Ram Sutar Death: राष्ट्रपति-पीएम ने जताया दुख, असम के CM बोले- कला जगत की अपूरणीय क्षति; फडणवीस ने कही ये बात
प्रख्यात मूर्तिकार और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम वनजी सुतार का बुधवार को 100 वर्ष में निधन हो गया है। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने दुख जताया।
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प्रख्यात मूर्तिकार और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार राम वनजी सुतार का बुधवार को 100 वर्ष में निधन हो गया है। वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने दुख जताया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उनके असाधारण योगदान ने भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।राष्ट्रपति ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पद्म भूषण से सम्मानित और प्रख्यात मूर्तिकार श्री राम सुतार जी के निधन से व्यथित हूं, जिनके असाधारण योगदान ने भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।” उन्होंने कहा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सहित उनकी स्मारकीय कृतियां भारत की विरासत के महान प्रतीक हैं। उनकी कला कलाकारों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।”
उनकी कलाकृतियां भारत के इतिहास, संस्कृति की झलक मिलती थी - पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, "श्री राम सुतार जी के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनकी अनूठी मूर्तियों के माध्यम से भारत को कई प्रतिष्ठित स्मारक मिले हैं, जिनमें केवडिया स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक विशेष रूप से उल्लेखनीय प्रतीकात्मक कृति है। उनकी कलाकृतियां भारत के इतिहास, संस्कृति और सामूहिक चेतना को जीवंत रूप से दर्शाती हैं। राष्ट्रीय गौरव को शाश्वत स्वरूप देकर उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य विरासत का निर्माण किया है। उनकी रचनाएं कलाकारों और नागरिकों को सदा प्रेरित करती रहेंगी। मैं उनके परिवार, प्रशंसकों और उनके महान जीवन कार्यों से प्रभावित सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ओम शांति।
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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शोक व्यक्त किया
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को मूर्तिकार राम सुतार के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश ने एक उत्कृष्ट कलाकार को खो दिया है।आगे सरमा ने बताया कि सुतार ने जोरहाट में लाचित बरफुकन की भव्य प्रतिमा और गुवाहाटी में जल्द ही अनावरण होने वाली गोपीनाथ बरदोलोई की प्रतिमा का निर्माण किया था। मुख्यमंत्री ने एक्स पोस्ट में कहा, "दो अलग-अलग युगों के असम के नायकों की प्रतिमाओं में जान डालने में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी उनके व्यापक कार्य और असाधारण शिल्प कौशल को दर्शाती है।"
देवेंद्र फडणवीस, अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने भी शोक व्यक्त किया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को दिग्गज मूर्तिकार और राम सुतार को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनके कार्यों ने भारतीय मूर्तिकला को वैश्विक पहचान दिलाई। अपने शोक संदेश में, फडणवीस ने कहा कि सुतार के निधन से मूर्तिकला के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया है।मुख्यमंत्री ने याद किया कि उन्होंने हाल ही में सुतार को महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार प्रदान करने के लिए नई दिल्ली स्थित उनके आवास का दौरा किया था, और सम्मान स्वीकार करते समय जब शत वर्षीय कलाकार ने "महाराष्ट्र माझा" गीत की पंक्तियां सुनाईं तो वह अत्यंत भावुक हो गए थे।
फडणवीस ने बताया कि वे मुंबई के इंदु मिल में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक से संबंधित कार्यों में भी शामिल थे। फडणवीस ने कहा कि सुतार की कला पीढ़ियों तक अमर रहेगी और उनकी मूर्तियों को हर बार देखने पर उनकी स्मृति ताजा हो जाएगी। उन्होंने मूर्तिकार के पुत्र अनिल सुतार से फोन पर बात कर शोक व्यक्त किया और कहा कि राज्य सरकार इस दुख के घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है।
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सुतार मूर्तिकला जगत के कोहिनूर थे - शिंदे
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुतार के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भारतीय मूर्तिकला के एक गौरवशाली युग का अंत बताया। सुतार को "मूर्तिकला जगत का कोहिनूर" बताते हुए शिंदे ने कहा कि इस दिग्गज कलाकार ने अपनी स्मारकीय कृतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और महान नेताओं के विचारों को वैश्विक मंच पर पहुंचाया।
राम सुतार मूर्तिकला का भीष्मचार्य - अजीत पवार
अजीत पवार ने सुतार के निधन को भारतीय मूर्तिकला के स्वर्ण युग का अंत बताया। उन्होंने राम सुतार को "मूर्तिकला का भीष्मचार्य" कहा, जिनका इस क्षेत्र में योगदान अतुलनीय रहेगा। पवार ने कहा, "देश ने एक ऐसे प्रतिभाशाली मूर्तिकार को खो दिया है, जिन्होंने भारतीय स्मारक कला को वैश्विक पहचान दिलाई।"
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