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शरद पवार का महागठबंधन को करारा झटका, कहा- आम चुनाव में तीसरा मोर्चा व्यवहारिक नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Updated Sat, 30 Jun 2018 02:56 PM IST
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Sharad Pawar says Third Front is not practical in Lok Sabha elections 2019
शरद पवार
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साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस से अलग किसी तीसरा मोर्चे के गठन के प्रयासों को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने करारा झटका दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि तीसरा मोर्चा 'व्यवहारिक' नहीं है और इसलिए यह नहीं बन पाएगा। पवार का बयान ऐसे वक्त पर आया है जब जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा ने तीसरे मोर्चे बनाने पर जोर दिया है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और तेलंगाना राष्ट्र समिति प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने मुलाकात कर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू की थी। 
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तीसरा मोर्चा अव्यवहारिक

एक अंग्रेजी चैनल के दिए इंटरव्यू में शरद पवार ने कहा कि तीसरा मोर्चे के लिए विभिन्न दलों का महागठबंधन अव्यवहारिक है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके कई साथी चाहते हैं कि महागठबंधन बनाया जाए। साथ ही इंटरव्यू में उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार किसी का नाम लेने से परहेज किया। लेकिन उन्होंने इशारा किया कि जैसे साल 1977 में मोरार जी देसाई विजयी दलों का चेहरा बन कर उभरे थे, इस बार भी ऐसा हो सकता है। 
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आज साल 1977 जैसे हालात

शरद पवार ने कहा, "मुझे खुद भी महागठबंधन पर बहुत भरोसा नहीं है। मैं निजी तौर पर महसूस कर रहा हूं कि साल 1977 जैसी परिस्थिति है। इंदिरा गांधी एक मजबूत इरादों वाली महिला थीं। आपातकाल के बाद वह प्रधानमंत्री थीं। उस समय कोई मजबूत विपक्षी राजनीतिक पार्टी नहीं थी लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक जनता ने उनके खिलाफ मतदान किया और कांग्रेस की हार हुई।" 

जल्द बने तीसरा मोर्चा

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा ने कहा था कि जल्द तीसरे मोर्चे का गठन होना चाहिए। पीएम मोदी और अमित शाह ने अप्रैल की बजाय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के साथ दिसंबर में लोकसभा चुनाव कराने के संकेत दिए हैं। हालांकि देवगौड़ा ने यह साफ किया है कि कांग्रेस के साथ जेडीएस के मतभेदों के बावजूद दोनों पार्टियां एक साथ संसदीय चुनाव लड़ेंगी।

देवगौड़ा की कांग्रेस को चेतावनी

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि वो क्षेत्रीय पार्टियों को हल्के में ना ले। उन्होंने कहा कि छह विपक्षी पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे जो निश्चित तौर पर विपक्ष की एकजुटता को दर्शाता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी एकजुट होकर चुनाव लड़ें। कांग्रेस को इसपर विचार करना चाहिए। 
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