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प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक: वित्त मंत्री ने पेश किया बिल, शेयर बाजार के कानूनों में बड़े बदलाव की तैयारी
अमर उजाला ब्यूरो
Published by: लव गौर
Updated Fri, 19 Dec 2025 06:08 AM IST
सार
Securities Markets Code Bill: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक-2025 पेश किया। साथ ही उन्होंने इसे विस्तृत चर्चा और जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का प्रस्ताव भी रखा।
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निर्मला सीतारमण
- फोटो : PTI
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विस्तार
भारतीय शेयर और प्रतिभूति बाजार को अधिक पारदर्शी, सरल और सशक्त बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक-2025 पेश किया। साथ ही उन्होंने इसे विस्तृत चर्चा और जांच के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजने का प्रस्ताव भी रखा।
कांग्रेस और डीएमके के सांसदों ने बिल का विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह एक ही निकाय को अत्यधिक अधिकार देता है, जो शक्तियों के पृथक्करण के लोकतांत्रिक सिद्धांत के खिलाफ है। जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि बिल स्थायी समिति के पास जा रहा है, इसलिए इन सभी बारीकियों पर वहां विस्तार से चर्चा की जा सकती है।
अस्थिरता के समय सुरक्षा कवच का करेगा काम
यह बिल कई अलग-अलग कानूनों को मिलाकर एकीकृत कोड बनाने का प्रस्ताव रखता है। इनमें सेबी एक्ट (1992), डिपोजेटरी एक्ट (1996), सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट एक्ट (1956) कानूनों को मिलाया जाएगा। सरकार का मानना है कि अलग-अलग कानूनों से नियमों में दोहराव व विसंगतियां पैदा होती थीं। निवेशकों और कंपनियों को दिक्कतें होती थीं। नया प्रतिभूति बाजार संहिता आने से नियमों के एक ही जगह होने से कंपनियों के लिए कानून का पालन करना आसान होगा।
ये भी पढ़ें: Committee: 41 देशों में भारत का स्थायी मिशन नहीं, संसदीय समिति ने जताई चिंता; विदेश नीति के बजट पर कही ये बात
नियामक ढांचे में स्पष्टता आने से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। यह बिल बॉन्ड मार्केट को गहराई प्रदान करेगा और बाजार में अस्थिरता के समय सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा। सरकारी कामकाज और निगरानी में सुधार होगा, जिससे व्यापारिक लागत में भी कमी आएगी। संसदीय समिति बिल पर अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के पहले दिन तक सौंप सकती है। फिर इसे कानून का रूप देने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
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कांग्रेस और डीएमके के सांसदों ने बिल का विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह एक ही निकाय को अत्यधिक अधिकार देता है, जो शक्तियों के पृथक्करण के लोकतांत्रिक सिद्धांत के खिलाफ है। जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि चूंकि बिल स्थायी समिति के पास जा रहा है, इसलिए इन सभी बारीकियों पर वहां विस्तार से चर्चा की जा सकती है।
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अस्थिरता के समय सुरक्षा कवच का करेगा काम
यह बिल कई अलग-अलग कानूनों को मिलाकर एकीकृत कोड बनाने का प्रस्ताव रखता है। इनमें सेबी एक्ट (1992), डिपोजेटरी एक्ट (1996), सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट एक्ट (1956) कानूनों को मिलाया जाएगा। सरकार का मानना है कि अलग-अलग कानूनों से नियमों में दोहराव व विसंगतियां पैदा होती थीं। निवेशकों और कंपनियों को दिक्कतें होती थीं। नया प्रतिभूति बाजार संहिता आने से नियमों के एक ही जगह होने से कंपनियों के लिए कानून का पालन करना आसान होगा।
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नियामक ढांचे में स्पष्टता आने से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। यह बिल बॉन्ड मार्केट को गहराई प्रदान करेगा और बाजार में अस्थिरता के समय सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा। सरकारी कामकाज और निगरानी में सुधार होगा, जिससे व्यापारिक लागत में भी कमी आएगी। संसदीय समिति बिल पर अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के पहले दिन तक सौंप सकती है। फिर इसे कानून का रूप देने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।