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Supreme Court: जमानत मामले में 21 बार सुनवाई टलने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट नाराज; दिया यह निर्देश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 29 Aug 2025 04:10 PM IST
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सार
Supreme Court Irked Over 21 Adjournments: देश की सर्वोच्च अदालत ने एक जमानत के मामले में 21 बार सुनवाई टलने पर नाराजगी जताई है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इसे व्यक्तिगत रूप से देखने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस मामले पर नाराजगी जताई, जिसमें एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई 21 बार टल चुकी थी। अदालत ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों का त्वरित निपटारा होना चाहिए और इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मामले पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने का अनुरोध किया।
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'व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामले शीघ्र सुने और निपटाएं'
पीठ ने कहा, 'बार-बार हम कह चुके हैं कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को शीघ्रता से सुना और निपटाया जाना चाहिए।' हालांकि कोर्ट ने फिलहाल आरोपी को जमानत देने से इनकार किया, लेकिन स्पष्ट किया कि अगली तारीख को हाई कोर्ट को मामले का निस्तारण करना होगा।
पीठ कुलदीप नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, तभी उसके वकील ने कहा कि उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई उच्च न्यायालय में 21 बार स्थगित की गई और मामले की सुनवाई दो महीने बाद की जानी है। जब वकील ने हाल ही के एक मामले का हवाला दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने एक अभियुक्त को जमानत दे दी थी क्योंकि उसकी याचिका पर सुनवाई 43 बार स्थगित की गई थी, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से व्यक्तिगत रूप से इस पर विचार करने का अनुरोध किया है।
उच्च न्यायालय की प्रवृत्ति की निंदा की
इस मामले में जमानत देने से इनकार करते हुए, पीठ ने कहा, 'यह कहने की जरूरत नहीं है कि कम से कम अगली सुनवाई की तारीख पर, उच्च न्यायालय इस मामले को लेगा और जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा।' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर अभियुक्त अभी भी असंतुष्ट है, तो वह शीर्ष न्यायालय में वापस आ सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने हाल ही में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को स्थगित करने की उच्च न्यायालय की प्रवृत्ति की निंदा की।
पीठ ने सीबीआई के कई मामलों में साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से हिरासत में रहे अभियुक्त को जमानत दे दी, यह देखते हुए कि उसका मामला उच्च न्यायालय में 43 बार स्थगित किया गया था। 25 अगस्त को, न्यायालय ने रामनाथ मिश्रा उर्फ रमानाथ मिश्रा की याचिका स्वीकार कर ली और किसी अन्य मामले में वांछित न होने पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
यह भी पढ़ें - Amit Shah: 'असम का नेतृत्व ऐसे लोग नहीं कर सकते, जो बार-बार पाकिस्तान जाते हों', अमित शाह का विपक्ष पर कटाक्ष
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मौजूदा मामले में मामले की सुनवाई 43 बार स्थगित की जा चुकी है। हम उच्च न्यायालय की तरफ से किसी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को इतनी बार स्थगित करने की प्रवृत्ति को पसंद नहीं करते। हमने बार-बार कहा है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों पर न्यायालयों को पूरी तत्परता से विचार करना चाहिए।'

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'व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामले शीघ्र सुने और निपटाएं'
पीठ ने कहा, 'बार-बार हम कह चुके हैं कि नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को शीघ्रता से सुना और निपटाया जाना चाहिए।' हालांकि कोर्ट ने फिलहाल आरोपी को जमानत देने से इनकार किया, लेकिन स्पष्ट किया कि अगली तारीख को हाई कोर्ट को मामले का निस्तारण करना होगा।
पीठ कुलदीप नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, तभी उसके वकील ने कहा कि उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई उच्च न्यायालय में 21 बार स्थगित की गई और मामले की सुनवाई दो महीने बाद की जानी है। जब वकील ने हाल ही के एक मामले का हवाला दिया जिसमें शीर्ष अदालत ने एक अभियुक्त को जमानत दे दी थी क्योंकि उसकी याचिका पर सुनवाई 43 बार स्थगित की गई थी, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से व्यक्तिगत रूप से इस पर विचार करने का अनुरोध किया है।
उच्च न्यायालय की प्रवृत्ति की निंदा की
इस मामले में जमानत देने से इनकार करते हुए, पीठ ने कहा, 'यह कहने की जरूरत नहीं है कि कम से कम अगली सुनवाई की तारीख पर, उच्च न्यायालय इस मामले को लेगा और जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा।' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर अभियुक्त अभी भी असंतुष्ट है, तो वह शीर्ष न्यायालय में वापस आ सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने हाल ही में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों को स्थगित करने की उच्च न्यायालय की प्रवृत्ति की निंदा की।
पीठ ने सीबीआई के कई मामलों में साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से हिरासत में रहे अभियुक्त को जमानत दे दी, यह देखते हुए कि उसका मामला उच्च न्यायालय में 43 बार स्थगित किया गया था। 25 अगस्त को, न्यायालय ने रामनाथ मिश्रा उर्फ रमानाथ मिश्रा की याचिका स्वीकार कर ली और किसी अन्य मामले में वांछित न होने पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मौजूदा मामले में मामले की सुनवाई 43 बार स्थगित की जा चुकी है। हम उच्च न्यायालय की तरफ से किसी नागरिक की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों को इतनी बार स्थगित करने की प्रवृत्ति को पसंद नहीं करते। हमने बार-बार कहा है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों पर न्यायालयों को पूरी तत्परता से विचार करना चाहिए।'
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