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Karmapa: तिब्बत के आध्यात्मिक नेता करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे जल्द लौटेंगे भारत, यह है केंद्र का नया ऑफर!
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सार
सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित रुमटेक मोनेस्ट्री करमापा का निर्वासित निवास स्थान है। करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे 2017 में भारत सरकार से नाराज होकर इलाज के बहाने अमेरिका चले गए थे और बाद में उन्होंने कैरेबियाई द्वीप के डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिकता ले ली थी।

दलाई लामा के साथ 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे जल्द ही भारत लौट सकते हैं। भारत में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) के एक शीर्ष राजनेता ने संकेत दिए हैं कि 900 साल पुराने कर्मा काग्यू वंश के प्रमुख 17वें ग्यालवांग करमापा की जल्द भारत वापसी हो सकती है। हाल ही में दिसंबर 1999 से निर्वासन में रह रहे तिब्बत के सबसे प्रमुख धार्मिक नेताओं में से एक 17वें करमापा ऊज्ञेन त्रिनले दोरजे और 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो की 25 अगस्त को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में मुलाकात हुई थी। इससे पहले दोनों की मुलाकात 25 जनवरी 2017 को सिक्किम में 34वीं कालचक्र पूजा के दौरान हुई थी। सूत्रों ने बताया कि मुलाकात के दौरान दलाई लामा ने उन्हें भारत लौटने की सलाह दी थी।
क्या सिक्किम जाएंगे करमापा?
सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित रुमटेक मोनेस्ट्री करमापा का निर्वासित निवास स्थान है। करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे 2017 में भारत सरकार से नाराज होकर इलाज के बहाने अमेरिका चले गए थे और बाद में उन्होंने कैरेबियाई द्वीप के डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिकता ले ली थी। धर्मशाला में चल रही तिब्बत की निर्वासित सरकार सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) के प्रधानमंत्री पेंपा शेरिंग ने पिछले हफ्ते आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े एक मामले की सुनवाई हुई थी और अभी तक जो सुनवाई हुई है कि उसके परिणाम आशाजनक लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इससे एक अनुकूल माहौल तैयार होगा, जो 17वें ग्यालवांग करमापा रिनपोछे को सिक्किम लौटने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
चल रहा है मनी लॉन्ड्रिंग का केस
बता दें कि हिमाचल के धर्मशाला स्थित सिद्धबाड़ी में ग्युतो मठ में 17वें करमापा लामा 2000 में रहने आए थे। 1985 में जन्मे करमापा दिसंबर 1999 में 14 साल की उम्र में तिब्बत से भाग गए और उन्होंने भारत में शरण ली थी। लेकिन जनवरी 2011 में पुलिस कार्रवाई के दौरान उनके मठ से डेढ लाख युआन बरामद हुए थे और उनकी विशाल मोनेस्ट्री जब्त कर ली थी। उन्हें इस मामले में निचली अदालत से तो राहत मिल गई थी। भारत सरकार ने करमापा पर यात्रा संबंधी लगाए कुछ प्रतिबंध हटा लिए थे। लेकिन जुलाई 2015 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए उनके खिलाफ मनी लाड्रिंग, विदेशी पैसे के अवैध लेन-देन और बेनामी संपत्ति जमा करने के मामले में आपराधिक मामला चलाने के निर्देश दिया था। जिसके बाद से उस मामले में अभी तक सुनवाई चल रही थी। लेकिन मई 2017 में स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देकर करमापा विदेश चले गए थे और वहां उन्होंने कैरेबियाई द्वीप के डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिकता ले ली थी।
सरकार चाहती है भारत आएं करमापा
