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सुप्रीम कोर्ट: आध्यात्मिक गुरु की याचिका खारिज, ब्रिटनी स्पीयर्स के मामलों का किया जिक्र
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Tue, 06 Jul 2021 10:56 PM IST
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सार
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को 21 वर्षीय एक महिला की ‘आध्यात्मिक गुरु’ की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया जिसमें केरल उच्च न्यायलय के फैसले को चुनौती दी गई है। केरल उच्च न्यायालय ने महिला को उसके माता-पिता के संरक्षण में भेजेत हुए कहा कि महिला की मानसिक हालत सही नहीं है। याचिका में आग्रह किया गया कि महिला को अपनी पसंद के मुताबिक ‘आध्यात्मिक जीवन’ के लिए उक्त व्यक्ति के साथ रहने दिया जाए।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
शीर्ष अदालत ने राहत देने से इनकार करते हुए अमेरिका के ब्रिटनी स्पीयर्स के मामलों का जिक्र किया जहां पॉप सिंगर अपने पिता की रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। अदालत ने कहा कि वहां बीमारी का इलाज भी व्यक्ति की सहमति के बगैर नहीं किया जा सकता है।
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मामले में सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि भारत में परिवारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और 'कोई भी सामान्य तौर पर स्वीकार नहीं करता कि बच्चे को किसी तरह की मानसिक समस्या है।'
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पीठ ने कहा, 'वह उक्त व्यक्ति के पास इलाज के लिए गई और उन्होंने उसके साथ संबंध प्रगाढ़ करने शुरू कर दिए... बहरहाल वह अलग मुद्दा है... हम लड़की के हित को देख रहे हैं। इस मामले में हम नहीं चाहते कि वह याचिकाकर्ता के साथ जाए। यह बेहतर है कि वह अपने माता-पिता के साथ रहे। हम 'गुरु जी' और 'स्वामी जी' की स्थिति को जानते हैं।'
42 वर्षीय 'आध्यात्मिक गुरु' कैलाश नटराजन के पहले की बातों का जिक्र करते हुए पीठ ने यह याचिका खारिज कर दी कि लड़की वयस्क है और उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने के अधिकार की अनुमति दी जाए। नटराजन पोक्सो के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का पहले से सामना कर रहा है। पीठ ने कहा, 'लड़की की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है...।'
नटराजन ने अपनी याचिका में कहा कि वह महिला का 'आध्यात्मिक गुरु' है, महिला वयस्क है जो 'आध्यात्मिक जीवन' के लिए उसके साथ रहना चाहती है लेकिन उसके माता-पिता उसकी इच्छाओं का विरोध कर रहे हैं।