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कौन हैं शक्तिकांत दास: जो बने PM मोदी के प्रधान सचिव-2, RBI के पूर्व गवर्नर PMO में क्या करेंगे? जानें
स्पेशल डेस्क, अमर उजाला
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sat, 22 Feb 2025 06:40 PM IST
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सार
शक्तिकांत दास कौन हैं? उनका क्या अनुभव रहा है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रहते हुए, उनके कौन से फैसलों ने आर्थिक स्तर पर भारत का परिदृश्य बदलने का काम किया? इसके अलावा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर अब उनकी क्या जिम्मेदारियां होंगी? आइये जानते हैं...

पीएम मोदी के प्रधान सचिव-2 बने शक्तिकांत दास।
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
भारत के केंद्रीय बैंक- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर पद से पिछले साल रिटायर हुए शक्तिकांत दास अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव-2 नियुक्त किए गए हैं। शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने इस पद के लिए उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है। 11 सितंबर 2019 से से लेकर अब तक पीके मिश्र इस पद पर बने हुए हैं। यानी अब शक्तिकांत दास और पीके मिश्र मिलकर प्रधानमंत्री कार्यालय में कई अहम जिम्मेदारियां निभाएंगे। ताजा आदेश के मुताबिक, शक्तिकांत दास की नियुक्ति पीएम मोदी के कार्यकाल या फिर अगले आदेश तक रहेगी।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर शक्तिकांत दास कौन हैं? उनका क्या अनुभव रहा है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रहते हुए, उनके कौन से फैसलों ने आर्थिक स्तर पर भारत का परिदृश्य बदलने का काम किया? इसके अलावा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर अब उनकी क्या जिम्मेदारियां होंगी? आइये जानते हैं...
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ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर शक्तिकांत दास कौन हैं? उनका क्या अनुभव रहा है? रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रहते हुए, उनके कौन से फैसलों ने आर्थिक स्तर पर भारत का परिदृश्य बदलने का काम किया? इसके अलावा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के तौर पर अब उनकी क्या जिम्मेदारियां होंगी? आइये जानते हैं...
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कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास का जन्म 26 फरवरी 1957 को ओडिशा के भुवनेश्वर में हुआ था। उनकी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर यूके की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी तक में हो चुकी है। बाद में दास ने सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस बने। नौकरशाही में अपने 40 साल से भी लंबे करियर में शक्तिकांत दास ने तमिलनाडु सरकार से लेकर केंद्रीय सरकार में अहम जिम्मेदारियां निभाईं।
तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अफसर शक्तिकांत दास, दिसंबर 2018 में केंद्रीय बैंक के गवर्नर बने थे। वह पिछले साल दिसंबर में रिटायर हुए। वित्त मंत्रालय में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, वह आठ केंद्रीय बजटों की तैयारी से सीधे तौर पर जुड़े रहे। कोरोनाकाल में देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के बाद रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान भी दास ने आरबीआई का नेतृत्व करते हुए मौद्रिक नीति को लेकर कई कड़े फैसले लिए, जिनके चलते भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रही।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर अपनी इन्हीं उपलब्धियों के चलते अमेरिकी मैगजीन ग्लोबल फाइनेंस ने शक्तिकांत दास को तीन बार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर चुना गया। इनमें से दो बार उन्हें यह सम्मान लगातार मिला। 2024 के ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड्स में उन्हें A+ रेटिंग दी गई।
शक्तिकांत दास का जन्म 26 फरवरी 1957 को ओडिशा के भुवनेश्वर में हुआ था। उनकी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से लेकर यूके की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी तक में हो चुकी है। बाद में दास ने सिविल सेवा परीक्षा पास की और आईएएस बने। नौकरशाही में अपने 40 साल से भी लंबे करियर में शक्तिकांत दास ने तमिलनाडु सरकार से लेकर केंद्रीय सरकार में अहम जिम्मेदारियां निभाईं।
तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अफसर शक्तिकांत दास, दिसंबर 2018 में केंद्रीय बैंक के गवर्नर बने थे। वह पिछले साल दिसंबर में रिटायर हुए। वित्त मंत्रालय में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, वह आठ केंद्रीय बजटों की तैयारी से सीधे तौर पर जुड़े रहे। कोरोनाकाल में देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के बाद रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान भी दास ने आरबीआई का नेतृत्व करते हुए मौद्रिक नीति को लेकर कई कड़े फैसले लिए, जिनके चलते भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रही।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर अपनी इन्हीं उपलब्धियों के चलते अमेरिकी मैगजीन ग्लोबल फाइनेंस ने शक्तिकांत दास को तीन बार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर चुना गया। इनमें से दो बार उन्हें यह सम्मान लगातार मिला। 2024 के ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड्स में उन्हें A+ रेटिंग दी गई।

