चर्चाओं में लालू का परिवार: एक सियासी कुनबा यूपी का भी...जो राजनीतिक तौर पर उससे भी बड़ा; 25 लोग पॉलिटिक्स में
बिहार में चुनाव परिणामों के बीच लालू यादव परिवार में रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव के विवाद ने हलचल बढ़ाई। इसी तरह यूपी के यादव परिवार में भी पहले विरासत को लेकर संघर्ष हुआ था। हालांकि अब सब ठीक ठाक चल रहा है।
विस्तार
बिहार इन दिनों दो वजहों से चर्चाओं में है। पहली वजह चुनाव परिणाम और दूसरी वजह लालू परिवार का आपसी झगड़ा। बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजद प्रमुख तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया कि पार्टी में सवाल उठाने पर चप्पल से पीटने की बात होती है।
लालू यादव परिवार में दूसरे नंबर की बेटी रोहिणी आचार्य ने पहले कहा कि उन्होंने परिवार छोड़ दिया। पार्टी छोड़ दी। फिर पटना से निकलते समय कहा कि मुझे परिवार से निकाल दिया। तेजस्वी यादव के दो करीबियों का नाम लेकर कहा कि उनके बारे में बोलने पर चप्पल उठाई जाती है।
यूपी में भी लालू यादव के जैसा ही एक राजनीति परिवार है। दोनों में समानता यह है कि इन्होंने जनता दल से निकलकर अपने-अपने राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां बना लीं। दोनों सजातीय हैं और दोनों एक दूसरे के रिश्तेदार भी।
लालू यादव की तरह मुलायम सिंह यादव के परिवार में भी विरासत का झगड़ा कभी बहुत व्यापाक स्वरूप में पहुंचा। इतना बड़ा कि मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल दिया।
बाद में अखिलेश के चाचा शिवपाल ने अलग पार्टी बनाई। अपेक्षित परिणाम न मिलने पर उन्होंने फिर सपा में वापसी की और 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलकर भाजपा से मुकाबला किया।
मुलायम के परिवार के 25 से ज्यादा लोग राजनीति में
यूपी में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कुनबा सबसे बड़ा है। परिवार में 25 बड़े चेहरे हैं। आइए आपको बताते हैं कि मुलायम के परिवार में कौन-कौन हैं?
शुरुआत मुलायम सिंह यादव के बाबा से करते हैं। उनका नाम मेवाराम था। मेवाराम के दो बेटे थे। सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह। सुघर सिंह के पांच बेटे हुए। इनमें मुलायम सिंह यादव, रतन सिंह, राजपाल सिंह यादव, अभय राम सिंह और शिवपाल सिंह यादव। भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर और शिवपाल सिंह सबसे छोटे हैं।
पांच भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर पर थे
मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर 1939 में सुघर सिंह और मां मारूति देवी के घर पर हुआ। पांच भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर पर थे। नत्थू सिंह के संपर्क में आने के बाद मुलायम राजनीति में सक्रिय हो गए।उन्होंने 1967 चुनाव में मुलायम सिंह के नाम की सिफारिश डॉ. राममनोहर लोहिया से कर दी। मुलायम के लिए वह अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हो गए। मुलायम इस सीट पर नौ बार विधायक बने। बाद में अपने छोटे भाई शिवपाल के लिए उन्होंने यह विधानसभा सीट छोड़ दी।
कांशीराम की सलाह पर मुलायम ने बनाई सपा
1991 में लोकसभा चुनाव जीत कर कांशीराम इटावा से सांसद बने। यहीं से कांशीराम और मुलायम सिंह की दोस्ती हुई। कांशीराम ने मुलायम को अपनी पार्टी बनाने की सलाह दी। इसके बाद मुलायम ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया।
1993 में विधानसभा चुनाव हुए तो मुलायम और कांशीराम ने गठबंधन कर लिया। मुलायम-कांशीराम की जुगलबंदी ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बसपा और सपा ने गठबंधन में सरकार बना ली। मुलायम सिंह यादव सीएम की कुर्सी पर बैठ गए।
15 मार्च 2012 को अखिलेश बने सीएम
अखिलेश यादव 15 मार्च 2012 को यूपी के सीएम बने गए। यही नहीं सपा के व्यवहार के विपरीत उन्होंने अपराधियों को टिकट न देने का बयान भी दे डाला, जिससे समाजवादी पार्टी एक बार फिर बहुमत के साथ सत्ता में लौटी।
2019 लोकसभा चुनाव में शिवपाल ने दी सपा को चुनौती
अखिलेश यादव से दूरी के बाद शिवपाल ने 2019 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के झंडे तले अपने 47 कैंडिडेट लोकसभा चुनाव में उतार दिए। खुद फिरोजाबाद से चुनाव लड़े और रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के वोट काट दिए।, जिससे चाचा-भतीजे की लड़ाई में भाजपा का कैंडिडेट जीत गया। इस चुनाव में सपा ने बसपा से हाथ मिलाया था, बसपा तो दस सीट जीत गई, लेकिन सपा पांच सीट पर ही सिमट गई।