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार भी उन्हें भारत लाने की इच्छुक है। इसके लिए प्रयास लगातार चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सरकार उन्हें कई बार वापस आने का अनुरोध कर चुकी है। पहले भी दोरजे को भारत सरकार कई बार सूचित कर चुकी है कि वह डोमेनिका राष्ट्रमंडल के उनके नए पासपोर्ट पर उन्हें वीजा देने के लिए तैयार है। लेकिन उन्होंने वीजा के लिए कभी संपर्क ही नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भारत आने की एक ही शर्त रखी थी कि चूंकि अब उसके पास दूसरे देश की नागरिकता है, इसलिए वह तिब्बती शरणार्थियों को भारत की तरफ से मिले आवासीय प्रमाण पत्र (RC) वापस नहीं कर सकते। इसके बजाय, उसे भारतीय वाणिज्य दूतावास या मिशन में वीजा के लिए आवेदन करना होगा। सूत्रों ने बताया कि जब वे भारत छोड़ कर गए थे, तो विदेश मंत्रालय के अधिकरियों ने अमेरिका जाकर करमापा से मुलाकात कर उन्हें मनाने की भी कोशिश की थी। सरकार ने करमापा को मठ बनाने के लिए दिल्ली के द्वारका में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 5 एकड़ जमीन देने की भी पेशकश की थी।
सूत्र कहते हैं कि दिसंबर 1999 में साउथ तिब्बत के Tsurphu में स्थित एक मठ से भागे हुए करमापा को 18 साल बीत चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं। भारत इस बात से नाराज है कि उन्होंने अपने नए पासपोर्ट के बारे में अधिकारियों को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई, जबकि वह दशकों से भारत में मेहमान रहे हैं। वहीं, करमापा इस बात से परेशान हैं कि उन्हें हर बार यात्रा करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, जबकि दलाई लामा बिना किसी प्रतिबंध के कहीं भी यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
दिसंबर में बोधगया में आयोजित होगा काग्यू सम्मेलन
वहीं करमापा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हर साल काग्यू संप्रदाय का एक सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस साल सालाना काग्यू मोनलम दिसंबर में बोधगया में आयोजित किया जाएगा। काग्यू मोनलम में भारत और विश्व भर से भिक्षु, भिक्षुणियां और साधक बोधि वृक्ष की छाया में एकत्रित होकर सभी प्राणियों के कल्याण के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं। इस साल यह सम्मेलन 15 से 21 दिसंबर 2024 तक आयोजित होगा। यह 1996 के बाद से 22वां काग्यू मोनलम होगा। सूत्रों का कहना है कि करमापा एक बार फिर से कई रिनपोछे, खेंपो और लामाओं के साथ इस विशेष प्रार्थना में शामिल होंगे। सूत्रों ने उम्मीद जताई कि इस बार काग्यू मोनलम में करमापा शामिल हो सकते हैं।
सरकार का ये है नया ऑफर!
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल ही में करमापा को नई डील ऑफर की गई है। इस डील में इस बार उन्हें द्वारका की बजाय नोएडा में मोनेस्ट्री बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन और पांच साल का वीजा देने का ऑफर किया गया है। सूत्रों का कहना है कि वे जब चाहें भारत आ सकते हैं। लेकिन एकमात्र शर्त यह है कि वे तिब्बती शरणार्थियों को भारत की तरफ से जारी किए गए आवासीय प्रमाण पत्र (आरसी) पर वापस नहीं आ सकते, बल्कि भारतीय वाणिज्य दूतावास या मिशन में वीजा के लिए आवेदन करके वापस आ सकते हैं, क्योंकि उन्होंने दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है। साथ ही, सरकार से जुड़े सूत्रों का ये भी कहना है कि करमापा की गद्दी भारत के सिक्किम में रूमटेक मठ में है। भारत से बाहर रह कर उस गद्दी के सही वारिस नहीं बने रह सकते। इसके लिए उन्हें भारत आना होगा। बता दें कि रुमटेक मठ में "ब्लैक हैट" रखी हुई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कर्मा काग्यू संप्रदाय के असली उत्तराधिकारी की धरोहर है।
भाजपा सांसद बोले- भारत लौंटे करमापा
