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शख्सियत: लखनऊ बॉय शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में लहराएंगे भारत का परचम; ISS पर पहले भारतीय होंगे IAF ग्रुप कैप्टन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Sat, 08 Feb 2025 06:00 AM IST
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सार

बचपन में करीब से उड़ते फाइटर जेट विमान को देखकर उसे उड़ाने का निश्चय किया, तो कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों की वीरता के किस्से सुनकर चौदह वर्ष की उम्र में सेना में शामिल होने का निर्णय लिया। खुली आंखों से देखे गए अपने सपनों को पूरा करने निकला लखनऊ का यह लड़का अब नई उड़ान भरने के लिए तैयार है।

UP boy Shubhanshu Shukla Personality IAF Group Captain first Indian on ISS aka international space station
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला - फोटो : एएनआई (फाइल)
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वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय जवानों की जांबाजी की खबरों से प्रभावित होकर एक चौदह वर्षीय किशोर ने दृढ़ निश्चय किया कि मैं भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करूंगा। आज वह भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन है और उनका नाम है शुभांशु उर्फ गुंजन शुक्ला। शुभांशु हाल ही में नासा द्वारा घोषित किए गए अंतरिक्ष अभियान एक्सिओम मिशन-4 के लिए फाइनल किए गए चार क्रू मेंबर्स के मुख्य पायलट होंगे। वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने का कीर्तिमान रचेंगे। धीर-गंभीर स्वभाव के शुभांशु शुक्ला इरादों के पक्के हैं, अवसरों का सदुपयोग करते हैं और सही वक्त पर सही निर्णय भी लेते हैं। इन्हीं खूबियों की वजह से शुभांशु का नाम मिशन के मुख्य पायलट के तौर पर फाइनल किया गया है।

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शुरुआत
शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्तूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा से सेवानिवृत्त हैं। माता गृहिणी हैं। शुभांशु के पिता सत्तर के दशक में हरदोई जिले के संडीला से लखनऊ आ गए थे। उनकी दो बहनें निधि और शुचि हैं। शुभांशु ने तीन से अठारह वर्ष की उम्र तक यानी पूरी स्कूली शिक्षा लखनऊ के अलीगंज में स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पूरी की। वर्ष 2003 में उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में चुना गया। ट्रेनिंग के बाद शुभांशु ने विमानन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और 2006 में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बने। शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना डेंटिस्ट हैं और उनका एक बेटा (कियास) है। शुभांशु को परिजन प्यार से गुंजन बुलाते हैं।
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गगनयान मिशन के लिए भी चुने गए
शुभांशु की खासियत है कि कितनी भी विषम परिस्थिति हो, वह अपना आपा कभी नहीं खोते। अंतरिक्ष पर जाने से पहले क्रू मेंबर को कई कसौटियों से गुजरना पड़ता है। वर्ष 2006 में फाइटर जेट उड़ाने वाले बेड़े का हिस्सा बने शुभांशु फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं। वह वर्ष 2019 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुने गए थे। उन्होंने भारत और रूस के बीच गगनयान मिशन की ट्रेनिंग के लिए हुए समझौते के तहत 2021 में मॉस्को में गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर से प्रशिक्षण हासिल किया। इसके बाद इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेनिंग सेंटर में जारी परीक्षणों में भी शामिल रहे। 27 फरवरी, 2024 को गगनयान मिशन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला के नाम की घोषणा की। वहीं बीते साल अगस्त में एक्सिओम मिशन-4 के लिए चयन हुआ और 31 जनवरी, 2025 को आखिरकार मिशन के अंतिम क्रू मेंबर में शामिल हुए।

एनडीए, एसएसबी दोनों में चयनित
भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठाने बैठे थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। शुभांशु ने सेना में जाने के लिए एसएसबी का फॉर्म भरा था। वहीं, उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इन्कार कर दिया। शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने एनडीए में जाने का निश्चय किया।

साथी अंतरिक्ष यात्रियों को खिलाएंगे देसी भोजन
अंतरिक्ष से जुड़ी किताबों को पढ़ने और नई-नई तकनीक सीखने के शौकीन शुभांशु के साथ इसी साल अप्रैल के आसपास जाने वाले अन्य चार लोगों में अमेरिका की पेगी व्हिस्टन अंतरिक्ष विमान की कमांडर होंगी, मिशन विशेषज्ञ के तौर पर पॉलैंड के इंजीनियर स्लावोस्ज उज्नान्स्की-वित्निव्स्की और हंगरी के इंजीनियर टिबोर कापू शामिल हैं। एक्सिओन मिशन-4 पूरा करने के बाद शुभांशु अगले साल गगनयान मिशन पर भी जाएंगे। शुभांशु 1984 में अंतरिक्ष पर जाने वाले राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय भी बन जाएंगे। शुभांशु ने योजना बनाई है कि करीब चौदह दिन के मिशन के दौरान व अंतरिक्ष पहुंचकर योग करेंगे और अपने साथियों को देसी खाना भी खिलाएंगे। बताया जाता है कि शुभांशु जब कक्षा छह के छात्र थे, तब उन्होंने करीब से फाइटर जेट को उड़ते हुए देखा था और सोचा था कि एक दिन मैं भी ऐसे ही फाइटर जेट उड़ाऊंगा।

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