Politics: 'महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने का समय आ गया'; उद्धव-राज के साथ आने की अटकलों के बीच शिवसेना UBT
महाराष्ट्र में ठाकरे बंधु के एक साथ आने की अटकलें तेज है। इस बीच शिवसेना UBT ने अपनी एक पोस्ट से सियासी हलचल तेज कर दी है। इस पोस्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र और मुंबई के हित में एकजुट होने का समय आ गया है।


विस्तार
महाराष्ट्र में इन दिनों राज ठाकरे की पार्टी मनसे और उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी में गठबंधन के कयास लगाए जा रहे हैं। हाल ही में दोनों नेताओं ने संकेत दिए कि वे साथ आ सकते हैं और महाराष्ट्र की भलाई के लिए मामूली मुद्दों को नजरअंदाज कर सकते हैं। इन सबके बीच, शिवसेना (यूबीटी) ने शनिवार को एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। पार्टी ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि अब मुंबई और महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने का समय आ गया है।
शिवसेना (यूबीटी) ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र के हित के लिए शिवसैनिक मराठी 'अस्मिता' (गौरव) की रक्षा के लिए तैयार हैं। शिवसेना यूबीटी का यह बयान तब आया है जबकि महाराष्ट्र में उद्धव और राज ठाकरे के साथ आने की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, हाल ही में अलग-अलग कार्यक्रमों में बोलते हुए दोनों नेताओं ने कहा कि मराठी भाषा और संस्कृति को बचाना आपसी राजनीतिक लड़ाई से ज्यादा जरूरी है। राज ठाकरे ने साफ कहा कि उनके और उद्धव के बीच जो भी मतभेद हैं, वे मामूली हैं और राज्य के हित में उन्हें भुलाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र चाहता है कि हम साथ आएं तो हम अहंकार को बीच में नहीं लाएंगे। उधर उद्धव ठाकरे ने पुनर्मिलन की संभावना पर कहा कि वह व्यक्तिगत विवाद भुलाने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि हम रोज पाला नहीं बदल सकते। जो महाराष्ट्र के खिलाफ काम करेगा, उसे मैं स्वीकार नहीं करूंगा।
भाजपा का ऐसा है रुख
वहीं, जब शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के बीच गठबंधन की संभावना के बारे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि साथ आना या गठबंधन बनाना उनका विशेषाधिकार है। इसमें हमें कोई समस्या नहीं है।
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ये भी है बड़ा सवाल
अब ऐसे में एक सवाल ये भी है कि राज और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलें राजनीतिक जरूरत और व्यक्तिगत मजबूरियों की वजह से तेज हो गई हैं। यह गठबंधन बीजेपी और शिंदे गुट के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार कर सकता है, और ठाकरे परिवार की राजनीतिक धरोहर को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि अब देखना यह होगा कि ये अटकलें सच होती हैं या सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं।
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