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Supreme Court: महिला वकील के कथित उत्पीड़न मामले में नोटिस जारी; अदालत ने कहा- CCTV फुटेज को सुरक्षित रखें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Fri, 19 Dec 2025 02:12 PM IST
सार
नोएडा के सेक्टर-126 थाने में महिला वकील से कथित हिरासत में यौन उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया। सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के आदेश दिए गए।
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सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
नोएडा के एक पुलिस थाने में महिला वकील से कथित हिरासत में यौन उत्पीड़न और अवैध नजरबंदी के गंभीर आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने गौतम बुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को स्पष्ट निर्देश दिया है कि संबंधित अवधि की सीसीटीवी फुटेज को न तो हटाया जाए और न ही नष्ट किया जाए। अदालत ने आदेश दिया कि फुटेज को सीलबंद कवर में सुरक्षित रखा जाए।
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7 जनवरी को अगली सुनवाई
हालांकि अदालत ने शुरुआत में याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी, लेकिन आरोपों की गंभीरता और CCTV से जुड़े मुद्दे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई का फैसला किया। मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। सुनवाई के दौरान महिला वकील की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया। इस पर पीठ ने कहा कि अदालत के आदेश के बाद अब कोई उन्हें छूने की हिम्मत नहीं करेगा।
वरिष्ठ वकील ने बताया ‘बेहद गंभीर मामला’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इसे “बेहद गंभीर और शर्मनाक” मामला बताया। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली से सटे नोएडा में इस तरह की घटना हो सकती है, तो देश के अन्य हिस्सों की स्थिति की कल्पना करना मुश्किल नहीं है।
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SIT या CBI जांच की मांग
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस मामले में संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं और निष्पक्ष जांच के लिए मामले को विशेष जांच दल (SIT) या सीबीआई को सौंपा जाए।
14 घंटे की अवैध हिरासत और उत्पीड़न का आरोप
महिला वकील ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि 3 दिसंबर की रात, जब वह अपने मुवक्किल की ओर से कानूनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, तब नोएडा के सेक्टर-126 थाने में उन्हें करीब 14 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। इस दौरान उनके साथ यौन उत्पीड़न, शारीरिक हिंसा और मानसिक दबाव डाला गया।
CCTV बंद करने का भी आरोप
याचिका में दावा किया गया है कि घटना के समय पुलिस स्टेशन के CCTV कैमरे जानबूझकर बंद कर दिए गए या हटा दिए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का सीधा उल्लंघन है। साथ ही आरोप लगाया गया कि पुलिस अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार किया और पीड़िता को धमकियां दी गईं।
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