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शिखर का सफर: ग्राहकों की संतुष्टि व टीमवर्क ने टाइटन को दिलाई पहचान, नंबर-1 रहना है लक्ष्य

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Mon, 02 Dec 2024 05:24 AM IST
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सार

टाइटन कंपनी के उत्पादों की मांग दक्षिण अमेरिका, दुबई और सिंगापुर में भी है। कंपनी अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्वों के जरिये लोगों के जीवन में भी बदलाव ला रही है। कंपनी का स्किल बिल्डिंग पर जोर है। 
 

Tata Group company Titan customer satisfaction teamwork core philosophy know more about success
सीके वेंकटरमण - फोटो : अमर उजाला
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लाइफस्टाइल इंडस्ट्री में टाटा समूह की कंपनी टाइटन एक बड़ा और सफल नाम है। घड़ियों, जूलरी जैसे उत्पाद में कंपनी लीडरशिप पोजीशन में है। उसका लक्ष्य टाइटन टर्बो के अंदर आने वाले हर ब्रांड को नंबर-1 बनाना है।  

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  • कंपनी अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्वों के जरिये लोगों के जीवन में भी बदलाव ला रही है। पिछले सात-आठ साल से चल रही लीप नामक योजना के जरिये टाइटन ने स्किल बिल्डिंग की मदद से हजारों युवाओं को रोजगार दिलाने में मदद की है।
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  • 10-12 साल पहले शुरू किए गए कन्या प्रोग्राम के जरिये कंपनी हर साल करीब 20,000 या 25,000 छोटी बच्चियों को शिक्षित कर रही है।

टाइटन घरेलू बाजार में सफल मुकाम पर कैसे पहुंची...इस पर पेश है टाइटन कंपनी लि. के एमडी सीके वेंकटरमण से राहुल कांकरिया की विशेष बातचीत


टाइटन को आपने वैश्विक ब्रांड बनाया। बतौर एमडी इस कंपनी को किस स्तर पर ले जाना चाहेंगे?
टाइटन को इस स्तर तक पहुंचाने में टीमवर्क का बड़ा योगदान है। कंपनी में कोई न कोई एमडी चाहिए, इसलिए मैं उस जगह पर हूं, लेकिन मुझे कंपनी का प्रवक्ता ही समझिए। हर पांच साल में कंपनी विस्तृत योजना बनाती है। अभी जो योजना चल रही है, उसका नाम है टाइटन टर्बो। इसे दो साल पहले बनाया था। हम लाइफस्टाइल उत्पाद बनाते हैं। मसलन, घड़ियां, चश्मे, गहने, परफ्यूम और बैग्स आदि। हर उत्पाद में पहले स्थान पर रहना लक्ष्य है। घड़ियों, जूलरी जैसे उत्पाद में हम लीडरशिप पोजीशन में आ चुके हैं। टाइटन टर्बो के अंदर आने वाले हर ब्रांड को नंबर-1 बनाना चाहते हैं। घरेलू बाजार में वर्षों से अलग पहचान बनाने के बाद चार साल पहले हमने विदेशी बाजार में कदम रखा है। दुबई, दक्षिण अमेरिका और सिंगापुर में उत्साहजनक नतीजे मिले हैं। 2027-28 तक हम विदेश में जो भी उत्पाद लेकर जाएंगे, उसके मानक उच्च होंगे। टाइटन ने हर वर्ग में उत्कृष्टता को महत्व दिया है। हमें ग्रोथ को नीचे नहीं आने देना है। ग्राहकों की संतुष्टि ही हमारे लिए अहम है।

बिक्री, ग्रोथ व मार्केटिंग में नवाचार को बढ़ाने के लिए अपने अनुभव का कैसे इस्तेमाल करते हैं?
टाइटन का एक नजरिया है...हर श्रेणी में विशेषज्ञता। इसका मतलब है कि उत्पादन से लेकर उसकी गुणवत्ता तक, एक तंत्र बनाना, जिसके जरिये कंपनी और वेंडर पार्टनर्स सुगमता से व्यापार बढ़ा सकें। हमारी मूल चीज है... उपभोक्ता की संतुष्टि। इसके लिए कंपनी के सभी लीडर्स व मैनेजर निरंतर उनसे मिलते हैं। कमियों और बेहतरी के बारे में राय लेते हैं। हम इस प्रक्रिया के जरिये विशेषज्ञता हासिल करते हैं। अगर हम तनैरा ब्रांड की साड़ी लॉन्च कर रहे हैं, तो हमारे लिए उपभोक्ता की पंसद ही अहम है।

