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सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI: उन्नाव दुष्कर्म केस में अपील दायर, दो महिला वकीलों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उन्नाव
Published by: अमन तिवारी
Updated Thu, 25 Dec 2025 01:59 PM IST
सार
2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पीड़ित पक्ष की ओर से दायर विशेष याचिका में हाई कोर्ट के फैसले पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है और इसे गंभीर कानूनी त्रुटि बताया गया है।
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कुलदीप सिंह सेंगर
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
2017 के उन्नाव दुष्कर्म केस मामले में पूर्व भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके जेल की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष याचिका दायर की गई है। मामले में वकील अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार की ओर से दायर याचिका में हाई कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है। उन्होंने दलील दी कि हाई कोर्ट ने इस बात पर विचार किए बिना आदेश पारित किया कि ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि सेंगर को अपनी बाकी जिदगी जेल में ही बितानी होगी।
ये भी पढ़ें: Unnao Case: उन्नाव मामले में कुलदीप सेंगर की जमानत को चुनौती देगी CBI, सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला
उन्होंने कहा कि गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में उसकी पक्की संलिप्तता के बावजूद सेंगर को सजा निलंबित करके हाई कोर्ट ने कानून और तथ्यों दोनों के मामले में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया है, 'हाई कोर्ट पीड़ित पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों को समझने में नाकाम रहा, जो कि आरोपी की बर्बरता और क्रूरता को दिखाते हैं। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब पीड़िता के पिता न्यायिक हिरासत में थे, तब आरोपी ने परिवार को चुप कराने और न्याय की प्रक्रिया को रोकने के लिए पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।'
बतादें कि 23 दिसंबर को, दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट ने कहा कि सेंगर ने 7 साल और 5 महीने जेल में बिता लिए हैं, इसलिए उनकी सजा को निलंबित किया जाता है। हालांकि सेंगर जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।
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उन्होंने कहा कि गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में उसकी पक्की संलिप्तता के बावजूद सेंगर को सजा निलंबित करके हाई कोर्ट ने कानून और तथ्यों दोनों के मामले में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया है, 'हाई कोर्ट पीड़ित पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों को समझने में नाकाम रहा, जो कि आरोपी की बर्बरता और क्रूरता को दिखाते हैं। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब पीड़िता के पिता न्यायिक हिरासत में थे, तब आरोपी ने परिवार को चुप कराने और न्याय की प्रक्रिया को रोकने के लिए पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।'
बतादें कि 23 दिसंबर को, दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट ने कहा कि सेंगर ने 7 साल और 5 महीने जेल में बिता लिए हैं, इसलिए उनकी सजा को निलंबित किया जाता है। हालांकि सेंगर जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।
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