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SC: सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्ष की दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात कराने की इजाजत, करीब 30 हफ्ते का है गर्भ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 22 Apr 2024 11:17 AM IST
सार

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है। इनमें बलात्कार पीड़िताओं और कुछ अन्य महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिग को शामिल किया गया है।

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Supreme Court permits 14-year-old alleged rape survivor to undergo termination of her almost 30-week pregnancy
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 14 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता को 30 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी। इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के लड़की को गर्भ गिराने की मंजूरी न देने के फैसले को भी पलट दिया। कोर्ट ने डॉक्टरों के एक्सपर्ट पैनल के नेतृत्व में पीड़िता की प्रेग्नेंसी को खत्म करने का निर्देश दिया। 
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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के सायन स्थित लोकमान्य तिलक महानगरपालिका सर्वसाधारण रुग्णालय एवं वैद्यकीय महाविद्यालय (एलटीएमजीएच) के डीन को निर्देश दिया कि वह नाबालिग के गर्भपात के लिए चिकित्सकों के दल का तत्काल गठन करें।
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बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है। इनमें बलात्कार पीड़िताओं और कुछ अन्य महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिग को शामिल किया गया है।

14 वर्षीय कथित दुष्कर्म पीड़िता का मामला
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई की थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय कथित दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया था। मामले में नाबालिग की मां ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भावस्था को काफी समय हो जाने के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। 

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ में सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को ही पीड़िता की ओर से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को लेकर भेजे गए एक ई-मेल पर गौर किया। इसके बाद मामले की तत्काल सुनवाई के लिए शाम करीब साढ़े चार बजे कार्यवाही शुरू हुई। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं। पीठ ने मुंबई के सायन अस्पताल से पीड़िता की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। पीठ ने कहा था कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे और इसकी रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 22 अप्रैल को अदालत के समक्ष रखी जाएगी। मामले पर सोमवार को 10.30 बजे सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नाबालिग 30 सप्ताह की गर्भवती है और फिलहाल मुंबई में है।
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