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Year Ender 2025: एआई से सेमीकंडक्टर तक...तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर भारत; विज्ञान क्षेत्र में नई उपलब्धियां

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली Published by: शिवम गर्ग Updated Mon, 29 Dec 2025 07:33 AM IST
सार

वर्ष 2025 में भारत ने एआई, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदमों से भारत वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में उभरा।

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Year Ender 2025: From AI to Semiconductors, India Accelerates Its Journey Towards Technological Self-Reliance
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत का डंका। - फोटो : Amar Ujala Graphics
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भारत के लिए वर्ष 2025 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रगति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सेमीकंडक्टर से लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिजों तक के मामले में भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा। साथ ही, यह भी दिखाया है कि वह अब वैश्विक तकनीकों को सिर्फ अपना नहीं रहा, बल्कि उन्हें आकार भी दे रहा है।

तकनीकी क्षेत्र में भारत की यह प्रगति विकसित भारत 2047 विजन के साथ मजबूती से जुड़ी है। देश में पहली बार किसी सरकार ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण को तकनीकी मिशन का मुख्य हिस्सा बनाया है। मई 2025 में नोएडा और बंगलूरू में 3-नैनोमीटरआकार की चिप के डिजाइन के लिए समर्पित दो उन्नत इकाइयों का शुभारंभ करके एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया। ये इकाइयां भारत की उस यात्रा की शुरुआत का प्रतीक हैं, जिसमें देश सेमीकंडक्टर से जुड़ी अपनी जरूरत के 90 फीसदी हिस्से का आयात करने से लेकर अब रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अपना भविष्य खुद तय करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इंडिया एआई मिशन के तहत भारत को अग्रणी बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का महत्वपूर्ण निवेश किया है।

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एआई के बुनियादी ढांचे को मिलेगा विस्तार
सूत्रों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत ने एआई से जुड़े राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के व्यापक विस्तार की तैयारी की है। इसके तहत 15,916 नए जीपीयू जोड़े गए। भारत की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता अब 38,000 जीपीयू से अधिक हो गई है। ये जीपीयू 67 रुपये प्रति घंटे की सब्सिडी वाली दरों पर उपलब्ध हैं, जो 115 रुपये प्रति जीपीयू घंटे की औसत बाजार दर से कम है।

उन्नत देशों के बीच बनाई जगह : भारत ने हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के 2025 ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल में तीसरे स्थान पर पहुंचकर शानदार छलांग लगाई है। वह एआई से जुड़ी प्रतिस्पर्धा में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर रहा और इस तरह दक्षिण कोरिया, यूके, सिंगापुर, जापान, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल गया है।

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वोकल फॉर लोकल से बदली सोच
स्वदेशी चिप इकोसिस्टम और स्वदेशी आईपी को बढ़ावा देने वाली वोकल फॉर लोकल की यह सोच एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। तीन नैनोमीटर वाली चिप स्मार्टफोन एवं लैपटॉप से लेकर उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर समेत दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक का मुख्य हिस्सा हैं। वही, आईआईटी मद्रास 7 नैनोमीटर वाले प्रोसेसर को विकसित कर रहा है।

तकनीकी जरूरतों को पूरा करने पर रहा ध्यान
अकेले 2025 में भारत ने 5 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी। छह राज्यों में स्थापित सेमीकंडक्टर इकाइयों की कुल संख्या 10 पर पहुंची। इनमें करीब 1.60 लाख करोड़ रुपये का कुल निवेश हुआ। सेमीकंडक्टर निर्माण महत्वपूर्ण खनिजों के बिना नहीं हो सकता। इसलिए जनवरी, 2025 में 16,300 करोड़ रुपये से राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की गई ताकि दुर्लभ खनिज तत्त्वों से संबंधित जरूरतों को पूरा किया जा सके। 2025-26 के बजट में मोदी सरकार ने कोबाल्ट पाउडर एवं अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी के स्क्रैप, सीसा, जस्ता और 12 अन्य महत्वपूर्ण खनिजों को कर से छूट दी ताकि घरेलू प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा मिल सके।

शुभांशु शुक्ला ने दिलाया गौरव
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने भी इस वर्ष राष्ट्रीय गौरव बढ़ाया। इसरो ने कुछ सबसे जटिल मिशन पूरे किए। बड़ी उपलब्धि 30 जुलाई, 2025 को मिली जब जीएसएलवी-एफ16 निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) का सफल प्रक्षेपण किया गया। मानव सहित अंतरिक्ष उड़ान की महत्वाकांक्षाओं ने जुलाई 2025 में उस समय एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने। इसरो ने 2 नवंबर, 2025 को एलवीएम3-एम5 रॉकेट इस्तेमाल कर सीएमएस-03 का प्रक्षेपण करके एक और उपलब्धि हासिल की। लगभग 4,400 किलोग्राम भार वाला सीएमएस-03 भारत की तरफ से प्रक्षेपित अब तक का सबसे भारी उपग्रह है। इसी माह में प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद में स्काईरूट एयरोस्पेसके नए इंफिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया और कंपनी के पहले ऑर्बिटल रॉकेट, विक्रम-1 का अनावरण किया, जिसे उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने की दृष्टि से डिजाइन किया गया है।

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