हाल ही में सितंबर की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाओ अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने धर्मशाला स्थित ग्युतो तांत्रिक मठ का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने इच्छा जताई थी कि ग्युतो संप्रदाय के प्रमुख, 17वें करमापा , उर्गेन त्रिनले दोरजे को भारत लौटना चाहिए। तापिर गाओ ने कहा, मैं करमापा के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रहा हूं और उन्हें भारत वापस धर्मशाला आना चाहिए और भारत में बौद्ध धर्म और तिब्बतियों की भलाई के लिए इस संस्थान की देखभाल करनी चाहिए और पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द का संदेश देना चाहिए। तापिर गाओ ने कहा, जहां तक उनके वीजा मुद्दे का सवाल है, मुझे लगता है कि भारत सरकार इस पर पहले से ही काम कर रही है और यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।
ज्यूरिख में मिले थे दलाई लामा और करमापा
22 जून को घुटनों के इलाज के लिए अमेरिका जाने से पहले दलाई लामा स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख गए, जिसके बाद वे अमेरिका के लिए रवाना हुए। 29 जून को अमेरिका में दलाई लामा के घुटने की सफल सर्जरी होने के बाद ज्यूरिख में करमापा से मिले थे। पहले ये मुलाकात न्यूयार्क में होनी थी, लेकिन इसे बाद में ज्यूरिख शिफ्ट किया गया। सूत्रों का कहना है कि भविष्य के परिदृश्य के हिसाब से बेहद अहम मुलाकात थी। चीन से मुकाबले के लिए तिब्बत धर्म के सभी संप्रदायों का एकजुट होना जरूरी है। करमापा की दलाई लामा से कुछ नाराजगी रही है। वह पहले भी सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) और दलाई लामा पर निशाना साध चुके हैं। मुलाकात के दौरान दलाई लामा ने करमापा को भारत आने के लिए कहा था। इस नए घटनाक्रम को चीन से भी जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि चीन वर्तमान 89 वर्षीय दलाई लामा की मृत्यु के बाद नया दलाई लामा चुन कर इस परंपरा को अपने अधिकार में रखना चाहता है। तिब्बती बौद्ध धर्म के कर्मा काग्यू स्कूल के प्रमुख करमापा, तिब्बतियों के लिए दलाई लामा और पंचेन लामा के बाद तीसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। चूंकि दलाई लामा की तरफ से मान्यता मिलने के बाद पंचेन लामा चीनी अधिकारियों की हिरासत में हैं, इसलिए करमापा का महत्व और भी बढ़ गया है। करमापा तिब्बती रीति-रिवाज के अनुसार अगले दलाई लामा के चयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कौन होगा दलाई लामा का अगला उत्तराधिकारी
इंडिया तिब्बत फ्रेंडशिप के सुरेंद्र ओझा इस मुलाकात को लेकर अमर उजाला से बताते हैं कि दलाई लामा पूरे बौद्ध धर्म के धर्म गुरू हैं। उनका स्थान सर्वोच्च है। वह भी इस बात से चिंतित हैं कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। नया दलाई लामा चुनने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसमें पंचेन लामा और करमापा अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन पंचेन लामा चीन में हैं और वह करमापा को अपने साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। ताकि वह अपना दलाई लामा चुन सके। ओझा कहते हैं कि पूरे तिब्बत की भलाई और एकजुटता का संदेश देते हुए दलाई लामा ने करमापा से मुलाकात की थी।
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क्या सिक्किम जाएंगे करमापा?
सिक्किम की राजधानी गंगटोक में स्थित रुमटेक मोनेस्ट्री करमापा का निर्वासित निवास स्थान है। करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे 2017 में भारत सरकार से नाराज होकर इलाज के बहाने अमेरिका चले गए थे और बाद में उन्होंने कैरेबियाई द्वीप के डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिकता ले ली थी। धर्मशाला में चल रही तिब्बत की निर्वासित सरकार सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) के प्रधानमंत्री पेंपा शेरिंग ने पिछले हफ्ते आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े एक मामले की सुनवाई हुई थी और अभी तक जो सुनवाई हुई है कि उसके परिणाम आशाजनक लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इससे एक अनुकूल माहौल तैयार होगा, जो 17वें ग्यालवांग करमापा रिनपोछे को सिक्किम लौटने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