अब जानिए सपा के पारिवारिक सदस्यों को
1. अभय राम यादव : मुलायम के पांच भाइयों में अभयराम सबसे बड़े थे। धर्मेंद्र यादव उनके बेटे हैं। धर्मेंद्र तीन बार सांसद रह चुके हैं। सबसे पहले 2004 में मैनपुरी से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद 2009 और फिर 2014 में बदायूं से जीत हासिल की। 2019 लोकसभा चुनाव में वह हार गए। हाल, ही में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी धर्मेंद्र सपा उम्मीदवार थे। हालांकि, उन्हें फिर से हार का सामना करना पड़ा।
3. मुलायम सिंह यादव : लोहिया आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह ने मालती देवी से पहली शादी की थी। अखिलेश यादव मुलायम और मालती देवी के ही बेटे हैं।
मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से हुई। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 डिंपल यादव से शादी की, जबकि प्रतीक की शादी अपर्णा यादव से हुई है। अखिलेश मौजूदा समय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। डिंपल भी सांसद रह चुकी हैं। 2019 चुनाव वह कन्नौज से हार गईं थीं। अखिलेश ने ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई की है।
प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहते हैं। वह जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर राजनीति में कदम रख चुकी हैं। अपर्णा ने 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
2005 में प्रेमलता ने राजनीति में कदम रखा था। प्रेमलता ही मुलायम सिंह यादव परिवार की पहली महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव की पत्नी सरला यादव, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में कदम रखा।
5. शिवपाल सिंह यादव : मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव हैं। कहा जाता है कि राजनीति में मुलायम सिंह यादव की अगर किसी ने सबसे ज्यादा मदद की है तो वह शिवपाल सिंह यादव ने की हैं। सार्वजनिक मंच से खुद मुलायम इस बात का जिक्र कर चुके हैं।
मुलायम ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके छोटे भाई शिवपाल ने उनके लिए पोस्टर तक चिपकाया हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले जब मुलायम के बड़े बेटे अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच अनबन हुई तो शिवपाल ने अलग पार्टी बना ली। शिवपाल जसवंतनगर सीट से विधायक भी हैं। उनके बेटे आदित्य यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं। बाद में वह सपा में लौट आए।
6. प्रो. रामगोपाल यादव : मुलायम सिंह यादव के चाचा बच्चीलाल सिंह के बेटे प्रो. रामगोपाल यादव हैं। बच्चीलाल के दो बच्चे हैं। बेटा प्रो. रामगोपाल और बेटी गीता यादव। प्रो. रामगोपाल भी राजनीति में सक्रिय हैं। 2004 में उन्होंने मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। मौजूदा समय में वह राज्यसभा के सांसद हैं। प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। वह 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे। 2019 लोकसभा चुनाव में हार गए।
मुलायम परिवार के ये सदस्य भी हैं राजनीति में
सरला यादव : मुलायम के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव की पत्नी हैं। 2007 में सरला को जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था।संध्या यादव : मुलायम सिंह की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र सिंह यादव की बहन संध्या यादव भी राजनीति में किस्मत आजमा चुकी हैं। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर राजनीति में एंट्री की। उन्हें मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुना गया था।
शीला यादव : धर्मेंद्र सिंह यादव की दूसरी बहन शीला यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं। वह तीन बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। शीला के बेटे राहुल की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साले साधु यादव की बेटी डॉ. ईशा से हुई है।
हरिओम यादव : मुलायम सिंह यादव के समधी हैं। 2012 और 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। हरिओम के सगे भाई रामप्रकाश नेहरू की बेटी मृदुला से रणवीर सिंह यादव की शादी हुई थी। रणवीर, मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह यादव के बेटे हैं। रणवीर और मृदुला के बेटे तेज प्रताप भी मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं। अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।