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UP Elections 2022: जिन्ना और कृष्ण नहीं, युवाओं के लिए रोजगार ही सबसे बड़ा मुद्दा
प्रयागराज से अमित शर्मा की रिपोर्ट
Published by: Amit Mandal
Updated Thu, 09 Dec 2021 04:48 PM IST
सार
आगामी यूपी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का नजर आ रहा है। बातचीत से पता चलता है कि युवाओं ने मन बनाया है कि जो सचमुच रोजगार देगा, वोट उसी को देंगे।
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Akhilesh Yadav-CM Yogi
- फोटो : social Media
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विस्तार
किसी भी चुनाव में युवा मतदाता राजनीतिक दलों की एक बड़ी प्राथमिकता में शामिल होते हैं। खूब जोर-शोर से मतदान करने को उत्सुक युवा मतदाता किसी भी दल की ओर मुड़ जाएं तो उसकी जीत तय हो जाती है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल इन्हें अपने से जोड़ने के लिए तरह-तरह की लुभावनी घोषणाएं करते रहते हैं। लेकिन युवाओं से बात करने पर पता चलता है कि अब वे पहले से कहीं ज्यादा सूचना संपन्न और अपने अधिकारों के लिए जागरूक हैं। अब युवाओं ने मन बनाया है कि जो सचमुच रोज़गार देगा, वोट उसी को देंगे।
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सियासी दल उठाने लगे जिन्ना और कृष्ण का मुद्दा
प्रयागराज के तेलियरगंज निवासी आदर्श शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि इस चुनाव में राजनीतिक दल एक बार फिर जिन्ना और कृष्ण की बात उठाने लगे हैं। उन्हें लगता है कि युवाओं को इन्हीं मुद्दों से बरगलाया जा सकता है। लेकिन राजनीतिक दलों को समझना चाहिए कि युवाओं के लिए रोजगार ही सबसे बड़ा धर्म होता है। जब तक सभी युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता, विकास का कोई भी दावा पूरा नहीं हो सकता।
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अर्थशास्त्र के शोध छात्र आदर्श शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार हो या यूपी सरकार, पिछले पांच सालों में प्रदेश में विकास के कई बड़े काम किये गए हैं। बड़े-बड़े एक्सप्रेस हाईवे, एयरपोर्ट और स्वास्थ्य सुविधाओं का निर्माण करने के लिए सरकार की प्रशंसा की जा सकती है। लेकिन इनके निर्माण के समय रोजगार के जितने बड़े दावे किये जाते हैं, अक्सर वे पूरे नहीं होते। आज भी अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स या अन्य सपोर्टिंग स्टाफ नहीं होते। लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। सरकार को बड़ी घोषणाएं करने की बजाय उनको अच्छी तरह से लागू करने पर जोर देना चाहिए।
एयरपोर्ट और एक्सप्रेस हाईवे से कम रोजगार पैदा हो रहे
आजमगढ़ के रहने वाले विशाल यादव प्रयागराज में रहकर यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी ताकत के साथ यह घोषणा करती है कि यूपी में देश में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थापित किये जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि इससे बड़ी मात्रा में रोजगार पैदा होंगे। लेकिन इसी मामले की असलियत यह है कि हजारों करोड़ की लागत से बनने वाले इन एयरपोर्ट और एक्सप्रेस हाईवे से अपेक्षाकृत कम रोजगार पैदा होते हैं। जिन किसानों की जमीन इनके निर्माण में ली जाती है, वे शायद ही कभी इन एयरपोर्ट का इस्तेमाल कर पायेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार परिवहन के लिए इनका निर्माण तो अवश्य करे, लेकिन वह कृषि और उत्पादन आधारित योजनाओं को बढ़ाने का काम करे जिससे भारी से भारी संख्या में रोजगार पैदा हो और युवाओं में अपने भविष्य के प्रति असुरक्षा का भाव न पैदा हो। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में उनके जैसे सभी साथी रोजगार के मुद्दे पर ही मतदान करेंगे। जो भी राजनीतिक दल युवाओं के लिए बेहतर योजनाएं पेश करेगा, युवा उनकी ओर मुड़ सकते हैं।
चुनाव के बाद नहीं मिलता रोजगार
हंडिया निवासी जमील अहमद ने बताया कि सरकारें चुनाव के समय बहुत रोजगार देने की बात कहती हैं, लेकिन चुनाव के बाद रोजगार नहीं मिलते। जो परीक्षाएं आयोजित होती हैं उनके नतीजे वक्त पर नहीं आते। परीक्षाओं में पास होने के बाद भी नौकरी मिलने की गारंटी नहीं रहती। उन्होंने कहा कि एक कानून के तहत किसी भी राजनीतिक दल या सरकार को नौकरियों की घोषणा को निश्चित समय सीमा में पूरा करने के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चहिये।
युवा वोटर 27 फीसदी से ज्यादा
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान 29 वर्ष तक की आयु के युवा वोटरों की संख्या लगभग 27 प्रतिशत थी। उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी 17 लाख नए मतदाता जुड़े थे जिन्होंने चुनाव में पहली बार वोट किया था। अनुमान है कि पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या इस चुनाव में भी काफी अधिक रहने वाली है जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।