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SC Updates: कर्नाटक सीएम के निर्वाचन को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धारमैया को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Mon, 08 Dec 2025 03:35 PM IST
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Supreme court updates notice to Karnataka CM on plea challenging his election from Varuna constituency
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के 2023 में वरुणा विधानसभा क्षेत्र से उनके चुनाव को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धारमैया को नोटिस जारी किया है। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने के. शंकरा नाम के व्यक्ति की याचिका पर सिद्धारमैया को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
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हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
शंकरा ने कर्नाटक हाई कोर्ट के 22 अप्रैल के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें वरुणा विधानसभा क्षेत्र से सिद्धारमैया के चुनाव को अमान्य घोषित करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया ने रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1951 के प्रावधान का उल्लंघन किया है। हाईकोर्ट ने शंकरा की चुनाव याचिका खारिज कर दी थी।
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झारखंड के प्रतिबंधित संगठन के जोनल कमांडर को मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रतिबंधित तृतीय प्रस्तुति कमेटी (TPC) के एक कथित जोनल कमांडर को अंतरिम जमानत दे दी। उस पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून और आर्म्स एक्ट के तहत रंगदारी और आतंकी वित्तपोषण के आरोपों में मुकदमा चल रहा है। TPC प्रतिबंधित CPI(माओवादी) का एक अलग ग्रुप है। दशरथ सिंह भोक्ता उर्फ दशरथ गंझू को राहत देते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने इस बात पर ध्यान दिया कि दूसरे मुख्य आरोपी पहले से ही जमानत पर बाहर हैं।

सुप्रीम कोर्ट: राजस्व के बिना नगर निकाय नहीं चल सकते, आदेश रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजस्व के बिना नगर निकाय अपने वैधानिक दायित्व पूरे नहीं कर सकते और इससे शहरों में अव्यवस्था, बीमारियों और जीवन-स्तर में गिरावट का खतरा बढ़ जाता है। कोर्ट ने बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ का वह फैसला रद्द कर दिया, जिसमें अकोला नगर निगम द्वारा 16 साल बाद बढ़ाए गए संपत्ति कर को खारिज किया गया था। अदालत ने कहा कि समय के साथ बढ़ती लागत के अनुरूप करों का संशोधन जरूरी है, वरना निकाय निष्क्रिय हो जाएंगे।

पीठ ने कहा कि शहरी नियोजन, कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य, सफाई और बुनियादी ढांचा नागरिक जीवन के लिए अनिवार्य हैं और नगर निकायों को वित्तीय स्वायत्तता मिलना जरूरी है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार पर निर्भर ढांचा कमजोर होता है और इसलिए संपत्ति कर दरों में समय-समय पर संशोधन की शक्ति नगर निकायों को दी गई है ताकि उनकी कार्यप्रणाली प्रभावित न हो।

सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धारमैया को नोटिस, चुनाव रद्द करने की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को नोटिस जारी कर उनसे 2023 के वरुणा विधानसभा चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में दी गई “पांच गारंटी” मतदाताओं को प्रभावित करने वाली “कपटी प्रथा” हैं और इससे चुनाव रद्द किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने पूछा कि घोषणापत्र को भ्रष्ट प्रथा कैसे माना जा सकता है, जबकि 2013 के फैसले में साफ कहा गया है कि घोषणाओं को RP एक्ट की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट पहले ही याचिका खारिज कर चुका था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई करेगा।

पत्रकार महेश लांगा की जमानत पर ईडी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार महेश लांगा की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका पर ईडी से तीन दिनों में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि यदि जरूरी हो तो ईडी के जवाब पर दो दिनों में प्रतिवाद दाखिल करें। ईडी ने तर्क दिया कि पत्रकार पर जबरन वसूली सहित कई गंभीर आरोप हैं।

अदालत ने कहा कि लांगा पर छह मामले दर्ज हैं और गुजरात हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि यदि उन्हें रिहा किया गया तो जांच प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सवाल उठाया कि वह किस तरह के पत्रकार हैं, लेकिन सिब्बल ने कहा कि आरोप साबित नहीं हैं। अब अदालत मामले पर आगे विचार करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने जंगल और झील मामलों के सीधे पहुंचने पर जताई हैरानी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सवाल उठाया कि देशभर के जंगल और झीलों से जुड़े मामले हाई कोर्टों को छोड़कर सीधे उसके पास क्यों भेजे जा रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि अधिकतर मामले 1995 से लंबित गोडावर्मन PIL के जरिए अंतरिम आवेदन बनाकर दाखिल किए जा रहे हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि कई स्थानीय मुद्दे हाई कोर्ट ही निपटा सकते हैं। सुर्खियों में आए सुखना झील मामले पर भी अदालत ने राज्य और केंद्र से स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
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