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ISRO:'...तो चांद की सतह पर कभी था मैग्मा का महासागर', चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के भेजे डाटा से मिला संकेत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 21 Aug 2024 10:50 PM IST
सार

ISRO: प्रज्ञान रोवर से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि चंद्रमा की मिट्टी एक ही प्रकार की चट्टान फेरोअन एनोर्थोसाइट या एफएएन से बनी है।

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there was once an ocean of magma on the surface of the moon', indication found from data sent by Pragyan rover
'...तो चांद की सतह पर कभी था मैग्मा का महासागर' - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के प्रज्ञान रोवर से भेजे गए डाटा से संकेत मिला है कि चंद्रमा की सतह पर कभी मैग्मा का महासागर रहा था। यह जानकारी जर्नल नेचर में छपे विश्लेषण में दी गई है। इसमें प्रज्ञान रोवर से चांद की सतह पर पाई गई मिट्टी का जो डाटा भेजा गया है उसका अध्ययन करने के बाद यह विश्लेषण तैयार किया गया।
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पिछले साल प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की थी लैंडिंग
चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर पर लगे प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 23 अगस्त 2023 को सॉफ्ट लैंडिंग की थी। अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के लेखक समेत अध्ययन के अन्य लेखकों ने दावा किया कि पिछले मिशन, जैसे कि नासा का अपोलो और सोवियत संघ का लूना, मुख्य रूप से क्रमशः चंद्रमा के भूमध्यरेखीय और मध्य-अक्षांश क्षेत्रों से लिए गए मिट्टी के नमूनों पर निर्भर रहे हैं।
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फेरोअन एनोर्थोसाइट से बनी है चंद्रमा की मिट्टी
प्रज्ञान रोवर से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि चंद्रमा की मिट्टी एक ही प्रकार की चट्टान फेरोअन एनोर्थोसाइट या एफएएन से बनी है। लेखकों ने दावा किया कि उनके परिणाम भूमध्यरेखीय और मध्य-अक्षांश क्षेत्रों से लिए गए नमूनों के विश्लेषण से मिलते-जुलते थे। इसके अलावा, भौगोलिक दृष्टि से दूर-दराज के स्थानों से लिए गए नमूनों की समान संरचना चांद की सतह पर मैग्मा महासागर होने की परिकल्पना का समर्थन करती है। यह चंद्रमा के प्रारंभिक विकास के लिए एक व्यापक रूप से स्वीकृत परिदृश्य है।



अप्रैल 2025 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS की करेगा यात्रा 
बुधवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नासा-इसरो सहयोगात्मक पहल के तहत अगले साल अप्रैल तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर उड़ान भर सकता है। दो भारतीय अंतरिक्ष यात्री-पदनामित ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और प्रशांत बालकृष्णन नायर, एक्सिओम स्पेस एक्स-4 मिशन के लिए अमेरिका में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसरो ने शुभांशु शुक्ला को एक्स-4 मिशन के लिए नियुक्त किया है, जबकि प्रशांत बालकृष्णन नायर बैकअप उम्मीदवार होंगे।
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