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Surat: 'पत्नी अपनी इच्छा से बेटी को दिलाना चाहती है संन्यास', बच्ची की कस्टडी के लिए पिता पहुंचा को
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सूरत
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 10 Dec 2025 08:07 PM IST
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(सांकेतिक)
- फोटो : ANI
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जैन समुदाय के एक शख्स ने परिवार अदालत में अपनी सात साल की बेटी की कस्टडी को लेकर अर्जी दी है। उसका दावा है कि उसकी अलग रह रही पत्नी ने उसकी मर्जी के खिलाफ बच्ची साध्वी के तौर पर 'दीक्षा' दिलवाने का फैसला किया है। जबकि बच्ची इतनी छोटी है कि स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकती।
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अभिभावकता और संरक्षक अधिनियम, 1890 के तहत दायर इस याचिका पर परिवार अदालत (फेमिली कोर्ट) के न्यायाधीश एसवी मनसुरी ने बुधवार को पत्नी को नोटिस जारी कर 22 दिसंबर तक जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि 2012 में विवाह के बाद दंपती के दो बच्चे हुए और 2024 से दोनों अलग रह रहे हैं।
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पिता के अनुसार, उन्होंने बेटी के भविष्य में दीक्षा लेने के विचार पर बातचीत की थी और सहमति यह बनी थी कि वह परिपक्व होने के बाद ही ऐसा कदम उठाएगी। लेकिन पत्नी ने कथित रूप से फरवरी 2026 में मुंबई में होने वाले सामूहिक दीक्षा समारोह में बच्ची को शामिल करने पर जोर दिया। याचिका में दावा किया गया है कि अप्रैल 2024 में पत्नी दोनों बच्चों को लेकर मायके चली गई और कहा कि वह तभी लौटेगी, जब पिता बेटी की दीक्षा के लिए तैयार हों। बाद में उसने पति की सहमति के बिना भी दीक्षा करवाने की बात कही।
शख्स ने पत्नी पर लगाए गंभीर आरोप
पिता का कहना है कि पत्नी बार-बार बच्ची को धार्मिक आयोजनों में ले जाती थी और एक बार तो वह बच्ची को अहमदाबाद स्थित एक गुरु के आश्रम में छोड़ आई, जिसकी जानकारी उन्हें बाद में मिली। याचिका में यह भी आरोप है कि जब पिता को पता चला कि बच्ची मुंबई के एक जैन भिक्षु के आश्रम में छोड़ दी गई है और वे उसे मिलने पहुंचे, तो उन्हें रोक दिया गया। पिता ने अदालत से आग्रह किया है कि उसकी नाबालिग बेटी के हितों की रक्षा के लिए उसे बच्ची का कानूनी अभिभावक नियुक्त किया जाए। अदालत अब पत्नी की प्रतिक्रिया पर आगे की सुनवाई करेगी।