MP News: अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, इंदौर में घर गिराने पर 15 दिन की रोक
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अल-फला यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के पैतृक मकान पर जारी तोड़फोड़ नोटिस के खिलाफ अब्दुल मजीद की याचिका पर सुनवाई की।
विस्तार
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में प्रस्तुत किया पक्ष
अब्दुल मजीद के अधिवक्ता अजय बगड़िया ने अदालत को बताया कि हम्माद सिद्दीकी अब जीवित नहीं हैं और उन्होंने इस मकान का स्वामित्व अब्दुल मजीद के नाम कर दिया गया था इसलिए इस संपत्ति के वैध मालिक अब्दुल मजीद हैं। उन्होंने बताया कि कैंटोनमेंट बोर्ड ने मकान पर अवैध निर्माण हटाने के लिए नोटिस जारी किया था, जिसमें तीन दिनों के भीतर कार्रवाई करने को कहा गया। अधिवक्ता के अनुसार नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अतिक्रमण (encroachment) कितना है और किस हिस्से में है।
#WATCH | Indore, Madhya Pradesh | High Court hears petition filed against the notice to demolish the ancestral house of Hammad Ahmed, father of Jawad Ahmed Siddiqui, founder of Al-Falah University & chairman of Al-Falah Group.
Resident of the house and petitioner Abdul Majeed’s… pic.twitter.com/ZICp1pq2h2 — ANI (@ANI) November 21, 2025
पहले भी जारी हुए थे नोटिस
अजय बगड़िया ने कहा कि इसी तरह के नोटिस वर्ष 1996 और 1997 में भी जारी किए गए थे, लेकिन न तो कब्जा हटाया गया और न ही प्रशासन ने कोई कार्रवाई की। ऐसे में केवल तीन दिनों की अवधि देना अनुचित है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2025 के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी तोड़फोड़ या अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई से पहले कम से कम 15 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य है इसलिए तीन दिन की अवधि कानून का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने दी राहत
सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने फिलहाल याचिकाकर्ता को अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए 15 दिनों की अवधि दी। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि इस संपत्ति के खिलाफ कोई आदेश पारित किया जाता है, तो याचिकाकर्ता को इसे चुनौती देने के लिए अतिरिक्त 10 दिन का समय भी मिलेगा। अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह संपत्ति अब्दुल मजीद को उपहारस्वरूप (gift deed) दी गई थी और इसलिए वही इसके वैध मालिक हैं। हम्माद अहमद का अब मजीद से कोई संबंध नहीं है। मामले की अगली सुनवाई तय समय पर होगी और कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार कार्रवाई जारी रहेगी।