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MP News: अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, इंदौर में घर गिराने पर 15 दिन की रोक

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Fri, 21 Nov 2025 02:19 PM IST
सार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के पैतृक मकान पर जारी तोड़फोड़ नोटिस के खिलाफ अब्दुल मजीद की याचिका पर सुनवाई की।

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madhya pradesh high court relief to abdul majeed over demolition notice of hammad ahmed ancestral house
अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक को मिली राहत - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं अल-फला ग्रुप के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के पैतृक मकान पर जारी तोड़फोड़ नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। यह याचिका मकान निवासी और वर्तमान दखलदार अब्दुल मजीद की ओर से दायर की गई है।
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याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में प्रस्तुत किया पक्ष
अब्दुल मजीद के अधिवक्ता अजय बगड़िया ने अदालत को बताया कि हम्माद सिद्दीकी अब जीवित नहीं हैं और उन्होंने इस मकान का  स्वामित्व अब्दुल मजीद के नाम कर दिया गया था इसलिए इस संपत्ति के वैध मालिक अब्दुल मजीद हैं। उन्होंने बताया कि कैंटोनमेंट बोर्ड ने मकान पर अवैध निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था, जिसमें तीन दिनों के भीतर कार्रवाई करने को कहा गया। अधिवक्ता के अनुसार नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अतिक्रमण (encroachment) कितना है और किस हिस्से में है।
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पहले भी जारी हुए थे नोटिस

अजय बगड़िया ने कहा कि इसी तरह के नोटिस वर्ष 1996 और 1997 में भी जारी किए गए थे, लेकिन न तो कब्जा हटाया गया और न ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई की। ऐसे में केवल तीन दिनों की अवधि देना अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2025 के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी तोड़फोड़ या अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य है इसलिए तीन दिन की अवधि कानून का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने दी राहत
सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने फिलहाल याचिकाकर्ता को अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए 15 दिनों की अवधि दी। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि इस संपत्ति के खिलाफ कोई आदेश पारित किया जाता है, तो याचिकाकर्ता को इसे चुनौती देने के लिए अतिरिक्त 10 दिन का समय भी मिलेगा। अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह संपत्ति अब्दुल मजीद को उपहारस्वरूप (gift deed) दी गई थी और इसलिए वही इसके वैध मालिक हैं। हम्माद अहमद का अब मजीद से कोई संबंध नहीं है। मामले की अगली सुनवाई तय समय पर होगी और कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्रवाई जारी रहेगी।
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