राष्ट्रीय तिनका तिनका इंडिया पुरस्कार: जेल में भी खिली प्रतिभाएं, मानवाधिकार दिवस पर 18 कैदियों को मिला सम्मान
मानवाधिकार दिवस पर आयोजित तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2025 के तहत इस बार 18 कैदियों को सम्मान मिला। ‘जेल में संगीत’ थीम पर पेंटिंग कैटेगरी में 13 सजायाफ्ता और 5 विचाराधीन कैदी चुने गए। पहला पुरस्कार पश्चिम बंगाल के तपस मंडल को मिला, जिन्होंने संगीत विरासत को खूबसूरती से चित्रित किया। आइए जानते हैं और किन-किन कैदियों को सम्मान मिला है?
मानवाधिकार दिवस पर आयोजित तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2025 के तहत इस बार 18 कैदियों को सम्मान मिला। ‘जेल में संगीत’ थीम पर पेंटिंग कैटेगरी में 13 सजायाफ्ता और 5 विचाराधीन कैदी चुने गए। पहला पुरस्कार पश्चिम बंगाल के तपस मंडल को मिला, जिन्होंने संगीत विरासत को खूबसूरती से चित्रित किया। आइए जानते हैं और किन-किन कैदियों को सम्मान मिला है?
विस्तार
मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स 2025 का आयोजन किया गया। इसके तहत इस साल कुल 18 कैदियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनमें से 13 सजा काट रहे और पांच विचाराधीन कैदी हैं। इस साल की पेंटिंग कैटेगरी का विषय था 'जेल में संगीत'। इस कैटेगरी में 11 पुरुष और दो महिलाएं विजेता बनीं। पश्चिम बंगाल के तपस मंडल ने पहला पुरस्कार जीता। तपस 2008 से बहरामपुर केंद्रीय जेल में हैं और मानसिक रूप से परेशान हैं। उन्होंने अपनी पेंटिंग में भारत की संगीत विरासत को जीवंत चित्रों और शास्त्रीय इमेजरी के माध्यम से दिखाया।
दूसरे पुरस्कार को दो कैदियों में बांटा गया
वहीं बात दूसरे पुरस्कार की करें तो इस पुरस्कार को दो कैदियों में बांटा गया है, जिसमें पहला नाम रजनीकांत छितुभाई चौहान जो कि गुजतार के सूरत जेल में हैं। उन्होंने जेल में संगीत और रचनात्मकता की शक्ति को दर्शाने वाली पेंटिंग बनाई। वहीं दूसरा नाम छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जेल में बंद शेर सिंह का है, जिन्होंने जेल के भीतर कैदियों की पढ़ाई और संगीत की गतिविधियों को दिखाते हुए एक प्रेरक स्केच तैयार किया।
रोहन पाई ने भी पेंटिंग से जीता पुरस्कार
इसके साथ ही गोवा की जेल में बंद रोहन पाई धुंगट ने भी अपनी पेंटिंग से पुरस्कार जीता। उनके चित्र में जेल की कोठरी और पियानो जैसी फर्श की पटरियों के माध्यम से आजादी और कैद का अंतर दिखाया गया है। रोहन ने जेल में रहते हुए कई शैक्षणिक डिग्रियां हासिल की हैं।
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नौ कैदियों को मिला सांत्वना पुरस्कार
बता दें कि इस साल नौ कैदियों को सांत्वना पुरस्कार मिला। इनमें गुजरात की जेल में बंद प्रजापति हार्दिक और डॉ. रोहित रमेशभाई लोनकर, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की जेल में बंद रेशमा और धर्मेंद्र, पश्चिम बंगाल की जेल में बंद शोवन सरकार , हरियाणा की जेल में बंद रोशनी, चंडीगढ़ की जेल में बंद डेविड, उत्तर प्रदेश की जेल में बंद कृष्ण कुमार और पश्चिम बंगाल की जेल में बंद अफताब आलम का नाम शामिल। इन सभी ने अपनी पेंटिंग में जेल में संगीत के सकारात्मक प्रभाव और आशा का संदेश दिखाया।
चार कैदियों को मिला विशेष उल्लेख पुरस्कार
वहीं इस अवसर पर चार कैदियों को 'विशेष उल्लेख' पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने जेल में असाधारण काम किया। इनमें अंडमान की जेल में बंद बिटन दास, गुजरात की जेल में बंद तुकाराम भाई वसावा, मध्य प्रदेश की जेल में बंद आराम और उत्तराखंड की जेल में बंद मोहन सिंह दानु का नाम शामिल है।
किसे मिला तिनका-तिनका बंदिनी पुरस्कार?
वहीं इस साल तिनका तिनका बंदिनी पुरस्कार 38 साल की पानबाई (जबलपुर, मध्य प्रदेश) को मिला। पानबाई महिला कैदियों और उनके बच्चों की देखभाल में सक्रिय रही हैं।
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तिनका तिनका पुरस्कार के बारे में
गौरतलब है कि तिनका तिनका भारत पुरस्कार भारत का अकेला पुरस्कार है जो जेल के बंदियों और कारागार स्टाफ की प्रतिभा और योगदान को सम्मानित करता है। इस फाउंडेशन ने अब तक 50 से अधिक जेल प्रशासकों और 170 कैदियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कृत किया है। इस बार पुरस्कार देने वाले जूरी में सेवानिवृत्त आईपीएस अरविंद कुमार, डॉ. रश्मि सिंह और तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक प्रो वर्तिका नन्दा शामिल थे।
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