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Jammu News: पेंशन पर रोक का आदेश रद्द, पत्नी व नाबालिग बेटे को मिलेगा अधिकार
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जिला अदालत ने बीएसएफ जवान की पत्निी के हक में सुनाया फैसला
संवाद न्यूज एजेंसी
सांबा। अपर जिला न्यायाधीश सांबा अरविंद शर्मा ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बीएसएफ जवान साहिल शर्मा (मृतक) की पत्नी प्रियंका शर्मा को पेंशन और अन्य सेवा लाभों से वंचित करने संबंधी निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि बिना किसी आपराधिक दोषसिद्धि के किसी को दोषी मानते हुए उसके सांविधानिक और वैधानिक अधिकार छीने नहीं जा सकते। यह आदेश अतिरिक्त मुंसिफ सांबा की ओर से 28 जुलाई, 2025 को पारित उस फैसले के खिलाफ दिया गया है जिसमें 25 नवंबर 2023 के अंतरिम आदेश को स्थायी बनाते हुए पत्नी को पेंशन लाभों से रोक दिया गया था।
मामले के अनुसार, साहिल शर्मा बीएसएफ में कांस्टेबल थे। उनका विवाह 31 जनवरी 2023 को प्रियंका शर्मा से हुआ था। दोनों का एक बेटा भी है। 11 नवंबर 2023 को साहिल शर्मा का निधन हो गया। मृतक की माता नीलम देवी ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि बहू प्रियंका शर्मा और उसके परिवार की भूमिका संदिग्ध है। उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला (धारा 306 आईपीसी) दर्ज है। इसी आधार पर उन्होंने पेंशन और सेवा लाभों पर रोक लगाने की मांग की थी। अपीलकर्ता प्रियंका शर्मा की ओर से दलील दी गई कि वह मृतक की पत्नी है और उनका नाबालिग बेटा भी है। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार, पत्नी और बच्चों की मौजूदगी में माता को पारिवारिक पेंशन का अधिकार नहीं है। अपर जिला न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि केवल एफआईआर दर्ज होना दोष सिद्ध नहीं करता। अदालत ने यह भी कहा कि पत्नी और नाबालिग बेटे को पेंशन से वंचित करना अपूरणीय क्षति होगी जिसकी भरपाई बाद में संभव नहीं है। अदालत ने यह संतुलन बनाते हुए आदेश दिया कि यदि भविष्य में किसी सक्षम अदालत द्वारा प्रियंका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया जाता है तो वह प्राप्त पेंशन और अन्य लाभों में से अपना हिस्सा मृतक की माता को लौटाने के लिए बाध्य होंगी। इसके लिए उन्हें एक माह के भीतर लिखित अंडरटेकिंग देने का निर्देश दिया गया है।
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संवाद न्यूज एजेंसी
सांबा। अपर जिला न्यायाधीश सांबा अरविंद शर्मा ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बीएसएफ जवान साहिल शर्मा (मृतक) की पत्नी प्रियंका शर्मा को पेंशन और अन्य सेवा लाभों से वंचित करने संबंधी निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि बिना किसी आपराधिक दोषसिद्धि के किसी को दोषी मानते हुए उसके सांविधानिक और वैधानिक अधिकार छीने नहीं जा सकते। यह आदेश अतिरिक्त मुंसिफ सांबा की ओर से 28 जुलाई, 2025 को पारित उस फैसले के खिलाफ दिया गया है जिसमें 25 नवंबर 2023 के अंतरिम आदेश को स्थायी बनाते हुए पत्नी को पेंशन लाभों से रोक दिया गया था।
मामले के अनुसार, साहिल शर्मा बीएसएफ में कांस्टेबल थे। उनका विवाह 31 जनवरी 2023 को प्रियंका शर्मा से हुआ था। दोनों का एक बेटा भी है। 11 नवंबर 2023 को साहिल शर्मा का निधन हो गया। मृतक की माता नीलम देवी ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि बहू प्रियंका शर्मा और उसके परिवार की भूमिका संदिग्ध है। उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला (धारा 306 आईपीसी) दर्ज है। इसी आधार पर उन्होंने पेंशन और सेवा लाभों पर रोक लगाने की मांग की थी। अपीलकर्ता प्रियंका शर्मा की ओर से दलील दी गई कि वह मृतक की पत्नी है और उनका नाबालिग बेटा भी है। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के अनुसार, पत्नी और बच्चों की मौजूदगी में माता को पारिवारिक पेंशन का अधिकार नहीं है। अपर जिला न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि केवल एफआईआर दर्ज होना दोष सिद्ध नहीं करता। अदालत ने यह भी कहा कि पत्नी और नाबालिग बेटे को पेंशन से वंचित करना अपूरणीय क्षति होगी जिसकी भरपाई बाद में संभव नहीं है। अदालत ने यह संतुलन बनाते हुए आदेश दिया कि यदि भविष्य में किसी सक्षम अदालत द्वारा प्रियंका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया जाता है तो वह प्राप्त पेंशन और अन्य लाभों में से अपना हिस्सा मृतक की माता को लौटाने के लिए बाध्य होंगी। इसके लिए उन्हें एक माह के भीतर लिखित अंडरटेकिंग देने का निर्देश दिया गया है।
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