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SC: रेल हादसे में पति की मौत, दो दशक बाद मिला इंसाफ; सुप्रीम कोर्ट ने ढूंढ निकाली पीड़िता, अब मिलेगा मुआवजा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 22 Oct 2025 05:11 PM IST
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सार

2002 में ट्रेन गिरने के कारण पति की मौत के बाद 23 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने वाली सयनोक्ता देवी को आखिरकार इंसाफ मिल गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने विशेष पहल करते हुए यह सुनिश्चित किया कि महिला को रेलवे से मुआवजा राशि पूरी तरह मिल सके। पढ़ें क्या है पूरा मामला...

SC goes extra mile to ensure widow gets Railways' compensation after 23 years of legal battle
सुप्रीम कोर्ट (फाइल) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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23 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एक पीड़ित विधवा को आखिर न्याय मिल ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष पहल करते हुए यह सुनिश्चित किया कि महिला को रेलवे से मुआवजा राशि पूरी तरह मिल सके। दरअसल, सयनोक्ता देवी के पति विजय सिंह की 21 मार्च 2002 को भारतीय रेलवे की भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन से पटना जाने के दौरान हादसे में मौत हो गई थी। उन्होंने बख्तियारपुर स्टेशन से पटना के लिए वैध टिकट लिया था, लेकिन भीड़भाड़ के कारण ट्रेन से गिर पड़े और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
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20 साल लंबी चली कानूनी लड़ाई
दुर्घटना के बाद सयनोक्ता देवी ने रेलवे से मुआवजा मांगा, लेकिन रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल और पटना हाई कोर्ट ने यह कहते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया कि मृतक मानसिक रूप से अस्वस्थ था। महिला ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में हाई कोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेशों को बेतुका और कल्पनाशील बताते हुए रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि मृतक मानसिक रूप से अस्वस्थ होता, तो वह न टिकट खरीद पाता, न ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करता। कोर्ट ने रेलवे को दो महीने के अंदर चार लाख रुपये मुआवजा और छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया।

बीच रास्ते में रुक गया मुआवजा
लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। इस फैसले के बाद महिला के स्थानीय वकील का निधन हो गया और रेलवे की तरफ से भेजे गए पत्र गलत पते पर चले गए। सयनोक्ता देवी भी पारिवारिक परिस्थितियों में अपना ठिकाना बदल चुकी थीं। रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह महिला को ढूंढ नहीं पा रहा है और मुआवजा नहीं दे पा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की विशेष पहल
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया कि वह अखबारों में अंग्रेजी और हिंदी में सार्वजनिक नोटिस निकाले और महिला को खोजे। इसके अलावा बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नालंदा के एसएसपी और बख्तियारपुर थाने को महिला का पता लगाने का निर्देश दिया गया। कई प्रयासों के बाद पता चला कि गांव का नाम गलत दर्ज हो गया था, इसी कारण महिला तक कोई सूचना नहीं पहुंची। स्थानीय पुलिस ने सही गांव और सयनोक्ता देवी को ढूंढ निकाला।

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अब पीड़िता को मिलेगा हक का पैसा
अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि रेलवे अधिकारी स्थानीय पुलिस के सहयोग से महिला के बैंक खाते में मुआवजा राशि जमा कराएं। गांव के सरपंच और पंचायती राज के अन्य सदस्य महिला की पहचान करेंगे ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे। कोर्ट ने रेलवे से पूरी प्रक्रिया की रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।

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