{"_id":"67fe6d252813c1d59907d3f9","slug":"tamil-nadu-assembly-elections-2026-bjp-and-dmk-starts-making-own-calculations-for-election-2025-04-15","type":"story","status":"publish","title_hn":"तमिलनाडु: भाजपा और गृहमंत्री डाल-डाल तो स्टालिन और कांग्रेस चल रही है पात-पात, चुनाव को लेकर ऐसे बन रहा गणित","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
    तमिलनाडु: भाजपा और गृहमंत्री डाल-डाल तो स्टालिन और कांग्रेस चल रही है पात-पात, चुनाव को लेकर ऐसे बन रहा गणित
            सार 
            
            
        
                                    
                तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और डीएमके ने कमर कस ली है। चुनाव से पहले राज्य में माहौल काफी गर्म है।
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	न्यूनतम साझा कार्यक्रम के दांव से भाजपा फंसाएगी पेंच 
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	पीएमके, केवीटी, जतिगत गोलबंदी बनाएगी किंग मेकर 
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	चुनाव से 11 महीने पहले ही राज्य में चढ़ा राजनीतिक पारा 
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                        तमिलनाडु विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियों की रणनीति
                                    - फोटो : ANI 
                    
    
        
    
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विस्तार
                                                 
                भाजपा तमिलनाडु में राजनीतिक व्यूह रचना कर रही है। उसके तेवर देख मुख्यमंत्री और डीएमके नेता एमके स्टालिन तमिल अस्मिता को ढाल बना रहे हैं। वह ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जहां सरकार विरोधी वोट 10-12 प्रतिशत तक पड़ते हैं। सभी दलों, जातियों के वोट फिक्स हैं और महज 4-5 प्रतिशत फ्लोटिंग वोट राज्य तस्वीर बदल देता है। ऐसे में जहां भाजपा तमिलनाडु में डाल-डाल चल रही है, डीएमके और कांग्रेस पात-पात चल रही है। देखना है होगा क्या?
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
यह भी पढ़ें - Tamil Nadu: 'भाजपा-AIADMK करेंगे सीट बंटवारे का फैसला', टीटीवी-OPS को समायोजित करने के सवाल पर नयनार नागेंद्रन    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
पहले बात भाजपा और एआईडीएमके की...
तमिलनाडु में 11 महीने बाद चुनाव प्रस्तावित है। भाजपा ने दो सुनहरे दांव चले और इससे सत्ता पक्ष में खलबली मच गई। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह घोषणा कर आए और उनसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंबन ब्रिज के लोकार्पण में बीजा रोपण कर चुके हैं। एआईएडीएमके नेता डॉ. वी मैत्रेयन कहते हैं कि 2026 में 100 फीसदी हमारी सरकार तय है। लेकिन अभी ज्यादा कुछ कहने का फायदा नहीं। दो ध्रुवीय चुनाव होगा और इसमें करीब सालभर का समय है। डॉ. मैत्रेयन जब ऐसा कहते हैं तो उनकी आवाज में आत्मविश्वास झलकता है। मैत्रेयन कभी जयललिता के बेहद करीबियों में थे। भाजपा ने के. अन्नामलाई के स्थान पर नैनार नागेन्द्रन को नया अध्यक्ष चुन लिया। नैनार जिस जाति के हैं, वह तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जे. जयललिता का कोर वोट रही है। इसके छिटकने की संभावना थी। भाजपा ने फ्लोटिंग वोट में बदलने के पहले नागेन्द्रन को अध्यक्ष बना दिया। एआईएडीएमके के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा हो गई। अमित शाह ने संकेत दे दिया कि मुख्य भूमिका एआईडीएमके की रहेगी। बैठक में साफ कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम से आगे बढ़ेंगे। इसके बाद अब एआईडीएमके और भाजपा की एकजुटता के रंग लाने की उम्मीद है। दिलचस्प रणनीति है। भरोसा भी कि दिल्ली आपके साथ है और नए सहयोगियों को जोड़ने से भी परहेज नहीं। भाजपा के नेता तरुण चुघ तो अभी से वहां दादा-पोता, पिता, भतीजा, भाई-भतीजा और परिवारवाद की राजनीति पर हमला बोलने लगे हैं।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
रणनीतिकारों की निगाह इस गणित पर भी
भाजपा नेता मुरलीधर राव हों या अन्य तमिलनाडु को कई नजरिए से देख रहे हैं। निगाह में एमके स्टालिन सरकार और परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, जनता की नाराजगी, जातिगत, दलगत गोलबंदी प्रमुखता से हैं। अभिनेता से नेता बने थलपति विजय ने भी पिछले साल अपनी पार्टी तमिल वेट्टी कषगम लांच कर दी है। विजय का जलवा है। युवाओं में गजब के लोकप्रिय हैं। वह पेरियार और अंबेडकर से जोड़कर सामाजिक समानता, समता की बात कर रहे हैं। पेरियार जाति में वह खासा जनाधार रखते हैं। थलपति के अलावा पीएमके भी है। उसका वोटबैंक है और जिधर पीएमके जाएगी, जातियों की गोलबंदी में खेल होना पक्का है। राज्य में 60-70 फीसदी मतदान होता है। 20-25 प्रतिशत मतदाता न्यूट्रल रहते हैं। मतदान के पैटर्न में धार्मिक आधार नहीं चलता। जातियां हावी रहती हैं। 4-5 प्रतिशत हवा के साथ चलने वाले वोट दिशा बदल देते हैं। 1996 में तो रातों रात बस एक फैक्टर पर खेल हो गया था। वहीं लोगों में जिस तरह की स्टालिन सरकार को लेकर नाराजगी है, सरकार विरोधी वोट 8 प्रतिशत से अधिक पड़ने की संभावना है। फिर जातियों में भी क्रिश्चियन, हिन्दू या द्रविड़ हैं। धर्मांतरण वाले भी हैं।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                                                                
                                
