ चुका है, और यह वैश्विक मुद्दों पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
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रयसीना डॉयलॉग की खासियत पर जोर
रायसीना डायलॉग के एक सत्र को संबोधित करते हुए मिसरी ने एक ऐसी दुनिया का भी चित्रण किया जिसमें आर्थिक राष्ट्रवाद और वैश्वीकरण की ताकतें एक साथ मौजूद हैं। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने कहा कि हम अक्सर कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता है। इसी बिंदु पर हम कालचक्र को याद करते हैं।
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उन्होंने कहा कि हमें निश्चितता के अहंकार को छोड़ने की आवश्यकता है, क्योंकि हम अपने लोगों की स्थिति, हमारे ग्रह की स्थिति और इस विश्व में शांति की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए मिल रहे हैं। मिसरी ने कहा कि रायसीना डायलॉग 2016 में शुरू हुआ था और आज इसके दसवें संस्करण में इसके आयोजन और प्रतिभागियों का स्तर बढ़ गया है।
मिसरी ने 'इतिहास के चाप' का किया जिक्र
मिसरी ने अपने संबोधन में बात को स्पष्ट करते हुए "इतिहास के चाप" के रूपक का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि हम अक्सर इतिहास के चाप की दिशा में बदलाव की बात करते हैं, लेकिन यह बिना किसी चेतावनी के फिर से पहले वाली दिशा में लौट सकता है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि हमें अपने विचारों में निश्चितता के अहंकार को त्यागने की जरूरत है, ताकि हम अपने लोगों और ग्रह की स्थिति और इस दुनिया में शांति की संभावनाओं पर बेहतर चर्चा कर सकें।
साथ ही उन्होंने कहा कि रायसीना डायलॉग न केवल अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं के साथ तालमेल बनाए रखता है, बल्कि इसने समय के प्रमुख मुद्दों पर विकसित हो रहे विचारों को भी आकार दिया है। इन मुद्दों में क्षेत्रीय संघर्ष, सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव, व्यापार और प्रौद्योगिकी व्यवधान, आपूर्ति श्रृंखला की लचीलापन, पर्यावरण संकट और स्थिरता के मुद्दे शामिल हैं। मिसरी ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में नियमों की लगातार चुनौती दी जा रही है, जिससे वैश्विक संदर्भ में बहुत कुछ बदल रहा है।
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रायसीना डयलॉग पर एक नजर..
बता दें कि रायसीना डायलॉग का पहला संस्करण 2016 में हुआ था, और अब, इस वार्ता का दसवां संस्करण आयोजित किया जा रहा है। इस बार, रायसीना डायलॉग में 131 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जबकि पहले संस्करण में 35 देशों से प्रतिनिधित्व था। मिसरी ने कहा कि इस आयोजन का दायरा और इसका प्रभाव अब काफी बढ़ चुका है, और यह वैश्विक मुद्दों पर विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है।
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