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एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला: सुप्रीम कोर्ट से एक्टिविस्ट ज्योति जगताप को बड़ी राहत, अंतरिम जमानत मंजूर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Wed, 19 Nov 2025 03:27 PM IST
सार

हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता-सह-गायिका की ओर से दायर उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें फरवरी 2022 में एक विशेष अदालत की ओर से उसे जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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Supreme Court grants interim bail to activist Jyoti Jagtap in Elgar Parishad Maoist links case
सुप्रीम कोर्ट ने दी ज्योति जगताप को अंतरिम जमानत - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद मामले में बुधवार को एक्टिविस्ट ज्योति जगताप को अंतरिम जमानत दे दी। ज्योति जगताप को 2020 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस एम. एम. सुंद्रेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने ये आदेश दिया। जगताप की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील अपर्णा भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि ज्योति 5 साल से ज्यादा समय से हिरासत में हैं। वकील करिश्मा मारिया भी जगताप की ओर से पेश हुई थीं। 

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हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि जगताप कबीर कला मंच (केकेएम) समूह की एक सक्रिय सदस्य थीं, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में अपने नाट्य नाटक के दौरान न केवल आक्रामक, बल्कि बेहद भड़काऊ नारे भी लगाए थे। हाईकोर्ट ने कहा था, "हमारा विचार है कि अपीलकर्ता (जगताप) के खिलाफ एनआईए के उन आरोपों या अभियोगों को प्रथम दृष्टया सत्य मानने के उचित आधार हैं, जिनमें उसने आतंकवादी कृत्य की साजिश रची, प्रयास किया, उसकी वकालत की और उसे बढ़ावा दिया।"
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एनआईए के अनुसार, केकेएम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का एक मुखौटा संगठन है। हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता-सह-गायिका की ओर से दायर उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें फरवरी 2022 में एक विशेष अदालत की ओर से उसे जमानत देने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

2017 का एल्गार परिषद सम्मेलन पुणे शहर के मध्य में स्थित 18वीं सदी के किले शनिवारवाड़ा में आयोजित किया गया था। इसी कार्यक्रम में अन्य केकेएम सदस्यों के साथ गाने और भड़काऊ नारे लगाने की आरोपी जगताप को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में बंद हैं। जांचकर्ताओं के अनुसार, सम्मेलन में कथित तौर पर दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण 1 जनवरी, 2018 को पुणे के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़की थी।

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