सवाल-जवाब में SIR: BLO को आप नहीं मिले तो क्या होगा, 2004 में माता-पिता भी वोटर नहीं तो कैसे बन सकेंगे मतदाता?
विशेष गहन पुनरीक्षण होता क्या है? चुनाव आयोग ये क्यों करा रहा है? पूरी प्रक्रिया के दौरान क्या-क्या होगा? अगर आपके राज्य में भी विशेष गहन पुनरीक्षण हो रहा है तो किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी? अगर बीएलओ के आने पर आप घर पर नहीं हुए तो क्या होगा? अगर ऑनलाइन इसमें शामिल होना चाहें तो क्या करना होगा? आइये इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...
                            विस्तार
आखिर ये क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण होता क्या है? चुनाव आयोग ये क्यों करा रहा है? पूरी प्रक्रिया के दौरान क्या-क्या होगा? अगर आपके राज्य में भी विशेष गहन पुनरीक्षण हो रहा है तो आपको किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी? क्या बीएलओ आपके घर आएंगे या ऑनलाइन ही इसे किया जा सकेगा? अगर बीएलओ के आने पर आप घर पर नहीं हुए तो क्या होगा? अगर ऑनलाइन इसमें शामिल होना चाहें तो क्या करना होगा? आइये इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...
विशेष गहन पुनरीक्षण क्या है?
यह एक खास अभियान है जिसके तहत किसी निर्वाचन क्षेत्र या राज्य की मतदाता सूची को वेरिफाई, सही और अपडेट किया जाता है। इसमें काफी गहन जांच होती है घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन किया जाता है। इससे चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि हर योग्य मतदाता सही तरीके से मतदाता सूची में शामिल हो और कोई भी नकली या डुप्लीकेट नाम इसमें न रहे।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 ("RPA 1950") संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण चुनाव आयोग को देता है। चुनावी मशीनरी, पात्रता शर्तें, मतदाता सूची तैयार करने का तरीका और प्रक्रिया RPA 1950 और RPA 1950 के तहत बनाए गए मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 ("RER, 1960") के तहत प्रदान की गई हैं। RPA 1950 के सेक्शन 21 के साथ-साथ RPA 1950 के दूसरे लागू प्रोविज़न्स के तहत, कमीशन को इलेक्टोरल रोल्स का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण करने का अधिकार है, जिसमें नए सिरे से मतदाता सूची तैयार करना भी शामिल है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराया। इस दौरान आए ड्राफ्ट रोल में 65 लाख से ज्यादा मतदातओं ने के नाम हटाए गए। दावे आपत्ति के बाद आई अंतिम मतदाता सूची में बिहार में 47,77,487 मतदाता घट गए थे। अब इसी प्रक्रिया के दूसरे चरण में चुनाव आयोग ने 12 राज्यों को केंद्र शासित प्रदेशों में SIR कराने का एलान किय है। इसके लिए प्रिंटिंग/ट्रेनिंग 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 के बीच हो रही है। इसके बाद बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं का पुनरीक्षण करेंगे। इस गहन पुनरीक्षण के बाद मसौदा मतदाता सूची जारी की जाएगी। इस सूची के जारी होने के बाद दावे आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगी। इन दावों और आपत्तियों पर सुनवाई और उनके सत्यापन के बाद 7 फरवरी 2026 को नई मतदाता सूची का प्रकाशन होगा।
बीएलओ मतदाताओं के पास कब आएंगे और इस दौरान क्या करना होगा?
