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Defence: 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर खत्म करने वाली मिसाइल का जलवा, कई मुल्कों को लुभा रही 'आकाश' की मारक क्षमता

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 22 Oct 2025 07:39 PM IST
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सार

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 'आकाश' मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। भारतीय सेना ने इस मिसाइल का इस्तेमाल, कई तरह के हवाई खतरों से निपटने के लिए किया। इसकी मदद से दुश्मन को करारा जवाब दिया जा सका। 'आकाश' मिसाइल के चलते ड्रोन एवं हवाई हमलों को 'रियल टाइम' पर बेअसर किया गया। 

India Defence Capability sees rise as Missile that tracks and destroys 64 targets simultaneously Akash impress
'आकाश' मिसाइल प्रणाली - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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भारत की स्वदेशी मिसाइल 'आकाश', जो सतह से लेकर आसमान तक अचूक मार कर सकती है, अब कई मुल्कों को इसकी मारक क्षमता लुभा रही है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, तकरीबन आधा दर्जन देश, 'आकाश' को लेकर किसी न किसी स्तर पर जानकारी लेने या सौदा करने के प्लेटफार्म तक पहुंच रहे हैं। केंद्र सरकार भी इस स्वदेशी 'आकाश मिसाइल सिस्टम' को अब बड़े पैमाने पर निर्यात के प्लेटफार्म तक लाने की तैयारी में जुटी है। मध्यम दूरी की 'सतह-से-हवा' की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल, 64 लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम है। इस मिसाइल की खासियतों को लेकर जो जानकारी मांगी जा रही है, उसमें ज्यादा फोकस मिसाइल की इंटरसेप्शन रेंज, ऊंचाई और सुपरसोनिक गति है। 
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बता दें कि 'आकाश' मिसाइल सिस्टम को 3डी इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से लैस किया गया है। इसकी प्रत्येक बैट्री में चार लांचर होते हैं। प्रत्येक में कम से कम 3 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लगी होती हैं। इसकी इंटरसेप्शन रेंज, 30 किलोमीटर तक रहती है। इसके अलावा यह मिसाइल, 18,000 मीटर तक की ऊंचाई वाले लक्ष्यों को भेद सकती है। 'आकाश', 2.5 मैक तक की सुपरसोनिक गति से अपने टारगेट की तरफ बढ़ती है। 
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ब्राजील ने इस मध्यम दूरी की मिसाइल में रुचि दिखाई है। पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ब्राजील के उपराष्ट्रपति और रक्षा मंत्री के साथ सार्थक बातचीत हुई है। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने 'एक्स' पर लिखा था, नई दिल्ली में ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन और ब्राजील के रक्षा मंत्री जोस मुसियो मोंटेइरो फिल्हो से मिलकर मुझे खुशी हुई। हमने सैन्य से सैन्य सहयोग और रक्षा औद्योगिक सहयोग के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा सहयोग से संबंधित मुद्दों पर दूरदर्शी चर्चा की। 

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 'आकाश' मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। भारतीय सेना ने इस मिसाइल का इस्तेमाल, कई तरह के हवाई खतरों से निपटने के लिए किया। इसकी मदद से दुश्मन को करारा जवाब दिया जा सका। 'आकाश' मिसाइल के चलते ड्रोन एवं हवाई हमलों को 'रियल टाइम' पर बेअसर किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल ने अपने टेस्ट में सौ फीसदी भरोसा दिखाया। मल्टी-टारगेट मारक क्षमता में इस मिसाइल ने शानदार प्रदर्शन किया। आकाश की उच्च क्वालिटी की एयर डिफेंस कैपेबिलिटी ने भारतीय सेना की बड़ी मदद की है। 

इसके जरिए, ऑपरेशन सिंदूर में जबरदस्त और सटीक हमला संभव हो सका। इस मिसाइल का ढांचा और तकनीक, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने तैयार की है। इसकी मदद से आर्मी एस्टेब्लिशमेंट और दूसरे अहम भवनों को दुश्मन के हवाई हमले से बचाया जा सकता है। दुश्मन के डिफेंस सिस्टम, जिसमें फाइटर जेट, क्रूज मिसाइल, हेलीकॉप्टर और ड्रोन आदि शामिल हैं, इन्हें निशाना बनाने में 'आकाश' सक्षम है। तेज बरसात और धुंध के दौरान भी यह 'आकाश मिसाइल सिस्टम', अपने टारगेट तक आसानी से पहुंच जाता है।  

रक्षा क्षेत्र में ब्राजील के साथ रणनीतिक साझेदारी से पहले भारत ने आर्मेनिया को भी आकाश सिस्टम मुहैया कराया है। आर्मेनिया के साथ आकाश, पिनाका और 155 मिमी तोपें सहित कई तरह की रक्षा सामग्री के सौदे हुए हैं। पिछले साल अर्मेनिया को आकाश की बैटरी दी गई थी। उसकी कीमत 230 मिलियन डॉलर से ज्यादा थी। इसके बाद ही ब्राजील ने 'आकाश' जैसे भरोसेमंद एयरडिफेंस सिस्टम की तरफ रूझान दिखाया। बताया जा रहा है कि मिस्र और वियतनाम जैसे राष्ट्र भी 'आकाश' की तरफ देख रहे हैं। इन देशों की ओर से इस मिसाइल को लेकर जानकारी एकत्रित की जा रही है।  

फिलीपींस ने भी भारत के इस भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम में विश्वास जताया है। संयुक्त अरब अमीरात 'यूएई' जैसे देश भी आकश मिसाइल प्रणाली की खूबियों को जान रहे हैं। रक्षा सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में खाड़ी और आसियान देशों से होने वाले रक्षा सौदों में भी 'आकाश' मिसाइल अपनी जगह बना लेगी। 'आकाश' को मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, जिसे 'एसएएम' तकनीक कहा जाता है, के आधार पर डिजाइन किया गया है। 

ट्रायल के अलावा ऑपरेशन सिंदूर में इस मिसाइल की हर खूबी को परखा गया है। 30 किलोमीटर तक की इंटरसेप्शन रेंज वाली यह मिसाइल 18,000 मीटर तक की ऊंचाई तक मार कर सकती है। खास बात है कि मौजूदा वॉरफेयर की जटिलताओं के बीच 'आकाश', अपना रास्ता नहीं छोड़ती। इसमें लगे रडार, इसे बिना किसी दिक्कत के टारगेट तक ले जाते हैं। आकाश मिसाइल, 60 किलोग्राम के उच्च-विस्फोटक को, टारगेट के निकट गिराने की क्षमता रखता है। 

इसके लिए आकाश को प्रॉक्सिमिटी फ़्यूज से लैस किया गया है। इस मिसाइल को तैयार करने के दौरान इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखा गया है कि अगर किसी ऐसे दुश्मन से लड़ाई होती है, जो मेगनेटिक पावर का इस्तेमाल कर अपने एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करता है तो स्थिति में भी 'आकाश', बेहतर तरीके से टारगेट को खत्म कर देता है। यह मिसाइल दुश्मन की जैमिंग तकनीक से निपटने में सक्षम है। साथ ही आकाश को उन्नत इलेक्ट्रॉनिक प्रति-प्रतिउपायों (ईसीसीएम) से लैस किया गया है। 
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