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रिकरिंग ड्रीम्स: बार-बार एक जैसा सपना दर्शाता है जीवन में अनसुलझा संघर्ष
अमर उजाला रिसर्च टीम, नई दिल्ली
Published by: Kuldeep Singh
Updated Sat, 21 Aug 2021 06:38 AM IST
सार
- मनोविज्ञान के अनुसार, बार-बार एक जैसे सपने आना व्यक्ति के जीवन में दर्शाता है अनसुलझे संघर्ष या विवाद
- रिकरिंग ड्रीम्स आमतौर लंबे समय बाद या तनाव की स्थिति में आते हैं
- अधिकांश रिकरिंग ड्रीम्स नकारात्मक होते हैं, जिनमें होता है भय
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sleep dream- सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : pixa
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विस्तार
अगर आपको भी अकसर परीक्षा में फेल होने, ट्रेन छूटने, दांत टूटने, आपदा में फंसने, पीछा किए जाने या सार्वजनिक जगहों पर बिना वस्त्रों के होने जैसे सपने बार-बार आते हैं, तो ऐसा अनुभव करने वाले आप अकेले नहीं हैं। दुनिया में दो तिहाई लोग ऐसे हैं, जो नींद में ‘रिकरिंग ड्रीम्स’ की इस स्थिति से गुजरते हैं।
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परीक्षा में फेल होने, ट्रेन छूटने, दांत टूटने, आपदा में फंसने और पीछा करने जैस शामिल
सपनों व मनोविज्ञान का अध्ययन करने वालों का कहना है, ऐसे सपनों में न सिर्फ एक जैसी थीम बल्कि कहानी भी हूबहू होती है। बार-बार एक जैसे सपने आना व्यक्ति के जीवन में अनसुलझे संघर्ष या विवाद दर्शाता है। वैसे, रिकरिंग ड्रीम्स आमतौर लंबे समय बाद या तनाव की स्थिति में आते हैं।
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सपनों की थीम भी एक जैसी
हालांकि, इन सपनों की स्थिति, वस्तुएं और इनमें शामिल लोग हरेक के लिए अलग-अलग होते हैं। लेकिन समान संस्कृतियों वाले लोगों में सपनों की थीम एक जैसी हो सकती है। जानकारों के मुताबिक, सपने में पीछा किया जाना, गिरना या परीक्षा में बिना तैयारी और देरी से पहुंचने जैसे परिदृश्य काफी प्रचलित हैं।
ज्यादातर होते हैं नकारात्मक
वैसे, अधिकांश रिकरिंग ड्रीम्स नकारात्मक होते हैं, जिनमें भय, दुख, गुस्सा और अपराधबोध होता है। ऐसे आधे से ज्यादा सपनों में सपने देखने वाला किसी न किसी खतरे में फंसा होता है। लेकिन इनमें से कुछ सपने सकारात्मक भी हो सकते हैं। मसलन, नया मकान या किसी विशेष स्थान की यात्रा आदि। मनोवैज्ञानिकों का कहना है, कुछेक मामलों में तो बचपन में शुरू हुए रिकरिंग ड्रीम्स वयस्क होने के बाद तक भी मौजूद रहते हैं।
बनाते हैं तनावपूर्ण घटनाओं के अनुकूल
सवाल है कि हमारा मस्तिष्क बार-बार एक ही सपना क्यों दिखाता है। अध्ययन बताते हैं कि सपने आमतौर पर हमारी भावनाओं को नियंत्रित करने और तनावपूर्ण घटनाओं के अनुकूल होने में मदद करते हैं। सपनों में भावनात्मक पहलुओं का समावेश होने से सपने देखने वाला दर्दभरी या मुश्किल स्थिति से गुजरने का अनुभव करता है। कुछ अध्ययनों में इन सपनों का ताल्लुक सपने देखने वाले की कमजोर मनोस्थिति और अवसाद व घबराहट से भी देखने को मिला है।
मनोस्थिति में सुधार का तरीका
अमेरिकी शोधकर्ता और मनोविज्ञानी विलियम डोमहॉफ कहते हैं, इस तरह के सपने कई स्तरों पर भावनात्मक चिंताओं का समाधान की कोशिश करते हैं। इन सपनों के दोहराव में किसी गहन चिंता का कम होते जाना इस बात का संकेत है कि सपने देखने वाले की मनोवैज्ञानिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
थैरेपी की जा रही विकसित
जानकारों का कहना है कि इन सपनों में दोहराव वाले तत्वों पर गौर करने से भी हमारी पीड़ाओं को समझने और उन्हें हल करने का रास्ता मिल सकता है। हालांकि, ऐसे सपनों में बार-बार एक जैसे बुरे अनुभव से दूर रहने के लिए आजकल थैरेपी भी विकसित की जा रही हैं।