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Supreme Court: नोएडा मुआवजा घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- पुराने अफसर भी होंगे जांच के दायरे में
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 10 Dec 2025 07:55 PM IST
सार
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा मुआवजा घोटाले की जांच कर रही एसआईटी को दो महीने का अतिरिक्त समय दिया और आदेश दिया कि पिछले 10-15 वर्षों में नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और अन्य अधिकारियों की भी जांच की जाए।
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सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा मुआवजा घोटाले की जांच को और गहराई तक ले जाने का आदेश देते हुए एसआईटी (विशेष जांच दल) को दो महीने का अतिरिक्त समय दिया है। अदालत ने साफ कहा कि पिछले 10-15 वर्षों में नोएडा प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और दूसरे जिम्मेदार पदों पर रहे सभी अधिकारियों की भी जांच की जानी जरूरी है। अदालत ने यह संकेत भी दिया कि व्यवस्था में लंबे समय से मौजूद गड़बड़ियों को बिना किसी दखल के उजागर किया जाएगा।
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यह मामला उस आरोप से जुड़ा है जिसमें कहा गया कि नोएडा प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों ने बिल्डरों के साथ मिलकर किसानों को उनके अधिकार से ज्यादा मुआवजा दिलाया। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए थे और कहा था कि शुरुआती जांच में मिलीभगत के गंभीर संकेत मिले हैं। बुधवार को अदालत को बताया गया कि एसआईटी ने 26 अक्तूबर 2025 को अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है और जांच आगे बढ़ाने के लिए समय की जरूरत है। इस पर अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि मुआवजा घोटाले में लंबे समय से निर्णय लेने वाले अफसर भी जांच के दायरे में होंगे।
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अदालत का सख्त निर्देश
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि एसआईटी को पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है, इसलिए अब जांच को तेजी से आगे बढ़ाना जरूरी है। अदालत ने दो महीने का अतिरिक्त समय देते हुए उम्मीद जताई कि एसआईटी इस मामले को तर्क आधारित निष्कर्ष तक ले जाएगी। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नोएडा प्राधिकरण की ओर से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने दोहराया कि जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और बिना किसी दबाव के आगे बढ़ेगी।
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अदालत का आश्वासन
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता किसानों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि पहले दिए गए आदेश में किसानों की सुरक्षा का जिक्र था, लेकिन नवीनतम आदेश में इसका उल्लेख नहीं है, जिससे आशंका पैदा हो रही है। इस पर सीजेआई ने स्पष्ट कहा कि किसानों को मिली सुरक्षा में कोई बदलाव नहीं होगा। अदालत ने जोर देकर कहा कि जिन किसानों को अधिक भुगतान किया गया, उन्हें न दंडित किया जाएगा और न ही किसी प्रकार की जबरदस्ती की जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि यदि भुगतान गलती से हुआ है और किसान कानून के तहत संरक्षण के योग्य हैं, तो उन्हें सुरक्षा मिलती रहेगी।
एसआईटी की जांच का दायरा
अदालत ने कहा कि एसआईटी को जांच में पूरी स्वतंत्रता रहेगी और वह किसी भी अधिकारी की भूमिका, संपत्ति, बैंक खाते और फैसलों की समीक्षा कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी यह टिप्पणी की थी कि जमीन अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया में बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई, जो सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। इसलिए इस जांच का लक्ष्य उन अधिकारियों की पहचान करना है जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर किसानों और सरकारी खजाने दोनों को नुकसान पहुंचाया। अदालत ने यह भी माना कि यह मामला सिर्फ मुआवजा बढ़ाने का नहीं बल्कि गहरी संस्थागत खामियों का है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद स्पष्ट हो गया है कि नोएडा प्राधिकरण में वर्षों से चली आ रही निर्णय प्रक्रिया की जांच अब सतही नहीं रह जाएगी। अदालत ने आदेश दिया है कि एसआईटी पूरी ठोस और निष्पक्ष प्रक्रिया से जांच करे और किसी भी स्तर पर मिलीहरी चुनौतियों को सामने लाए। यह मामला अब केवल जमीन विवाद या गलत भुगतान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शासन, पारदर्शिता और संस्थागत जवाबदेही की एक बड़ी परीक्षा बन चुका है। अदालत ने इस जांच को “महत्वपूर्ण जनहित मुद्दा” बताते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर सच सामने लाया जाएगा।
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