                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
स्टालिन को कम न समझिए, एम करुणानिधि के जमाने से हैं तुरुप का इक्का
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपनी सरकार से नाराजगी का एहसास है। मंत्रिमंडल के सदस्य तक स्टालिन परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। एक मंत्री को स्टालिन ने खुद अपनी पत्नी और सौतेली बहन कनिमोझी के दबाव में अशोभनीय बयान के लिए मंत्रिमंडल से हटा दिया। फिलहाल स्टालिन भाजपा के हर दांव को तमिलनाडु की अस्मिता का सवाल खड़ा करके गिराने में लगे हैं। कांग्रेस के नेता एसवी रमणी कहते हैं कि तमिलनाडु भावनात्मक रूप से संवेदनशील राज्य है। यहां के लोगों में तेजी से खबर फैल रही है कि तमिलियों पर हिन्दी थोपी जा रही है। रमणी के मुताबिक परिसीमन का मुद्दा जनता के बीच में इतना नहीं चलेगा, लेकिन शिक्षा और भाषा का गंभीर विषय है। एसवी कहते हैं तमिलनाडु में उत्तर भारत की धर्म और हिन्दुत्व की राजानीति नहीं चलने वाली। यहां दलित राजनीति अलग पैटर्न पर खेलती है। द्रविड़ों का मुद्दा अलग पैंतरें पर चलता है। चुनाव में जातियां प्रभावी होती हैं और लगभग सभी पार्टियों के वोट करीब-करीब फिक्स होते हैं। जिनके साथ 4-5 प्रतिशत लोग चुनावी समय में जुड़ जाते हैं उनकी सरकार बन जाती है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
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वक्फ संशोधन अधिनियम ने उपहार दे दिया है...
आर वेंकट कहते हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक तमिलनाडु में बड़ा रोल प्ले कर सकता है। राज्य में 9 प्रतिशत मुसलमान हैं।10 प्रतिशत क्रिश्चियन। यह 17 प्रतिशत का वोट पहले लग रहा था बंटेगा, लेकिन अब डीएमके और कांग्रेस की तरफ एकमुश्त पड़ेगा। थोड़ा बंटवारा थलपति विजय की पार्टी कर सकती है, लेकिन इसके पहले विजय को इस मुद्दे पर अपना स्टैंड लेना होगा। वक्फ के मुद्दे ने पीएमके का असमंजस बढ़ा दिया है। अगर पीएके और विजय की पार्टी टीवीपी एनडीए के साथ जाती है तो चुनाव उधर लुढ़क जाएगा। क्योंकि जातिगत गोलबंदी हो जाएगी। लेकिन यदि इंडिया गठबंधन के साथ आते हैं तो फिर से एमके स्टालिन की सरकार तय है। बताते हैं कि भाजपा और डीएमके की सोशल मीडिया टीम फ्रंट पर खेल रही है। जबकि इस मामले में एआईडीएमके और कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम थोड़ा कमजोर है। रमणी कहते हैं कि अभी तो भूमिका बन रही है। असल की राजनीतिक लड़ाई बाकी है। अभी वक्फ संशोधन अधिनियम का गिफ्ट भी तो मिलना बाकी है।
                                
