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सुप्रीम कोर्ट : पुराने वाहनों पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका खारिज, गैरजरूरी अर्जी देने के लिए दो वकीलों पर लगाया आठ लाख का जुर्माना
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Wed, 18 May 2022 06:54 AM IST
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सार
पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि पहले से ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में सब कुछ पर विचार किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिल्ली के परिवहन विभाग को दिल्ली एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : ani
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल व 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही याचिका दाखिल करने वाले दो वकीलों पर गैरजरूरी अर्जी देने के लिए आठ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने वकील अनुराग सक्सेना की जनहित याचिका को फालतू बताते हुए खारिज कर दिया।
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साथ ही पीठ ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वकील द्वारा दायर किसी भी रिट याचिका को पंजीकृत न करे। पीठ ने आदेश में कहा, सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे दो वकीलों ने दुस्साहस किया है। हमने उन्हें इसके बारे में चेतावनी दी थी। हम याचिकाकर्ता पर आठ लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं। रजिस्ट्री याचिकाकर्ता वकील की किसी भी रिट याचिका पर विचार नहीं करेगी।
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जनहित याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में वाहनों पर 10 साल और 15 साल की सीमा भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता का कहना था कि वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से अधिक कार्बन फुटप्रिंट पैदा होंगे। इसलिए 10 व 15 साल का नियम अनुचित है। याचिकाकर्ता ने दलील दी, केवल कुछ जगहों के लिए ही यह क्यों है? हर जगह क्यों नहीं? शिमला में दिल्ली से अधिक प्रदूषण है।
पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही दी वकील को चेतावनी
पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि पहले से ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में सब कुछ पर विचार किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में दिल्ली के परिवहन विभाग को दिल्ली एनसीआर में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
जस्टिस राव ने याचिकाकर्ता वकील को आगाह किया था, आपने एनजीटी के आदेश और हर दूसरे आदेश को देखा है और फिर भी आपने यह याचिका दायर की है। क्या आप फिर भी इस बारे में बहस करना चाहते हैं? हम भारी दंड लगाएंगे और टिप्पणियां पारित करेंगे जो आपके करियर को लंबी अवधि में प्रभावित करेगा। इसके बाद भी याचिकाकर्ता वकील ने कहा, वह दलील पेश करना चाहते हैं। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आठ लाख का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।