अध्ययन: अनिद्रा-चिंता और अवसाद पीड़ितों में तीन तरह की परेशानी आम, 40000 लोगों के ब्रेन स्कैन से चला पता
अनिद्रा, (इंसोम्निया) चिंता (एंग्जाइटी) और अवसाद (डिप्रेशन) से पीड़ित लोगों के दिमाग में तीन मुख्य तरह की परेशानी आम होती हैं। इन तीन असामान्यताओं में से एक थैलेमस का छोटा होना है। यह दिमाग का वह हिस्सा है जो ध्यान और याददाश्त से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें कमी ध्यान भटकने और भूलने जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। दूसरी दो असामान्यताओं में दिमाग के अलग-अलग हिस्सों के बीच कमजोर संपर्क का होना है।
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अनिद्रा, (इंसोम्निया) चिंता (एंग्जाइटी) और अवसाद (डिप्रेशन) से पीड़ित लोगों के दिमाग में तीन मुख्य तरह की परेशानी आम होती हैं। यह खुलासा नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक नए शोध अध्ययन में हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे मरीजों के बेहतर इलाज की नई राह खुल सकती है, क्योंकि मौजूदा इलाज पूरी तरह कारगर नहीं हैं और अक्सर लक्षण लौट आते हैं।
इन तीन असामान्यताओं में से एक थैलेमस का छोटा होना है। यह दिमाग का वह हिस्सा है जो ध्यान और याददाश्त से जुड़ा होता है, इसलिए इसमें कमी ध्यान भटकने और भूलने जैसी समस्याएं पैदा कर सकती है। दूसरी दो असामान्यताओं में दिमाग के अलग-अलग हिस्सों के बीच कमजोर संपर्क का होना है। इससे दिमागी क्षेत्रों के बीच का आपसी संचार प्रभावित होता है। दिमाग की बाहरी परत (सेरेब्रल कॉर्टेक्स) का कम क्षेत्रफल याददाश्त और भाषा से जुड़ी क्षमताओं पर असर डालता है। अनिद्रा यानी नींद न आना या बार-बार नींद टूटना, पहले से मानसिक रोगों जैसे चिंता और अवसाद से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह अध्ययन इस रिश्ते को दिमागी सबूतों के साथ और मजबूत करता है।
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40000 से अधिक लोगों के ब्रेन स्कैन से चला पता
शोध टीम ने यूके बायोबैंक डाटाबेस से 40,000 से अधिक लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया। उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि इन मानसिक रोगों में क्या समानताएं और क्या अंतर हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स का छोटा क्षेत्रफल, थैलेमस का छोटा आकार और दिमागी हिस्सों के बीच कमजोर संपर्क ये सभी लक्षण तीनों मानसिक बीमारियों की गंभीरता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो लक्षण केवल अनिद्रा, चिंता या अवसाद में अलग-अलग पाए जाते हैं, वे अक्सर इसी एमिग्डाला-हिप्पोकैम्पस-मध्य प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स सर्किट के कई हिस्सों से जुड़े होते हैं। इससे पता चलता है कि ये रोग कितने गहराई से जुड़े हुए हैं और आगे शोध और इलाज के लिए नई दिशा दे सकते हैं।
दिमाग की बाहरी परत पतली तो डिप्रेशन गंभीर
नीदरलैंड्स की व्रीजे यूनिवर्सिटी एम्स्टर्डम की शोधकर्ता एलेके टिस्सिंक कहती है कि कुछ दिमागी असामान्यताएं तीनों रोगों में सामान्य हैं, लेकिन कुछ केवल एक विशेष रोग में देखी जाती हैं। जैसे, अनिद्रा की गंभीरता उन दिमागी हिस्सों में छोटे आकार से जुड़ी हैं जो इनाम और खुशी से जुड़े होते हैं। टिस्सिंक ने बताया कि अवसाद की गंभीरता दिमाग की बाहरी परत के पतले होने से जुड़ी होती है, खासकर उन हिस्सों में जो भाषा और भावना को नियंत्रित करते हैं। इससे यह समझा जा सकता है कि अवसाद से पीड़ित लोगों को भावनाएं व्यक्त करने या नियंत्रित करने में क्यों मुश्किल पेश आती है।
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दिमाग के डर और खतरे से जुड़ी भावनाओं वाले हिस्से के काम न करने से होती है चिंता
चिंता की बात करें तो यह तब अधिक गंभीर हो जाती है जब दिमाग का डर और खतरे से जुड़ी भावनाओं को प्रोसेस करने वाला हिस्सा एमिगडाला सही से प्रतिक्रिया नहीं देता। टिसिंक के अनुसार, साथ ही, डोपामिन, ग्लूटामेट और हिस्टामिन जैसे रासायनिक पदार्थों के जरिए दिमाग के हिस्सों में संदेशों का लेन-देन भी कमजोर हो जाता है। हालांकि, ये प्रभावित हिस्से अलग-अलग लग सकते हैं।
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