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ट्रंप की सुरक्षा में खास है 'CCC' का ग्रीन सिग्नल, इसके इशारे के बाद ही बाहर निकलते हैं राष्ट्रपति

जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Sat, 22 Feb 2020 02:50 PM IST
सार

  • 'सेटेलाइट, सीआईए और सोर्स' के माध्यम से ग्राउंड रिपोर्ट की सच्चाई परखी जाती है
  • यूएस 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' (सीआईए) के खास सेटेलाइट भारत पहुंचे
  • इन खास अफसरों की जानकारी केवल होती है पीएमओ, विदेश मंत्रालय और एनएसए के पास

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US President Donald Trump multilayer Security Cover by CIA in India during His visit
Donald Trump the beast - फोटो : Social Media
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विस्तार
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा में 'CCC' की खास अहमियत है। जब तक यहां से इशारा नहीं मिलता, ट्रंप बाहर नहीं निकलते हैं। इस यूनिट को 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' (सीआईए) हेड करती है। 'सेटेलाइट, सीआईए और सोर्स' यानी सीसीसी, ये तीनों इकाई राष्ट्रपति के सुरक्षा घेरे को अभेद बनाती हैं। राष्ट्रपति के विदेश दौरे पर जो ग्राउंड सिक्योरिटी डॉटा रिपोर्ट तैयार की जाती है, उसकी सच्चाई जानने के लिए ‘सीसीसी’ की मदद लेते हैं।
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संबंधित देश में लोकल पुलिस और इंटेलीजेंस यूनिट जो भी ग्राउंड रिपोर्ट देती है, उस पर सीआईए अधिक भरोसा नहीं करती। 'सेटेलाइट, सीआईए और सोर्स' के माध्यम से ग्राउंड रिपोर्ट की सच्चाई परखी जाती है। जब तक यहां से ग्रीन सिग्नल नहीं मिलता, तब तक अमेरिकी राष्ट्रपति बाहर नहीं निकलते।

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दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा रक्षा एजेंसी के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा के लिए यूएस 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' (सीआईए) के खास सेटेलाइट भारत पहुंच गए हैं। इन सभी सेटेलाइट को सीसीसी का हिस्सा माना जाता है। ये सेटेलाइट केवल ट्रंप के दौरे के लिए आए हैं। इन्हें 25 फरवरी तक की मंजूरी मिली है।


जैसे ही ट्रंप स्वदेश रवाना होंगे, उसके साथ ही ये सेटेलाइट भी हटा लिए जाएंगे। दिल्ली के अलावा आगरा और अहमदाबाद में भी ऐसे सेटेलाइट रहेंगे। इनके जरिए राष्ट्रपति ट्रंप की ग्राउंड सिक्योरिटी डॉटा रिपोर्ट की सच्चाई परखी जाएगी। चूंकि यह रिपोर्ट राष्ट्रपति सुरक्षा के प्रोटोकॉल में शामिल रहती है, इसलिए कोई भी देश इसे अपनी जमीन पर काम करने से नहीं रोक सकता।

राष्ट्रपति ट्रंप, पीएम मोदी के साथ एयरपोर्ट से लेकर मोटेरा स्टेडियम तक आयोजित होने वाले रोड शो कार्यक्रम में भाग लेंगे। चूंकि ये सभी कार्यक्रम खुले में रहेंगे, इसलिए यूएस 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' ने अतिरिक्त सेटेलाइट लगाए हैं। इनके जरिए ट्रंप के रोड शो, आगरा और दिल्ली में आयोजित कार्यक्रमों पर नजर रखी जाएगी।
 

सूत्रों का कहना है कि कई बार इन सेटेलाइट को स्पाई प्लेन का नाम दे दिया जाता है, लेकिन ये गलत है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां, जैसे डीआरडीओ और स्पेस एजेंसी से बात करने के बाद ही अतिरिक्त सेटेलाइट को मंजूरी प्रदान की जाती है। भारतीय एजेंसी अपने तरीके से इन सेटेलाइट पर नजर रखती हैं। राष्ट्रपति का दौरा समाप्त होते ही सभी सेटेलाइट वापस चले जाते हैं।

खास होती है ग्राउंड सिक्योरिटी रिपोर्ट

राष्ट्रपति ट्रंप के विदेशी दौरे पर ग्राउंड सिक्योरिटी रिपोर्ट को सबसे ज्यादा प्रमुखता दी जाती है। इसमें वे सभी जगह शामिल होती हैं, जहां पर राष्ट्रपति को जाना है। साथ ही राष्ट्रपति का रूट भी इसी के जरिए कवर होता है। लोकल पुलिस की ग्राउंड रिपोर्ट को 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' अपने तरीके से परखती है।

सबसे पहले सेटेलाइट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि लोकल पुलिस ने जो रूट क्लीयर किया है, वह सही है या नहीं। स्टेडियम के बारे में जो बातें कही गई हैं, उनकी प्रमाणिकता कितनी है। दूसरे नंबर पर, सीआईए खुद अपने स्तर पर उक्त बातों का पता लगाती है। तीसरा नंबर आता है अमेरिकन सोर्स का। यह एक ऐसी इकाई होती है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति की निजी सुरक्षा, सीआईए और सैन्य इंटेलीजेंस के अफसर रहते हैं।

ये अफसर राष्ट्रपति के दौरे से कई दिन पहले प्रस्तावित दौरे वाली जगहों पर पहुंच जाते हैं। ये अपने तरीके से ग्राउंड सिक्योरिटी रिपोर्ट तैयार करते हैं। इनके पास लोकल पुलिस की रिपोर्ट भी रहती है। खास बात है कि किसी देश में इन अफसरों की भनक केवल पीएमओ, विदेश मंत्रालय और एनएसए को रहती है।

लोकल पुलिस और दूसरी एजेंसियों को इस इकाई के बारे में नहीं बताया जाता। यह इसलिए किया जाता है कि ताकि ये अफसर स्वतंत्र तरीके से सिक्योरिटी रिपोर्ट तैयार कर सकें। जब 'सेटेलाइट, सीआईए और सोर्स' इन तीनों की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलता है तभी राष्ट्रपति ट्रंप आगे बढ़ते हैं।

दूसरे देश को इन कोड वर्ड की जानकारी नहीं

राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए सेटेलाइट, संचार उपकरण या अन्य तकनीकी सामान, जो बाहर से आता है, उसका कोड वर्ड तैयार किया जाता है। इसकी जानकारी केवल सीआईए के पास रहती है। जैसे 'क्यू' 'टी' 'जी' और 'एन' जैसे कोड वर्ड का इस्तेमाल संबंधित राष्ट्र के साथ पत्राचार के लिए किया जाता है।

राष्ट्रपति ट्रम्प के मौजूदा भारत दौरें में संचार एवं सुरक्षा उपकरणों के लिए डब्लूआरटी, ओपीएस पैलेट, टीएसबी, डब्लूएचएमओ, पीडब्लूआर, एलओजी, एमसीटी, एसएटी कॉम और सीसीआई डब्लूसीआई आदि शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।

 

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