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बता दें कि हिमाचल के धर्मशाला स्थित सिद्धबाड़ी में ग्युतो मठ में 17वें करमापा लामा 2000 में रहने आए थे। 1985 में जन्मे करमापा दिसंबर 1999 में 14 साल की उम्र में तिब्बत से भाग गए और उन्होंने भारत में शरण ली थी। लेकिन जनवरी 2011 में पुलिस कार्रवाई के दौरान उनके मठ से डेढ लाख युआन बरामद हुए थे और उनकी विशाल मोनेस्ट्री जब्त कर ली थी। उन्हें इस मामले में निचली अदालत से तो राहत मिल गई थी। भारत सरकार ने करमापा पर यात्रा संबंधी लगाए कुछ प्रतिबंध हटा लिए थे। लेकिन जुलाई 2015 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए उनके खिलाफ मनी लाड्रिंग, विदेशी पैसे के अवैध लेन-देन और बेनामी संपत्ति जमा करने के मामले में आपराधिक मामला चलाने के निर्देश दिया था। जिसके बाद से उस मामले में अभी तक सुनवाई चल रही थी। लेकिन मई 2017 में स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देकर करमापा विदेश चले गए थे और वहां उन्होंने कैरेबियाई द्वीप के डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिकता ले ली थी।
सरकार चाहती है भारत आएं करमापा
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार भी उन्हें भारत लाने की इच्छुक है। इसके लिए प्रयास लगातार चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सरकार उन्हें कई बार वापस आने का अनुरोध कर चुकी है। पहले भी दोरजे को भारत सरकार कई बार सूचित कर चुकी है कि वह डोमेनिका राष्ट्रमंडल के उनके नए पासपोर्ट पर उन्हें वीजा देने के लिए तैयार है। लेकिन उन्होंने वीजा के लिए कभी संपर्क ही नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने भारत आने की एक ही शर्त रखी थी कि चूंकि अब उसके पास दूसरे देश की नागरिकता है, इसलिए वह तिब्बती शरणार्थियों को भारत की तरफ से मिले आवासीय प्रमाण पत्र (RC) वापस नहीं कर सकते। इसके बजाय, उसे भारतीय वाणिज्य दूतावास या मिशन में वीजा के लिए आवेदन करना होगा। सूत्रों ने बताया कि जब वे भारत छोड़ कर गए थे, तो विदेश मंत्रालय के अधिकरियों ने अमेरिका जाकर करमापा से मुलाकात कर उन्हें मनाने की भी कोशिश की थी। सरकार ने करमापा को मठ बनाने के लिए दिल्ली के द्वारका में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 5 एकड़ जमीन देने की भी पेशकश की थी।
सूत्र कहते हैं कि दिसंबर 1999 में साउथ तिब्बत के Tsurphu में स्थित एक मठ से भागे हुए करमापा को 18 साल बीत चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं। भारत इस बात से नाराज है कि उन्होंने अपने नए पासपोर्ट के बारे में अधिकारियों को सूचित करने की जहमत नहीं उठाई, जबकि वह दशकों से भारत में मेहमान रहे हैं। वहीं, करमापा इस बात से परेशान हैं कि उन्हें हर बार यात्रा करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, जबकि दलाई लामा बिना किसी प्रतिबंध के कहीं भी यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
दिसंबर में बोधगया में आयोजित होगा काग्यू सम्मेलन
वहीं करमापा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हर साल काग्यू संप्रदाय का एक सम्मेलन आयोजित किया जाता है। इस साल सालाना काग्यू मोनलम दिसंबर में बोधगया में आयोजित किया जाएगा। काग्यू मोनलम में भारत और विश्व भर से भिक्षु, भिक्षुणियां और साधक बोधि वृक्ष की छाया में एकत्रित होकर सभी प्राणियों के कल्याण के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं। इस साल यह सम्मेलन 15 से 21 दिसंबर 2024 तक आयोजित होगा। यह 1996 के बाद से 22वां काग्यू मोनलम होगा। सूत्रों का कहना है कि करमापा एक बार फिर से कई रिनपोछे, खेंपो और लामाओं के साथ इस विशेष प्रार्थना में शामिल होंगे। सूत्रों ने उम्मीद जताई कि इस बार काग्यू मोनलम में करमापा शामिल हो सकते हैं।
सरकार का ये है नया ऑफर!
