आखिरी सलाम: बलिदानी जवान प्रदीप की अंतिम विदाई, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दी श्रद्धांजलि, ऑपरेशन जारी
अनंतनाग मुठभेड़ में बलिदान हुए प्रदीप सिंह की अंतिम विदाई के मौके पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उत्तरी सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी व सेना के अन्य अधिकारियों ने भी प्रदीप सिंह की वीरता को सलाम करते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
विस्तार
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में बीते बुधवार से जारी ऑपरेशन आज सातवें दिन में प्रवेश कर गया। अनंतनाग के कोकरनाग के गडूल के घने जंगल और पहाड़ी इलाके में मुठभेड़ खत्म हो गई। हालांकि तलाशी अभियान जारी है। इससे पहले सोमवार को मुठभेड़ स्थल से दो शव बरामद हुए थे, जिनमें एक शव लापता जवान प्रदीप सिंह का है, जो आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
मंगलवार को बलिदानी प्रदीप सिंह की अंतिम विदाई का आयोजन किया गया। इस दौरान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रदीप सिंह को श्रद्धांजलि दी। वहीं, उत्तरी सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी व सेना के अन्य अधिकारियों ने भी प्रदीप सिंह की वीरता को सलाम करते हुए उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उत्तरी सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना बलिदानी प्रदीप के शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है।
प्रदीप सिंह कौन थे
27 वर्षीय सिपाही प्रदीप सिंह 13 सितंबर से लापता थे। 18 सितंबर की शाम करीब पांच बजे उनका पार्थिव शरीर मिला। वह कोकरनाग के गडूल के जंगलों में जारी ऑपरेशन का हिस्सा थे।
अधिकारियों के अनुसार, दो से तीन आतंकी अनंतनाग जिले के पहाड़ी इलाके गडूल के जंगल में सुरक्षा बलों के चंगुल में घिरे हुए हैं। घने जंगल और कठिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण उनकी तलाश में थोड़ी दिक्कतें आईं। आतंकियों की तलाश में पैरा कमांडो के साथ एक हजार जवान, ड्रोन और हेलिकॉप्टर लगाए गए। इलाके के सभी रास्ते सील रहे। किसी भी आतंकी के वहां से भाग निकलने की संभावना न के बराबर थी।
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कश्मीर घाटी में 81 सक्रिय आतंकी
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कश्मीर घाटी में अभी 81 सक्रिय आतंकी हैं। इनमें 48 पाकिस्तानी और 33 स्थानीय हैं दक्षिण कश्मीर में कुल 56 सक्रिय आतंकी हैं जिन में 28 पाकिस्तानी हैं। उत्तरी कश्मीर में 16 आतंकी सक्रिय हैं जिनमें से 13 विदेशी हैं। वहीं मध्य कश्मीर में कुल 9 आतंकी सक्रिय हैं जिनमें से 7 विदेशी हैं।
गडूल ऑपरेशन कब शुरू हुआ
सुरक्षाबलों को 12 सितंबर मंगलवार शाम कोकरनाग के गडूल जंगलों में आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली। पुलिस, सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन आतंकियों का पता नहीं चल सका। रात होने पर ऑपरेशन रोक दिया गया।
बुधवार सुबह एक बार फिर ऑपरेशन शुरू हुआ। सूचना मिली कि आतंकवादी एक पहाड़ी की चोटी पर हैं। सुरक्षाबल आगे बढ़े। चोटी पर पहुंचने के लिए बलों को जो रास्ता अपनाना पड़ा, वो काफी चुनौतीपूर्ण था। जैसे ही सुरक्षाबल गुफा के पास पहुंचे तो वहां छिपे आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। संकरे रास्ते पर फंसे होने के कारण कर्मियों के पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी, जिसके चलते दो सेना के अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी घायल हो गए।
घायल अधिकारियों मुठभेड़ स्थल से बाहर निकालना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा। अन्य कर्मियों और हेलीकॉप्टर दोनों द्वारा उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। शुरुआती गोलीबारी के दौरान 19 आरआर के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और पूर्व डीआईजी कश्मीर गुलाम मोहम्मद भट के बेटे डीएसपी हुमायूं भट वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, एक जवान प्रदीप सिंह लापता हो गए, जिनका पार्थिव शरीर 18 सितंबर की शाम को मिला।
ऑपरेशन के दौरान दो आतंकियों के शव बरामद हुए। इनमें से एक शव आतंकवादी उजैर खान का है। ये घाटी में आतंकवाद के विरोध में चले लंबे ऑपरेशन की सूची में शामिल हो गया है। घने जंगल और सीधे पहाड़ में बनी प्राकृतिक गुफाओं ने ऑपरेशन को लंबा खींचे जाने में मदद की। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों की तरफ से ड्रोन व अन्य आधुनिक हथियार और उपकरण भी प्रयोग में ला गए।