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Malegaon Blast Case: 'मालेगांव विस्फोट में हो सकता है सिमी का हाथ', प्रज्ञा ठाकुर के वकील का कोर्ट में दावा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: बशु जैन
Updated Thu, 03 Oct 2024 06:33 PM IST
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सार
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में मुंबई से 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।

भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
मालेगांव में हुए विस्फोट के पीछे प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का हाथ हो सकता है। विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी और भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने विशेष अदालत में यह दावा किया।

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अधिवक्ता जेपी मिश्रा ने कहा कि स्थानीय लोगों ने विस्फोट के तुरंत बाद पुलिस को घटनास्थल पर पहुंचने से रोका। इससे लगता है कि आरोपियों को बचाने के लिए ऐसा किया गया था। एनआईए मामलों के विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी की अदालत में वकील जेपी मिश्रा ने अपनी दलील पेश कीं।
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उन्होंने कहा कि जब भी बम विस्फोट की घटना होती है तो लोग पुलिस की मदद करते हैं। जबकि इस मामले में घटना के तुरंत बाद बड़ी संख्या में लोग मौके पर जमा हो गए और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस को विस्फोट स्थल तक पहुंचने से रोका गया। सिमी से जुड़े लोगों को बचाने के लिए ऐसा किया जा सकता है।
वकील ने तर्क दिया कि विस्फोट स्थल के पास सिमी का एक कार्यालय था। जहां कथित तौर पर बम बनाए गए थे और जब विस्फोट हुआ तो वे दोपहिया वाहन का उपयोग करके विस्फोटकों का परिवहन किया गया। मिश्रा शुक्रवार को भी अपनी दलीलें जारी रखेंगे।
बता दें कि 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में मुंबई से 200 किमी दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। पहले महाराष्ट्र एटीएस इस मामले की जांच कर रही थी और बाद में इसे एनआईए को सौंपा गया था।
इस मामले में पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सात आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। वहीं एक आरोपी समीर कुलकर्णी के खिलाफ मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रसाद पुरोहित के अलावा मामले में अन्य आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं। सभी पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा चल रहा है।