एसआईआर सामान्य मतदाता सूची संशोधन से अधिक विस्तृत प्रक्रिया है। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारी  27 अक्तूबर 2025 को फ्रीज की गई मतदाता सूची के अनुसार प्रत्येक मतदाता के लिए यूनिक एन्यूमरेशन फॉर्म तैयार करेंगे। इन फॉर्म में मौजूदा मतदाता सूची से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी होगी। हर 1000 मतदाता पर एक  बूथ लेवल अधिकारी यानी बीएलओ नियुक्त किया जाएगा। ये बीएलओ इन फॉर्मों को अपने क्षेत्र के मतदाता तक पहुंचाएंगे और उन्हें 2002-2004 में हुई पिछली एसआईआर के रिकॉर्ड से नाम या रिश्तेदारों के नाम से मिलान करने में मदद करेंगे। इसके लिए बूथ लेवल अधिकारियों को ऑल-इंडिया डेटाबेस तक भी पहुंच दी जाएगी। जिससे अगर मतदाता का नाम 2002-2004 में किसी अलग मतदान केंद्र, विधानसभा या राज्य में रहा हो तो उसका मिलान किया जा सके। नाम मिलान के साथ ही मतदाता का काम पूरा हो जाएगा। आगे की प्रक्रिया निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी यानी ईआरओ द्वारा की जाएगी। 
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
बिहार के अनुभव को देखते हुए चुनाव आयोग ने यह भी निर्णय लिया है कि बीएलओ फॉर्मों के मिलान और लिंकिंग के लिए अधिकतम तीन बार घरों का दौरा करेंगे। बीएलओ सिर्फ संबंधित राज्य ही नहीं बल्कि देश भर के मतदाता सूची की जांच कर यह देखेंगे के संबंधित व्यक्ति का नाम कहीं और तो नहीं है। यदि किसी अन्य सूची में नाम पाया गया तब भी उन्हें मतदाता माना जाएगा। यदि कोई मतदाता अस्थायी रूप से बाहर गया है या ऑफिस समय में उपलब्ध नहीं है, तो वह ऑनलाइन माध्यम से स्वयं भी विवरण अपडेट कर सकता है। पहले चरण में मतदाताओं के विवरण 2002-03-04 की सूची से मिलान किए जाएंगे ताकि पुराने रिकॉर्ड में विसंगतियां पकड़ी जा सकें।
बीएलओ मतदाता के पास जाकर क्या करेंगे?
बीएलओ द्वारा दिए गए विशिष्ट गणना प्रपत्र में मौजूदा मतदाता सूची के सभी आवश्यक विवरण होंगे। बीएलओ प्रपत्र देने के बाद, जिन मतदाताओं के नाम उनमें हैं, यह मिलान करेंगे कि क्या उनका नाम 2003 की सूची में था। यदि हां, तो उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं होगी। अगर मतदाता का नाम उसमें नहीं हैं, बल्कि उनके माता-पिता के नाम सूची में थे, तो भी उन्हें कोई अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की जरूरत नहीं होगी। 2002 से 2004 तक की एसआईआर मतदाता सूची http://voters.eci.gov.in पर उपलब्ध होगी। मतदाता खुद भी इसका मिलान कर सकेंगे। जिनके नाम इनमें नहीं होंगे उन्हें पहचान, जन्म और निवास के दस्तावेज देने होंगे।
जिन्हें दस्तावेज दिखाने की जरूरत पड़ेगी, उन्हें कौन से दस्तावेज रखने होंगे?
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                जिन मतदातों के नाम का मिलान नहीं हो पाता उन्हें इसके लिए कुछ तय दस्तावेज दिखाकर अपना नाम मतदाता सूची में  जुड़वाना होगा। इनमें निम्न दस्तावेज शामिल हैं...
