Pahalgam: क्या मोदी सरकार पहलगाम पर करेगी कारगिल समीक्षा समिति जैसी जांच? कांग्रेस ने केंद्र से पूछे सवाल
कांग्रेस पार्टी ने केंद्र से सवाल पूछा है कि, क्या सरकार पहलगाम आतंकी हमले को कारगिल समीक्षा समिति जैसी जांच करेगी। वहीं इसके साथ ही कांग्रेस ने संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका को लेकर सरकार से सवाल और सर्वदलीय बैठक के साथ-साथ संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।


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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने क्या की मांग?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'कारगिल युद्ध खत्म होने के तीन दिन बाद, 29 जुलाई 1999 को वाजपेयी सरकार ने 'कारगिल समीक्षा समिति' बनाई थी। इसकी रिपोर्ट 23 फरवरी 2000 को संसद में रखी गई थी, हालांकि उसकी कुछ बातें आज भी गोपनीय हैं – और रहनी भी चाहिए।' उन्होंने लिखा, 'उस कमेटी की अध्यक्षता भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रह्मण्यम ने की थी, जो विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी के पिता हैं। क्या मोदी सरकार अब 'पहलगाम' की घटना पर वैसी ही कोई जांच कराएगी, भले ही एनआईए जांच कर रही हो?'
पहलगाम आतंकी हमले के बाद कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही सरकार का साथ दिया। हमने कहा कि हम सरकार और सेना के साथ पूरी एकजुटता से खड़े हैं, चाहे वे कोई भी कदम उठाएं। हमने 'ऑपरेशन सिंदूर' का पूरा समर्थन किया था।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा… pic.twitter.com/QrJcvb3WEu— Congress (@INCIndia) May 13, 2025
ट्रंप के श्रेय लेने पर कांग्रेस का सवाल
जयराम रमेश के इस बयान के पीछे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बड़ा दावा है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के बीच एक परमाणु संघर्ष टल गया था और इसमें अमेरिका की भूमिका रही। ट्रंप ने कहा, "शनिवार को हमने भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्ण और तात्कालिक युद्धविराम कराने में मदद की। यह एक स्थायी समझौता है, और हमने एक बड़ा परमाणु टकराव टाल दिया।' उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान से कहा कि अगर वे युद्ध बंद करते हैं, तो अमेरिका उनके साथ बड़ा व्यापार करेगा। और अगर नहीं माने, तो कोई व्यापार नहीं होगा। ट्रंप ने यह भी कहा, 'लोगों ने कभी व्यापार को इस तरह से इस्तेमाल नहीं किया जैसे मैंने किया। मैंने कहा – युद्ध बंद करो, तो व्यापार होगा, नहीं तो कुछ नहीं। और उन्होंने युद्ध बंद कर दिया।'
भारत का क्या कहना है?
भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के सैन्य प्रमुखों (डीजीएमओ) ने आपसी सहमति से सभी तरह की सैन्य कार्रवाई- जमीन, हवा और समुद्र - को रोकने का फैसला किया। भारत ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई तीसरी पार्टी शामिल नहीं थी।
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कांग्रेस ने केंद्र के सामने क्या रखी मांग?
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को गंभीर बताते हुए दो बड़ी मांगें दोहराईं, पहला कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हो। जबकि दूसरी मांग संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाने को लेकर है, न कि दो-ढाई महीने बाद। कांग्रेस का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही चर्चाओं और अमेरिका से आ रहे बयानों के चलते अब यह जरूरी हो गया है कि सरकार देश के लोगों और राजनीतिक दलों को भरोसे में ले।