{"_id":"68b3ad6e95a590b47c0261a9","slug":"three-wheels-of-lord-jagannath-chariot-to-be-installed-in-parliament-premises-2025-08-31","type":"story","status":"publish","title_hn":"Odisha: भगवान जगन्नाथ के रथ के तीन पहिये संसद परिसर में किए जाएंगे स्थापित, लोकसभा स्पीकर ने दी मंजूरी","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Odisha: भगवान जगन्नाथ के रथ के तीन पहिये संसद परिसर में किए जाएंगे स्थापित, लोकसभा स्पीकर ने दी मंजूरी
एजेंसी, भुवनेश्वर
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sun, 31 Aug 2025 07:33 AM IST
सार
एसजेटीए के प्रमुख प्रशासक अरविंद के मुताबिक, तीनों पहिए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के रथों से निकाले जाएंगे। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष, देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन और भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज कहलाता है। इन रथों से एक-एक पहिया दिल्ली भेजा जाएगा। जो संसद में स्थापित होगा।
विज्ञापन
पुरी रथ यात्रा
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
विश्वप्रसिद्ध पुरी रथ यात्रा के रथों के तीन पहिए अब संसद परिसर में स्थापित किए जाएंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पुरी यात्रा के दौरान यह प्रस्ताव रखा गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
Trending Videos
ये भी पढ़ें: Foreign Policy: विदेश मंत्री जयशंकर फिनलैंड की समकक्ष से बोले, यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में भारत पर निशाना गलत
विज्ञापन
विज्ञापन
एसजेटीए के प्रमुख प्रशासक अरविंद के मुताबिक, तीनों पहिए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के रथों से निकाले जाएंगे। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष, देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन और भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज कहलाता है। इन रथों से एक-एक पहिया दिल्ली भेजा जाएगा। जो संसद में स्थापित होगा।
ये भी पढ़ें: US-India: नोबेल के लिए पैरवी, न्योता नकारने और...क्या है भारत पर ट्रंप के टैरिफ की असल वजह, नाराजगी क्यों?
संसद में संस्कृति का दूसरा प्रतीक होगा
दो साल पहले 2023 में पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के बगल में सेंगोल स्थापित किया था। संसद में रथ यात्रा के पहिए लगने के बाद यह परिसर में स्थापित संस्कृति से जुड़ा दूसरा प्रतीक होगा। सेंगोल को अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात पंडित नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। 1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था।