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केंद्र सरकार, राज्य सरकार या किसी सरकारी उपक्रम के नियमित कर्मचारी या पेंशनधारक को जारी किया गया पहचान पत्र या पेंशन भुगतान आदेश।
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किसी सरकारी संस्था, स्थानीय निकाय, बैंक, डाकघर, एलआईसी या सरकारी उपक्रम द्वारा एक जुलाई 1987 से पहले जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र, प्रमाणपत्र या दस्तावेज।
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र।
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पासपोर्ट।
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किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया मैट्रिकुलेशन या शैक्षिक प्रमाणपत्र।
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राज्य सरकार की सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र।
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वन अधिकार प्रमाणपत्र।
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ओबीसी, एससी, एसटी या किसी जाति का प्रमाणपत्र।
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राष्ट्रीय नागरिक पंजी जहां लागू हो।
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परिवार रजिस्टर, जिसे राज्य या स्थानीय निकायों द्वारा तैयार किया गया हो।
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सरकार द्वारा जारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र।
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आधार कार्ड मान्य पर आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार, पत्र संख्या 23/2025-ERS/Vol.II दिनांक 09.09.2025 के अनुसार लागू होंगे।
 
चुनाव आयोग ने मतदाता के लिए जरूरी अर्हताएं भी बताईं। इसके अनुसार संविधान की धारा 326 के अनुसार जो भी भारतीय नागरिक है, उसे 18 साल की आयु का होना, संबंधित क्षेत्र का निवासी होना, कानून के तहत किसी तरह के मामलों में वांछित नहीं होना चाहिए। ऐसे लोगों को सूची में नाम शामिल कराने का अधिकार है। वहीं, भीड़भाड़ से बचने के लिए, आयोग ने निर्णय लिया है कि किसी भी मतदान केंद्र पर 1,200 से ज्यादा मतदाता नहीं होंगे और ऊंची इमारतों, गेटेड कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में नए मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
                                                                                                                                                        मतदाता ऑनलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं। यदि उनके नाम, या उनके पिता या माता के नाम, 2003 की सूची में थे तो उन्हें 2003 की मतदाता सूची से अपने नाम की लिंकिंग करनी होगी। अगर मतदाता या उनके माता या पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे तो ईआरओ 12 दस्तावेजों के आधार पर पात्रता निर्धारित करेगा। आयोग द्वारा तय 12 दस्तावेजों के अलावा यदि किसी के पास अतिरिक्त वैध दस्तावेज है तो आयोग उसे भी मान्य करेगा। ईआरओ के फैसले के बाद, यानी अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का कोई भी मतदाता या निवासी जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है और 15 दिनों के भीतर राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के पास अपनी दूसरी अपील भी दायर कर सकता है।
2004 में हुआ था आखिरी एसआईआर
यह विशेष पुनरीक्षण 20 साल बाद हो रहा है। इससे पहले 1951 से 2004 के बीच कुल आठ बार एसआईआर की प्रक्रिया की गई थी। अब इस अभ्यास के तहत सभी योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल किया जाएगा और उन नामों को हटाया जाएगा जो गलत तरीके से दर्ज हैं। इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई अयोग्य नाम सूची में शामिल न रहे।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                 
बिहार एसआईआर क्या था?
बिहार में गणना प्रपत्रों का वितरण और कर्मियों का प्रशिक्षण 24 जून 2025 तक पूरा किया गया। राज्य में 7,89,69,844 निर्वाचकों के लिए प्रपत्र मुद्रित कर बीएलओ के माध्यम से वितरित किए गए। इस प्रक्रिया में 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचक निबंधक, 2,976 सहायक निबंधक, 77,895 बी.एल.ओ. और स्वयंसेवकों ने सक्रिय भाग लिया। कुल 7,24,05,756 गणना प्रपत्र प्राप्त हुए, जिसमें 16 लाख से अधिक आवेदन ऑनलाइन किए गए।
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
दावा-आपत्ति के बाद निर्वाचन अधिकारियों ने सुनवाई कर केवल उचित निर्णय लेने के बाद ही किसी मतदाता का नाम हटाया। इस पूरी प्रक्रिया के बाद 30 सितंबर 2025 को बिहार राज्य की अंतिम निर्वाचक सूची जारी की गई। अंतिम सूची के अनुसार, बिहार में कुल 7,41,92,357 मतदाता हैं। इसमें पुरुष मतदाता 3,92,07,804, महिलाएं 3,49,82,828 और थर्ड जेंडर 1,725 हैं। विशेष श्रेणियों में 85 वर्ष और उससे ऊपर आयु वर्ग के मतदाता 4,03,985, 18-19 वर्ष के युवा मतदाता 14,01,150 और दिव्यांग मतदाता 7,20,709 हैं।