अरावली पर कितना खतरा: कांग्रेस बोली- नई परिभाषा के बाद खतरे में 90% हिस्सा, संरक्षण को लेकर सरकार पर लगाए आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पहाड़ियों की नई परिभाषा से अरावली क्षेत्र का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संरक्षण से बाहर हो जाएगा, जिससे खनन और अन्य गतिविधियों का खतरा बढ़ेगा। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
विस्तार
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पहाड़ियों की नई परिभाषा के तहत अरावली पर्वत शृंखला का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएगा। इससे यहां खनन और अन्य गतिविधियों का रास्ता साफ हो सकता है।
The Modi Sarkar’s redefinition of the Aravallis, that goes against all expert opinion, is dangerous and disastrous.
According to the Forest Survey of India’s data that is authoritative, only 8.7% of the Aravalli hills that are higher than 20 meters exceed 100 metres. If we take…विज्ञापन— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 25, 2025विज्ञापन
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि पर्यावरण के मुद्दे पर पीएम मोदी की 'वैश्विक मंचों पर बड़ी बातें' और 'जमीनी स्तर पर कार्रवाई' के बीच कोई तालमेल नहीं है।
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क्या है नई परिभाषा?
नई परिभाषा के अनुसार अरावली पहाड़ी एक ऐसी भू-आकृति है जिसकी ऊंचाई उसके आसपास के भूभाग से कम से कम 100 मीटर अधिक हो और अरावली पर्वतमाला एक दूसरे से 500 मीटर के भीतर स्थित ऐसी दो या दो से अधिक पहाड़ियों का समूह है।रमेश ने सरकार पर लगाए कई गंभीर आरोप
रमेश ने कहा कि मोदी सरकार अब केवल उन्हीं अरावली पहाड़ियों की रक्षा करने जा रही है, जिनकी ऊंचाई 100 मीटर से अधिक है। भारतीय वन सर्वेक्षण के प्रामाणिक आंकड़ों के अनुसार, अरावली पहाड़ियों का केवल 8.7 प्रतिशत हिस्सा ही 100 मीटर से अधिक ऊंचा है।पूर्व पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इसका मतलब यह है कि अरावली पर्वतमाला के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को नई पुनर्परिभाषा द्वारा संरक्षित नहीं किया जाएगा और इसे खनन, रियल एस्टेट और अन्य गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है जो पहले से ही तबाह हो चुके पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक नुकसान पहुंचाएंगे। इस स्पष्ट और सरल सत्य को छिपाया नहीं जा सकता।
रमेश ने कहा कि यह मोदी सरकार द्वारा पारिस्थितिक संतुलन पर किए जा रहे सुनियोजित हमले का एक और उदाहरण है, जिसमें प्रदूषण मानकों में ढील देना, पर्यावरण और वन कानूनों को कमजोर करना, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण और पर्यावरण प्रशासन की अन्य संस्थाओं को शक्तिहीन करना शामिल है।
विवाद के बाद सरकार ने राज्यों को किए निर्देश जारी
अरावली पर्वतमाला की पुनर्परिभाषा को लेकर हुए विवाद के बाद, केंद्र ने बुधवार को राज्यों को निर्देश जारी कर पर्वत शृंखला के भीतर नए खनन पट्टे देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को कहा है। पर्यावरण व वन मंत्रालय ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद को पूरे अरावली क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रों और जोन की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां केंद्र द्वारा पहले से ही खनन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों के अलावा खनन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
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