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल ही में करमापा को नई डील ऑफर की गई है। इस डील में इस बार उन्हें द्वारका की बजाय नोएडा में मोनेस्ट्री बनाने के लिए 10 एकड़ जमीन और पांच साल का वीजा देने का ऑफर किया गया है। सूत्रों का कहना है कि वे जब चाहें भारत आ सकते हैं। लेकिन एकमात्र शर्त यह है कि वे तिब्बती शरणार्थियों को भारत की तरफ से जारी किए गए आवासीय प्रमाण पत्र (आरसी) पर वापस नहीं आ सकते, बल्कि भारतीय वाणिज्य दूतावास या मिशन में वीजा के लिए आवेदन करके वापस आ सकते हैं, क्योंकि उन्होंने दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है। साथ ही, सरकार से जुड़े सूत्रों का ये भी कहना है कि करमापा की गद्दी भारत के सिक्किम में रूमटेक मठ में है। भारत से बाहर रह कर उस गद्दी के सही वारिस नहीं बने रह सकते। इसके लिए उन्हें भारत आना होगा। बता दें कि रुमटेक मठ में "ब्लैक हैट" रखी हुई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कर्मा काग्यू संप्रदाय के असली उत्तराधिकारी की धरोहर है।
भाजपा सांसद बोले- भारत लौंटे करमापा
हाल ही में सितंबर की शुरुआत में अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाओ अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू ने धर्मशाला स्थित ग्युतो तांत्रिक मठ का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने इच्छा जताई थी कि ग्युतो संप्रदाय के प्रमुख, 17वें करमापा , उर्गेन त्रिनले दोरजे को भारत लौटना चाहिए। तापिर गाओ ने कहा, मैं करमापा के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए प्रार्थना कर रहा हूं और उन्हें भारत वापस धर्मशाला आना चाहिए और भारत में बौद्ध धर्म और तिब्बतियों की भलाई के लिए इस संस्थान की देखभाल करनी चाहिए और पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द का संदेश देना चाहिए। तापिर गाओ ने कहा, जहां तक उनके वीजा मुद्दे का सवाल है, मुझे लगता है कि भारत सरकार इस पर पहले से ही काम कर रही है और यह कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए।
ज्यूरिख में मिले थे दलाई लामा और करमापा
22 जून को घुटनों के इलाज के लिए अमेरिका जाने से पहले दलाई लामा स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख गए, जिसके बाद वे अमेरिका के लिए रवाना हुए। 29 जून को अमेरिका में दलाई लामा के घुटने की सफल सर्जरी होने के बाद ज्यूरिख में करमापा से मिले थे। पहले ये मुलाकात न्यूयार्क में होनी थी, लेकिन इसे बाद में ज्यूरिख शिफ्ट किया गया। सूत्रों का कहना है कि भविष्य के परिदृश्य के हिसाब से बेहद अहम मुलाकात थी। चीन से मुकाबले के लिए तिब्बत धर्म के सभी संप्रदायों का एकजुट होना जरूरी है। करमापा की दलाई लामा से कुछ नाराजगी रही है। वह पहले भी सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (सीटीए) और दलाई लामा पर निशाना साध चुके हैं। मुलाकात के दौरान दलाई लामा ने करमापा को भारत आने के लिए कहा था। इस नए घटनाक्रम को चीन से भी जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि चीन वर्तमान 89 वर्षीय दलाई लामा की मृत्यु के बाद नया दलाई लामा चुन कर इस परंपरा को अपने अधिकार में रखना चाहता है। तिब्बती बौद्ध धर्म के कर्मा काग्यू स्कूल के प्रमुख करमापा, तिब्बतियों के लिए दलाई लामा और पंचेन लामा के बाद तीसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। चूंकि दलाई लामा की तरफ से मान्यता मिलने के बाद पंचेन लामा चीनी अधिकारियों की हिरासत में हैं, इसलिए करमापा का महत्व और भी बढ़ गया है। करमापा तिब्बती रीति-रिवाज के अनुसार अगले दलाई लामा के चयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कौन होगा दलाई लामा का अगला उत्तराधिकारी
इंडिया तिब्बत फ्रेंडशिप के सुरेंद्र ओझा इस मुलाकात को लेकर अमर उजाला से बताते हैं कि दलाई लामा पूरे बौद्ध धर्म के धर्म गुरू हैं। उनका स्थान सर्वोच्च है। वह भी इस बात से चिंतित हैं कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। नया दलाई लामा चुनने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इसमें पंचेन लामा और करमापा अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन पंचेन लामा चीन में हैं और वह करमापा को अपने साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। ताकि वह अपना दलाई लामा चुन सके। ओझा कहते हैं कि पूरे तिब्बत की भलाई और एकजुटता का संदेश देते हुए दलाई लामा ने करमापा से मुलाकात की थी।