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जम्मू-कश्मीर: हुनर से एलओसी से सटे गांव को युवतियों ने दिलाई नई पहचान, उद्यमियों के लिए बनीं रोल मॉडल

संवाद न्यूज एजेंसी, राजोरी Published by: अनुराग सक्सेना Updated Mon, 17 Jan 2022 08:31 PM IST
सार

सेना के पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया कि मीनाक्षी रानी, तरजिंदर कौर, प्रिया सैनी और सीमा देवी नौशेरा में एलओसी के लाम गांव में लाम बेकरी चला रही हैं। उनके द्वारा तैयार खास किस्म के केक और कुकीज बेहद लोकप्रिय उत्पाद बन गए हैं।

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Jammu and Kashmir: Women gave a new identity to the village adjoining LOC with skill role model for entrepreneurs
अपने बनाए केक के साथ उद्यमी युवतियां - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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जम्मू-कश्मीर में भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे लाम गांव की दो युवतियों समेत चार महिलाएं उद्यमियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। राजोरी जिले के नौशेरा के इस सुदूरवर्ती और मुश्किलों से जूझने वाले गांव में इन चार महिलाओं की ‘लाम बेकरी’ बेहद लोकप्रिय हो गई है।

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सेना और असीम फाउंडेशन की मदद से इन चार उद्यमी महिलाओं ने नाजुक दस्तकारी केक और कुकीज को इस तरह से तैयार किया कि अब आसपास के गांवों से इन उत्पादों की भारी मांग आ रही है। लाम बेकरी की संचालक दो महिलाओं रानी और सैनी को पुणे में खुद सेना अध्यक्ष एमएम नरवणे ने सम्मानित किया।

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सेना के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया कि मीनाक्षी रानी, तरजिंदर कौर, प्रिया सैनी और सीमा देवी नौशेरा में एलओसी के लाम गांव में लाम बेकरी चला रही हैं। उनके द्वारा तैयार खास किस्म के केक और कुकीज बेहद लोकप्रिय उत्पाद बन गए हैं। रानी और सैनी को बीते वर्ष 22 दिसंबर को महिला सशक्तीकरण में उनके योगदान के लिए थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने सम्मानित किया।

सेना और एनजीओ ने किया सहयोग

उन्होंने बताया कि सेना और एनजीओ असीम फाउंडेशन के सहयोग से इन महिलाओं ने दुश्वारियों के बीच सफलता की नजीर पेश कर दी है। नियंत्रण रेखा से चार किलोमीटर दूर स्थित गांव लाम आजादी के बाद से भारत द्वारा लड़े गए सभी युद्धों में सैन्य कार्रवाई देखने वाले सबसे दूरस्थ गांवों में से एक है। सीमावर्ती गांव की चुनौतियों के बावजूद ये महिलाओं ने स्वरोजगार के लिए खुद को तैयार किया है।

रानी और प्रिया परिवार के लिए भी प्रेरणा

अधिकारी ने कहा कि रानी और कौर अपने बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेवारी का निर्वाह करते हुए बेकरी में काम कर रही हैं। देवी और सैनी युवतियां हैं जो इस प्रयास के पीछे प्रेरक शक्ति बनकर उभरी हैं। कम उम्र में महिलाओं द्वारा किया गया यह गंभीर और अथक प्रयास इस सीमावर्ती गांव में उनके सामने आने वाली बाधाओं का एक ऐसा जवाब है, जो दूसरों के लिए प्रेरणादायक आदर्श स्थापित कर रहा है।

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