UPSC results 2022: चौथे स्थान पर आने वाली स्मृति मिश्रा अमर उजाला से बोलीं- 3 साल तक बनाई सोशल मीडिया से दूरी
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विस्तार
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सर्विस एग्जाम 2022 का फाइनल रिजल्ट मंगलवार को घोषित कर दिया है। इन परिणामों में सबसे खास बात यह रही है कि 2021 की तरह 2022 के नतीजों में भी पहले तीन स्थान लड़कियों के नाम रहे हैं। इस बार पहले चारों स्थान पर लड़कियों का दबदबा रहा। एक और खास बात यह है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने टॉपर्स के मामले में आईआईटी समेत बड़े संस्थानों को पीछे छोड़ दिया है।
इस परीक्षा में डीयू के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की इशिता किशोर ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 में शीर्ष स्थान हासिल किया है। डीयू के ही किरोड़ीमल कॉलेज की गरिमा लोहिया को दूसरा स्थान मिला है। आईआईटी हैदराबाद से इंजीनियरिंग करने वाली उमा हरीती एन को तीसरा स्थान मिला है। वहीं डीयू के ही मिरांडा हाउस की स्मृति मिश्रा को चौथा स्थान मिला है। सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 933 अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की है।
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अमर उजाला से विशेष चर्चा में स्मृति मिश्रा कहती हैं कि मैंने कभी भी घंटे तय कर पढ़ाई पर फोकस नहीं किया। सब्जेक्ट के हिसाब से हर दिन का टारगेट सेट कर पढ़ाई की। फिर ही भले ही उस टारगेट को पूरा करने में मुझे चार घंटे लगे या पांच घंटे। मैं टारगेट खत्म होने के बाद ही पढ़ाई खत्म करती थी। यूपीएससी की पढ़ाई कभी एक दिन में पूरी नहीं होती है। इसके लिए सतत प्रयास, परिश्रम और लगन के साथ साथ निरंतरता बहुत जरूरी है। मैंने पढ़ाई की निरंतरता बनाई रखी। इसके चलते मुझे आज ये सफलता हासिल हुई। मैं पहले अपने टारगेट पूरा करती थी। इसके बाद ही त्योहार, शादी या किसी कार्यक्रम में शामिल होती थी।
स्मृति बताती हैं कि बीते तीन साल से वे किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक्टिव नहीं है। केवल व्हाट्सएप के जरिए ही अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से जुड़ी रहती थी। लेकिन व्हाट्सएप का उपयोग दिन में तीन से चार बार सूचना लेने और देने के लिए करती थी। आज के दौर यूपीएससी की पढ़ाई करने वाले छात्रों को सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए। क्योंकि इसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं।
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स्मृति का कहना है कि यूपीएससी का यह मेरा तीसरा प्रयास था। ऑप्शनल सब्जेक्ट जीव-विज्ञान था। पढ़ाई में सबसे ज्यादा दिक्कत सब्जेक्ट के सिलेबस समझने में होती थी। इस सब्जेक्ट में प्रश्नों के उत्तर देना बेहद कठिन होता है। लेकिन मैंने अपने शिक्षकों और सीनियरों की मदद से सब सीखा और जवाब दिए। इसी परिणाम मुझे आज मिला। यूपीएससी के लिए बकायदा मैंने कोचिंग क्लास ली। मेरे पिताजी राजकुमार मिश्रा से मैं बहुत प्रभावित हूं। वे लगातार मेरा उत्साहवर्धन करते थे। इसके अलावा नोएडा की पहली महिला पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से भी मुझे लगातार प्रेरणा मिलती थी। मेरे पिताजी आगरा में लक्ष्मी सिंह के अधीन कार्यरत थे। तब से मेरा उनसे परिचय है।
स्मृति मूलत: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की रहने वाली हैं। उनके पिता राजकुमार मिश्रा बरेली में करीब दो साल से सीओ सेकेंड पद पर तैनात हैं। स्मृति मिश्रा अपनी मां अनीता मिश्रा के साथ नोएडा में रह रही हैं। स्मृति के भाई लोकेश मिश्रा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। मंगलवार दोपहर राजकुमार मिश्रा को फोन पर बेटी ने आईएएस बनने की खबर दी। उन्होंने कहा कि बेटी पर गर्व है।
स्मृति ने बताया कि आईएएस बनने के बाद महिला उत्थान के क्षेत्र में काम करना चाहूंगी। क्योंकि महिलाओं के पास अवसर जरूर हैं, लेकिन उन्हें मौके नहीं मिलते हैं। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काम करना चाहूंगी। क्योंकि आज आम लोगों का ध्यान इस तरफ नहीं होता है। जबकि इन स्थानीय सरकारी संस्थाओं की मदद से ही कई सारी समस्याओं का हल निकालता है।
स्मृति अपनी इस सफलता का श्रेय मिरांडा हाउस कॉलेज की लाइफ साइंस डिपार्टमेंट की हेड यशा और प्राचार्य प्रो बिजयलक्ष्मी नंदा को भी दिया। स्मृति ने कहा कि मिरांडा हाउस कॉलेज के सभी शिक्षकों का समर्थन मुझे मिला है। आज मुझे गर्व है कि मैं मिरांडा हाउस कॉलेज की छात्रा रही हूं।