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Salman Khan Firing Case: पुलिस हिरासत में आरोपी की मौत में कुछ भी गलत नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्प्णी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 06 Dec 2024 09:14 PM IST
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सार
अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग से जुड़े मामले में आरोपी अनुज थापन ने कथित तौर पर इस साल 1 मई को पुलिस हिरासत में आत्महत्या कर ली थी। वह क्राइम ब्रांच लॉक-अप के शौचालय में लटका हुआ पाया गया था

बॉम्बे हाई कोर्ट
- फोटो : ANI

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विस्तार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग से जुड़े मामले में आरोपी अनुज थापन की मौत हिरासत में मौत नहीं लगती। मामले में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि मौत में कुछ भी गलत नहीं लगता। बता दें कि, 14 अप्रैल को, उपनगरीय बांद्रा इलाके में अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने फायरिंग की। पुलिस ने बाद में गुजरात से विक्की गुप्ता और सागर पाल को गिरफ्तार किया, जबकि अनुज थापन को 26 अप्रैल को पंजाब से पकड़ा गया।
1 मई को आरोपी ने पुलिस हिरासत में की आत्महत्या
अनुज थापन ने कथित तौर पर इस साल 1 मई को पुलिस हिरासत में आत्महत्या कर ली थी। वह क्राइम ब्रांच लॉक-अप के शौचालय में लटका हुआ पाया गया था। मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी मजिस्ट्रेट की तरफ से पेश रिपोर्ट को पढ़ने के बाद की, जिन्होंने मौत की जांच की थी। कानून के अनुसार, हिरासत में मौत के मामलों में मजिस्ट्रेट जांच की जानी चाहिए।
मृतक की मां का दावा- बेटे की हत्या की गई
मामले में अनुज थापन की मां रीता देवी ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि उनके बेटे की हत्या की गई है। अपने याचिका में उन्होंने हाईकोर्ट से मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को करने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अनुज थापन पर पुलिस हिरासत में शारीरिक हमला किया गया और उसे प्रताड़ित किया गया।
शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि पुलिस के लिए उसे नुकसान पहुंचाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि वह उनकी जांच में मददगार हो सकता था। कोर्ट ने पीड़िता की पीड़ा को स्वीकार किया और कहा कि मां का अविश्वास समझ में आता है, लेकिन यह निर्धारित करना मुश्किल है कि किसी को आत्महत्या करने के लिए क्या मजबूर करता है।
अनुज थापन की 'मौत में कुछ भी गलत नहीं- कोर्ट
जस्टिस डेरे ने कहा, कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को इतनी अच्छी तरह से नहीं जानता। उस समय किसी व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है, कोई नहीं बता सकता। इसलिए आत्महत्याएं होती हैं। रिपोर्ट को देखने के बाद, बेंच ने टिप्पणी की कि अनुज थापन की 'मौत में कुछ भी गलत नहीं था। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज का भी हवाला दिया, जिसमें अनुज थापन बेचैन दिखाई दे रहा था और अपने सेल में इधर-उधर घूम रहा था और बाद में अकेले शौचालय में घुस गया।
मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय
न्यायमूर्ति चव्हाण ने कहा, 'सीसीटीवी फुटेज से यह संकेत नहीं मिलता कि उसके बाद कोई शौचालय गया था। इससे इस बात की संभावना खत्म हो जाती है कि कोई उसका पीछा कर रहा था। सामान्य तौर पर, अगर उसे मार दिया जाता तो वह संघर्ष करता। ऐसा कुछ नहीं है। पीठ ने कहा, हमें समझ में नहीं आता कि पुलिस ने युवक की हत्या क्यों की। इसके विपरीत, वह पुलिस की मदद करने वाला सबसे अच्छा व्यक्ति हो सकता था। वे उसे सरकारी गवाह बना सकते थे। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की और रीता देवी के वकील से मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट देखने को कहा।
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1 मई को आरोपी ने पुलिस हिरासत में की आत्महत्या
अनुज थापन ने कथित तौर पर इस साल 1 मई को पुलिस हिरासत में आत्महत्या कर ली थी। वह क्राइम ब्रांच लॉक-अप के शौचालय में लटका हुआ पाया गया था। मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी मजिस्ट्रेट की तरफ से पेश रिपोर्ट को पढ़ने के बाद की, जिन्होंने मौत की जांच की थी। कानून के अनुसार, हिरासत में मौत के मामलों में मजिस्ट्रेट जांच की जानी चाहिए।
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मृतक की मां का दावा- बेटे की हत्या की गई
मामले में अनुज थापन की मां रीता देवी ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि उनके बेटे की हत्या की गई है। अपने याचिका में उन्होंने हाईकोर्ट से मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को करने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि अनुज थापन पर पुलिस हिरासत में शारीरिक हमला किया गया और उसे प्रताड़ित किया गया।
शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि पुलिस के लिए उसे नुकसान पहुंचाने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि वह उनकी जांच में मददगार हो सकता था। कोर्ट ने पीड़िता की पीड़ा को स्वीकार किया और कहा कि मां का अविश्वास समझ में आता है, लेकिन यह निर्धारित करना मुश्किल है कि किसी को आत्महत्या करने के लिए क्या मजबूर करता है।
अनुज थापन की 'मौत में कुछ भी गलत नहीं- कोर्ट
जस्टिस डेरे ने कहा, कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को इतनी अच्छी तरह से नहीं जानता। उस समय किसी व्यक्ति के दिमाग में क्या चल रहा है, कोई नहीं बता सकता। इसलिए आत्महत्याएं होती हैं। रिपोर्ट को देखने के बाद, बेंच ने टिप्पणी की कि अनुज थापन की 'मौत में कुछ भी गलत नहीं था। कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज का भी हवाला दिया, जिसमें अनुज थापन बेचैन दिखाई दे रहा था और अपने सेल में इधर-उधर घूम रहा था और बाद में अकेले शौचालय में घुस गया।
मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय
न्यायमूर्ति चव्हाण ने कहा, 'सीसीटीवी फुटेज से यह संकेत नहीं मिलता कि उसके बाद कोई शौचालय गया था। इससे इस बात की संभावना खत्म हो जाती है कि कोई उसका पीछा कर रहा था। सामान्य तौर पर, अगर उसे मार दिया जाता तो वह संघर्ष करता। ऐसा कुछ नहीं है। पीठ ने कहा, हमें समझ में नहीं आता कि पुलिस ने युवक की हत्या क्यों की। इसके विपरीत, वह पुलिस की मदद करने वाला सबसे अच्छा व्यक्ति हो सकता था। वे उसे सरकारी गवाह बना सकते थे। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की और रीता देवी के वकील से मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट देखने को कहा।