हैदराबाद एनकाउंटर मामले में मृतकों के परिजनों ने एनएचआरसी की टीम के सामने किया खुलासा, कही यह बात
हैदराबाद एनकाउंटर मामले की जांच करने के लिए तेलंगाना पहुंची राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की सात सदस्यीय टीम ने सोमवार को जब मृतकों के परिजनों से बातचीत की तो उन्होंने एक सनसनीखेज खुलासा कर दिया। परिजन बोले, पुलिस ने यह एनकाउंटर राजनीतिक दबाव में आकर किया है।
हमें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया गया। भले ही चारों युवकों को उनके जघन्य अपराध की सजा मिल गई है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी से लेकर एनकाउंटर तक पुलिस ने परिजनों को कुछ नहीं बताया। एक आरोपी के पिता बोले, पुलिस की थ्योरी पूरी तरह संदेह के घेरे में है। एनएचआरसी की जांच टीम शनिवार को तेलंगाना पहुंची थी। जांच टीम से मुलाकात कराने के लिए आरोपियों के परिजनों को तेलंगाना स्टेट पुलिस अकादमी में बुलाया गया था।
सूत्रों के अनुसार, दो आरोपियों के परिजन चुप ही रहे। एक आरोपी के पिता और बहन ने जांच टीम के समक्ष कहा, पुलिस ने यह एनकाउंटर राजनीतिक दबाव के चलते किया है। अभी तक हम लोगों को जो कुछ पता चल रहा है, उसका स्रोत मीडिया है। अधिकारिक तौर पर हमें यह भी नहीं बताया गया कि चारों आरोपी मारे जा चुके हैं। आरिफ को चार गोली लगी है, जे. नवीन को दो गोली, शिवा एवं चौथे आरोपी को भी दो-दो गोलियां लगने की बात सामने आ रही है।
एनएचआरसी टीम में मौजूद फोरेंसिक विशेषज्ञों ने चट्टनपल्ली गांव का भी दौरा किया, जहां 28 नवंबर को पुलिया के नीचे महिला का जला हुआ शव बरामद हुआ था। यहां पर आयोग की टीम करीब चार घंटे तक मौजूद रही। इसके बाद जांच टीम ने निकटवर्ती मुठभेड़ स्थल का भी दौरा किया। जांच टीम के साथ स्थानीय पुलिस के कई अधिकारी भी घटना स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने जांच टीम के कई सवालों के जवाब दिए।
इसके बाद आयोग की टीम महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में पहुंची। यहां पर चारों आरोपियों के शवों को रखा गया है। हैदराबाद एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे तेलंगाना हाईकोर्ट ने वेटरनरी महिला डॉक्टर से रेप और हत्या करने वाले आरोपियों के शवों को 13 दिसंबर तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी। इससे पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि चारों आरोपियों के शव नौ दिसंबर की रात आठ बजे तक सुरक्षित रखे जाएं।
आयोग की टीम ने पुलिस के अलावा मृतका के निकट परिजनों से भी बात की...
हैदराबाद एनकाउंटर मामले में शामिल पुलिसकर्मियों से भी आयोग की टीम ने बातचीत की है। साथ ही मृतका के निकट परिजनों ने भी जांच टीम के समक्ष अपनी बात कही। हालांकि इस मामले में जांच टीम के सूत्रों ने कुछ बताने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि एनकाउंटर में पुलिस पर कई सवाल उठेंगे। टीम ने पुलिसकर्मियों से अलग-अलग बातचीत की है। घटना स्थल पर कितने बजे पहुंचे, आरोपियों की सुरक्षा के इंतजाम और कितने पुलिसकर्मियों के पास कौन-कौन से हथियार थे, आदि सवाल पूछे गए।
छीनाझपटी और फायरिंग से जुड़े कई तकनीकी सवालों की बौछार भी पुलिसकर्मियों पर हुई। आरोपी आरिफ, जिस पर पुलिस की पिस्टल छीनने का आरोप है, उसे चार गोली कैसे लगी। उसे तीन गोली छाती में लगी हैं और एक गोली निचले हिस्से में लगी थी। चारों गोली निकट से मारी गई हैं। घटनास्थल पर कई तरह के तकनीकी सवाल जवाब हुए। टीम ने मृतका के निकट परिजनों से भी बात की। इस बाबत ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है।
सूत्रों ने केवल इतना बताया है कि मृतका के परिजन, पुलिस की शुरुआती लापरवाही से बेहद खफा थे। जांच टीम द्वारा बैलेस्टिक और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एनकाउंटर को चिंता का विषय बताया था। इसके बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए आयोग ने शनिवार को अपनी जांच टीम तेलंगाना भेजी थी।
तेलंगाना उच्च न्यायालय का निर्देश
वहीं, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे महिला पशुचिकित्सक मामले में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए चारों आरोपियों के शवों को 13 दिसंबर तक संरक्षित रखें। मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस संबंध में निर्देश दिए।
अदालत ने कहा कि अगर महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में शवों को 13 दिसंबर तक सुरक्षित रखने की व्यवस्था न हो तो उन्हें हैदराबाद में सरकार द्वारा संचालित गांधी अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है।