                
                
                                
                
                                   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            पहले बात भाजपा और एआईडीएमके की...
तमिलनाडु में 11 महीने बाद चुनाव प्रस्तावित है। भाजपा ने दो सुनहरे दांव चले और इससे सत्ता पक्ष में खलबली मच गई। केन्द्रीय मंत्री अमित शाह घोषणा कर आए और उनसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंबन ब्रिज के लोकार्पण में बीजा रोपण कर चुके हैं। एआईएडीएमके नेता डॉ. वी मैत्रेयन कहते हैं कि 2026 में 100 फीसदी हमारी सरकार तय है। लेकिन अभी ज्यादा कुछ कहने का फायदा नहीं। दो ध्रुवीय चुनाव होगा और इसमें करीब सालभर का समय है। डॉ. मैत्रेयन जब ऐसा कहते हैं तो उनकी आवाज में आत्मविश्वास झलकता है। मैत्रेयन कभी जयललिता के बेहद करीबियों में थे। भाजपा ने के. अन्नामलाई के स्थान पर नैनार नागेन्द्रन को नया अध्यक्ष चुन लिया। नैनार जिस जाति के हैं, वह तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जे. जयललिता का कोर वोट रही है। इसके छिटकने की संभावना थी। भाजपा ने फ्लोटिंग वोट में बदलने के पहले नागेन्द्रन को अध्यक्ष बना दिया। एआईएडीएमके के साथ चुनावी गठबंधन की घोषणा हो गई। अमित शाह ने संकेत दे दिया कि मुख्य भूमिका एआईडीएमके की रहेगी। बैठक में साफ कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम से आगे बढ़ेंगे। इसके बाद अब एआईडीएमके और भाजपा की एकजुटता के रंग लाने की उम्मीद है। दिलचस्प रणनीति है। भरोसा भी कि दिल्ली आपके साथ है और नए सहयोगियों को जोड़ने से भी परहेज नहीं। भाजपा के नेता तरुण चुघ तो अभी से वहां दादा-पोता, पिता, भतीजा, भाई-भतीजा और परिवारवाद की राजनीति पर हमला बोलने लगे हैं।
रणनीतिकारों की निगाह इस गणित पर भी
भाजपा नेता मुरलीधर राव हों या अन्य तमिलनाडु को कई नजरिए से देख रहे हैं। निगाह में एमके स्टालिन सरकार और परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप, जनता की नाराजगी, जातिगत, दलगत गोलबंदी प्रमुखता से हैं। अभिनेता से नेता बने थलपति विजय ने भी पिछले साल अपनी पार्टी तमिल वेट्टी कषगम लांच कर दी है। विजय का जलवा है। युवाओं में गजब के लोकप्रिय हैं। वह पेरियार और अंबेडकर से जोड़कर सामाजिक समानता, समता की बात कर रहे हैं। पेरियार जाति में वह खासा जनाधार रखते हैं। थलपति के अलावा पीएमके भी है। उसका वोटबैंक है और जिधर पीएमके जाएगी, जातियों की गोलबंदी में खेल होना पक्का है। राज्य में 60-70 फीसदी मतदान होता है। 20-25 प्रतिशत मतदाता न्यूट्रल रहते हैं। मतदान के पैटर्न में धार्मिक आधार नहीं चलता। जातियां हावी रहती हैं। 4-5 प्रतिशत हवा के साथ चलने वाले वोट दिशा बदल देते हैं। 1996 में तो रातों रात बस एक फैक्टर पर खेल हो गया था। वहीं लोगों में जिस तरह की स्टालिन सरकार को लेकर नाराजगी है, सरकार विरोधी वोट 8 प्रतिशत से अधिक पड़ने की संभावना है। फिर जातियों में भी क्रिश्चियन, हिन्दू या द्रविड़ हैं। धर्मांतरण वाले भी हैं।