  • साड़ी एक संस्कृति है। इसमें बनारस की कला है। चंदेरी है। मध्यप्रदेश में माहेश्वरी भी है। बिष्णुपर है। बंगाल में सुंगुडी साड़ी है। इन सभी को शोरूम में लाना मुश्किल था, लेकिन हमने यह कर दिखाया। इसके जरिये हैंडलूम बुनकरों की जिंदगी में भी बदलाव लेकर आए। कारखाने में काम करने का माहौल बदला। ये सारी चीजें जब हम उपभोक्ता को बताते हैं, तो उन्हें लगता है कि उद्योग में कोई नई चीज आई है। इसके जरिये हम उपभोक्ता मूल्यों को तैयार करते हैं। इसके बाद जो बिक्री होती है, उस लाभ को बराबर शेयर करते हैं।

टीम में नवाचार संस्कृति बढ़ानेे के लिए क्या करते हैं?
एक शब्द है मानव संसाधन। लेकिन, हमारे लिए वह संसाधन नहीं, बल्कि एक इन्सान है। एचआर हेड कहते हैं...टॉप पर्सन एंड द पीपल फंक्शन। लेकिन, टाइटन में चीप पीपल ऑफिसर या एचआर फंक्शन इज कॉल्ड पीपल फंक्शन...यह मैंने यहीं पर आकर सुना। यह एक सोच है।  

  • टाइटन गैर-पदानुक्रम वाली कंपनी है। इसका मतलब है कि ओपन डोर पॉलिसी है। यानी कोई भी मुझसे मिल सकता है। सीधे फोन कर या व्हाट्सएप पर कुछ भी पूछ सकता है। अगर कमरे में सिर्फ मैं बैठा हूं तो, ग्लास डोर को नॉक कर सीधे अंदर आ सकता है।

हमारे लिए राय महत्वपूर्ण है। जूनियर भी राय दे सकता है। काबिलियत मायने रखती है। लोगों का जुनून, उत्साह और संकल्प...सब मिलकर प्रभाव डालते हैं। इसे हम प्रोत्साहित करते हैं।

ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग के उदय का खुदरा उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा और टाइटन इन परिवर्तनों को कैसे अपना रही है?
परिवर्तनों को एडॉप्ट करना या अपनाना सतत प्रक्रिया है। आजकल लोग कुछ भी खरीदने से पहले वेबसाइट पर विजिट करते हैं। फिर, चाहे 500 रुपये का टॉप लेना हो या पांच करोड़ की गाड़ी। हमने इन परिवर्तनों को बखूबी अपनाया है। वियरेबल्स कैटेगरी में देखें तो 60 फीसदी ऑनलाइन खरीदारी है। ऑनलाइन हैवी जूलरी में 100 फीसदी हो सकती है। ग्राहक ऑनलाइन जांच-परख के बाद ही तय करते हैं कि क्या खरीदना और क्या नहीं। शोरूम व मार्केट के बाद हम ऑनलाइन सफर के लिए तैयार हैं। मार्केटिंग की बात करें तो टाइटन ने उपभोक्ता वर्ग के आधार पर चीजों को अपनाया है। जहां युवा उपभोक्ताओं की संख्या ज्यादा है, वहां डिजिटल तरीके से मार्केटिंग करते हैं। वरिष्ठ नागरिकों तक अखबार या होर्डिंग्स के जरिये अपनी बात पहुंचाते हैं। इस तरह, हम इवॉल्व होते जा रहे हैं।

30 साल के कॅरिअर में महत्वपूर्ण सबक क्या सीखा?
रतन टाटा महत्वपूर्ण बात कहते थे कि अगर आपको तेज जाना है तो अकेले चलें, लेकिन दूर तक जाना है तो मिलकर चलें। इसे आप एकमात्र सबसे बड़ा सबक कहें या रणनीति, जिसे मैंने अपनाया।

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