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पराली जलाने से पर्यावरण और खेती को होता है नुकसान, जानें कानून के तहत जुर्माने का प्रावधान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Tanuja Yadav
Updated Sat, 24 Oct 2020 10:13 AM IST
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पराली जलाना (फाइल फोटो)
- फोटो : PTI
पराली जलाने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है, जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश जारी कर पराली ना जलाने की बात कही है। साथ ही किसानों को इससे खाद बनाने का निर्देश दिया है लेकिन इसके बाद भी पराली जलाने के मामले कम नहीं हो रहे हैं। पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक हस्तक्षेप कर चुके हैं।
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पराली जलाने से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है, जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश जारी कर पराली ना जलाने की बात कही है। साथ ही किसानों को इससे खाद बनाने का निर्देश दिया है लेकिन इसके बाद भी पराली जलाने के मामले कम नहीं हो रहे हैं। पराली जलाने पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक हस्तक्षेप कर चुके हैं।
दशहरे के बाद धान की फसल की कटाई शुरू हो जाएगी और उसके बाद किसान पराली जलाना शुरू कर देंगे। दशहरे के बाद केंद्र सरकार के निर्देश का पालन किया जाएगा और कितने राज्य अपने यहां किसानों को पराली से खाद बनाने के लिए प्रेरित करेंगे, इसका पता चलेगा। लेकिन पहले जानते हैं कि पराली जलाने से पर्यावरण को कितना नुकसान होता है...
इन गैसों का होता है उत्सर्जन
दशहरे के बाद धान की फसल की कटाई शुरू हो जाएगी और उसके बाद किसान पराली जलाना शुरू कर देंगे। दशहरे के बाद केंद्र सरकार के निर्देश का पालन किया जाएगा और कितने राज्य अपने यहां किसानों को पराली से खाद बनाने के लिए प्रेरित करेंगे, इसका पता चलेगा। लेकिन पहले जानते हैं कि पराली जलाने से पर्यावरण को कितना नुकसान होता है...
इन गैसों का होता है उत्सर्जन
- मीथेन
- कार्बन मोनो ऑक्साइड
- कार्बन डाइ ऑक्साइड
- पार्टिकुलेट मेटर (इससे वायुमंडल में कोहरा सा छा जाता है)
- तीन किलो पार्टिकुलेटर
- 60 किलो कार्बन मोनो ऑक्साइड
- 1460 किलो कार्बन डाइ ऑक्साइड
- दो किलो सल्फर डाइ ऑक्साइड
- 199 किलो राख
- 5.5 किलो नाइट्रोजन
- 2.3 किलो फास्फोरस
- 25 किलो पोटेशियम
- 1.2 किलो सल्फर
- फेफड़े की समस्या
- सांस लेने में तकलीफ
- कैंसर समेत अन्य रोग
मिट्टी की उर्वरक क्षमता होती है कम
पराली जलाने से राख पैदा होता है और उस जगह पर पाई जाने वाले सूक्ष्म जीवों का नाश हो जाता है। इससे फसलों की पैदावार कम हो जाती है और मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आती है।
पर्यावरण होता है प्रदूषित
पराली जलाने से मुख्य तौर पर हवा प्रदषित होती है। हवा में उपस्थित धुएं से आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होती है। प्रदूषित कणों की वजह से अस्थमा और खांसी जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा निमोनिया और दिल की बीमारी जैसे रोग भी बढ़ रहे हैं।
ज्यादा पराली जलाने से होती है धुंध
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में पराली जलाने से दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र में बहुत धुंध छा जाती है, जो कि कोहरे का रूप ले लेती है| इससे यातायात प्रभावित होता है और सड़क दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं।
पराली जलाने पर क्या कहता है कानून
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दस दिसंबर 2015 को फसल अवशेषों पर जलाने का प्रतिबंध लगा दिया था। पराली जलाने पर कानूनी तौर पर कार्रवाई भी की जाती है। पराली जलाने के दोषी पाने पर दो एकड़ भूमि तक 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
पर्यावरण होता है प्रदूषित
पराली जलाने से मुख्य तौर पर हवा प्रदषित होती है। हवा में उपस्थित धुएं से आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होती है। प्रदूषित कणों की वजह से अस्थमा और खांसी जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा निमोनिया और दिल की बीमारी जैसे रोग भी बढ़ रहे हैं।
ज्यादा पराली जलाने से होती है धुंध
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में बड़ी मात्रा में पराली जलाने से दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्र में बहुत धुंध छा जाती है, जो कि कोहरे का रूप ले लेती है| इससे यातायात प्रभावित होता है और सड़क दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं।
पराली जलाने पर क्या कहता है कानून
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दस दिसंबर 2015 को फसल अवशेषों पर जलाने का प्रतिबंध लगा दिया था। पराली जलाने पर कानूनी तौर पर कार्रवाई भी की जाती है। पराली जलाने के दोषी पाने पर दो एकड़ भूमि तक 2,500 रुपये, दो से पांच एकड़ भूमि तक 5,000 रुपये और पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।