आरबीआई गवर्नर के तौर पर क्या रहीं उपलब्धियां?
1. नोटबंदी और जीएसटी को जमीन पर उतारने का श्रेय
नवंबर 2016 में जब सरकार ने अचानक 500 और 1000 के करेंसी नोटों को बंद कर दिया था, तब शक्तिकांत दास आर्थिक मामलों के सचिव थे। ऐसे में नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया के दौरान उनकी अहम भूमिका रही। उस समय सरकार ने इस कदम को काले धन, भ्रष्टाचार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उचित ठहराया। लेकिन कई लोगों ने आम आदमी को होने वाली परेशानी के लिए इस फैसले की आलोचना की। हालांकि, दास ने इस फैसले का बचाव किया और धीरे-धीरे हालात सामान्य करने का अभियान जारी रखा। शक्तिकांत दास ने अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों का एक जीएसटी में विलय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह फैसला 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया। जीएसटी के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय बिठाने में दास की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
2. कठिन दौर में पद संभाला और चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटे
अधिशेष हस्तांतरण के मुद्दे पर आरबीआई और सरकार के बीच टकराव के बाद तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे से बाजार हिल गया था। मिंट स्ट्रीट कार्यालय का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, दास ने अपनी कोशिशों से बाजार का भरोसा लौटाया। उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया, बल्कि सरकार के साथ अधिशेष हस्तांतरण से जुड़े मुद्दों को भी कुशलतापूर्वक सुलझाया। दास के आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बमुश्किल एक साल बाद, कोविड ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में, दास को लॉकडाउन के कारण होने वाले व्यवधानों को प्रबंधित करने में चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा। उन्होंने नीतिगत रेपो दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर लाने का विकल्प चुना, जिससे लगभग दो वर्षों तक कम ब्याज दर व्यवस्था जारी रही, ताकि लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को मदद मिल सके।
अधिशेष हस्तांतरण के मुद्दे पर आरबीआई और सरकार के बीच टकराव के बाद तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफे से बाजार हिल गया था। मिंट स्ट्रीट कार्यालय का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, दास ने अपनी कोशिशों से बाजार का भरोसा लौटाया। उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया, बल्कि सरकार के साथ अधिशेष हस्तांतरण से जुड़े मुद्दों को भी कुशलतापूर्वक सुलझाया। दास के आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बमुश्किल एक साल बाद, कोविड ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में, दास को लॉकडाउन के कारण होने वाले व्यवधानों को प्रबंधित करने में चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा। उन्होंने नीतिगत रेपो दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर लाने का विकल्प चुना, जिससे लगभग दो वर्षों तक कम ब्याज दर व्यवस्था जारी रही, ताकि लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था को मदद मिल सके।
3. सरकार के साथ आरबीआई का टकराव दूर कर सर्वाधिक लाभांश दिया
शक्तिकांत दास के आरबीआई का गवर्नर पद संभालने के बाद से आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा फिर समाचारों की सुर्खियों में नहीं आया। दास अपने सहकर्मियों और मीडिया के साथ भी स्पष्ट और मिलनसार रहे हैं। वे एक आम सहमति वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने दिल्ली के साथ अपने संचार माध्यमों को जीवंत बनाए रखा। इसी साल की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक लाभांश दिया था।
शक्तिकांत दास के आरबीआई का गवर्नर पद संभालने के बाद से आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा फिर समाचारों की सुर्खियों में नहीं आया। दास अपने सहकर्मियों और मीडिया के साथ भी स्पष्ट और मिलनसार रहे हैं। वे एक आम सहमति वाले व्यक्ति हैं जिन्होंने दिल्ली के साथ अपने संचार माध्यमों को जीवंत बनाए रखा। इसी साल की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक लाभांश दिया था।
पीएम मोदी के प्रधान सचिव-2 के रूप में क्या जिम्मेदारी निभाएंगे?
- शक्तिकांत दास को जो पद सौंपा गया है, उसके तहत वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीधे तौर पर जुड़े रहेंगे। यह पद पीएम के निजी सचिव की तरह का पद है। यानी शक्तिकांत दास अब पीके मिश्र के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होंगे।
- आमतौर पर इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अफसर को ही नियुक्ति मिलती है। 2019 के बाद से पीएम के प्रधान सचिव को कैबिनेट मंत्री के बराबर का दर्जा हासिल है।
- बताया जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री के लिए निजी सचिव की नियुक्ति की शुरुआत की थी। बाद में इंदिरा गांधी ने इसे आधिकारिक तौर पर प्रधान सचिव का पद बना दिया। इस तरह पीएन हक्सर प्रधानमंत्री के पहले प्रधान सचिव बने।

प्रधान सचिव आमतौर पर भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रशासनिक प्रमुख की जिम्मेदारी निभाता है। हालांकि, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ पीएमओ के कामों के प्रबंधन तक ही सीमित नहीं है। प्रधान सचिव घरेलू मामलों से लेकर विदेश नीति के मसलों पर प्रधानमंत्री को सलाह देने का काम करते हैं। इसके अलावा वे प्रधानमंत्री के निर्देश पर अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के कामों की भी निगरानी करते हैं।
प्रधान सचिव पीएमओ में आने वाले दस्तावेजी कार्यक्रमों से लेकर अधिकारियों के कामों का भी रिकॉर्ड रखते हैं। इसके अलावा वे प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाली अलग-अलग मंत्रालयों की फाइल्स और निर्देशों को सीधा पीएम तक पहुंचाने का काम भी करते हैं।
प्रधान सचिव पीएमओ में आने वाले दस्तावेजी कार्यक्रमों से लेकर अधिकारियों के कामों का भी रिकॉर्ड रखते हैं। इसके अलावा वे प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाली अलग-अलग मंत्रालयों की फाइल्स और निर्देशों को सीधा पीएम तक पहुंचाने का काम भी करते हैं।