स्टालिन को कम न समझिए, एम करुणानिधि के जमाने से हैं तुरुप का इक्का
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपनी सरकार से नाराजगी का एहसास है। मंत्रिमंडल के सदस्य तक स्टालिन परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। एक मंत्री को स्टालिन ने खुद अपनी पत्नी और सौतेली बहन कनिमोझी के दबाव में अशोभनीय बयान के लिए मंत्रिमंडल से हटा दिया। फिलहाल स्टालिन भाजपा के हर दांव को तमिलनाडु की अस्मिता का सवाल खड़ा करके गिराने में लगे हैं। कांग्रेस के नेता एसवी रमणी कहते हैं कि तमिलनाडु भावनात्मक रूप से संवेदनशील राज्य है। यहां के लोगों में तेजी से खबर फैल रही है कि तमिलियों पर हिन्दी थोपी जा रही है। रमणी के मुताबिक परिसीमन का मुद्दा जनता के बीच में इतना नहीं चलेगा, लेकिन शिक्षा और भाषा का गंभीर विषय है। एसवी कहते हैं तमिलनाडु में उत्तर भारत की धर्म और हिन्दुत्व की राजानीति नहीं चलने वाली। यहां दलित राजनीति अलग पैटर्न पर खेलती है। द्रविड़ों का मुद्दा अलग पैंतरें पर चलता है। चुनाव में जातियां प्रभावी होती हैं और लगभग सभी पार्टियों के वोट करीब-करीब फिक्स होते हैं। जिनके साथ 4-5 प्रतिशत लोग चुनावी समय में जुड़ जाते हैं उनकी सरकार बन जाती है।
यह भी पढ़ें - Bihar Election 2025 : जेपी से उबरी कांग्रेस, लालू यादव से नहीं पार पा सकी; बिहार विधानसभा में 196 से चार पर आई
वक्फ संशोधन अधिनियम ने उपहार दे दिया है...
आर वेंकट कहते हैं कि वक्फ संशोधन विधेयक तमिलनाडु में बड़ा रोल प्ले कर सकता है। राज्य में 9 प्रतिशत मुसलमान हैं।10 प्रतिशत क्रिश्चियन। यह 17 प्रतिशत का वोट पहले लग रहा था बंटेगा, लेकिन अब डीएमके और कांग्रेस की तरफ एकमुश्त पड़ेगा। थोड़ा बंटवारा थलपति विजय की पार्टी कर सकती है, लेकिन इसके पहले विजय को इस मुद्दे पर अपना स्टैंड लेना होगा। वक्फ के मुद्दे ने पीएमके का असमंजस बढ़ा दिया है। अगर पीएके और विजय की पार्टी टीवीपी एनडीए के साथ जाती है तो चुनाव उधर लुढ़क जाएगा। क्योंकि जातिगत गोलबंदी हो जाएगी। लेकिन यदि इंडिया गठबंधन के साथ आते हैं तो फिर से एमके स्टालिन की सरकार तय है। बताते हैं कि भाजपा और डीएमके की सोशल मीडिया टीम फ्रंट पर खेल रही है। जबकि इस मामले में एआईडीएमके और कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम थोड़ा कमजोर है। रमणी कहते हैं कि अभी तो भूमिका बन रही है। असल की राजनीतिक लड़ाई बाकी है। अभी वक्फ संशोधन अधिनियम का गिफ्ट भी तो मिलना बाकी है।
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