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Jammu News: भर्ती परीक्षा केंद्र के पास किराये पर दिए कमरे का नहीं हुआ था पुलिस सत्यापन
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इसी कमरे से स्कूल में बने दिल्ली पुलिस परीक्षा केंद्र के सर्वर तक बिछा दिया गया था केबल
सवाल : बिना मिलीभगत के परीक्षा केंद्र में कैसे जोड़ दिया गया ऑफसाइट सर्वर
विशाल जसरोटिया (संवाद)
सांबा। घगवाल में कैलवरी मिशन स्कूल में दिल्ली पुलिस भर्ती के परीक्षा केंद्र के सर्वर सेंध की साजिश के पीछे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस कमरे से परीक्षा केंद्र के सर्वर तक पहुंचने की कोशिश की गई उसके किरायेदार का पुलिस में सत्यापन भी नहीं कराया गया। किसी भी परीक्षा केंद्र के सर्वर से ऑफसाइट सर्वर बिना अनुमति के नहीं जोड़ा जा सकता। ऐसे में यहां किसी मिलीभगत से सर्वर में सेंध लगाने की साजिश रची गई। कहीं इसमें अंतरराज्यीय गिरोह तो सक्रिय नहीं था।
जिस कमरे से परीक्षा केंद्र तक केबल बिछाया गया था वह सड़क के दूसरी ओर है। इस मामले में घगवाल पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। एफआईआर में किसी का नाम भी नहीं है। जब्त सामग्री आईटी सेल में जांच के लिए भेजी गई है। एफएसएल टीम भी पड़ताल कर रही है। पुलिस का कोई भी अधिकारी इस मामले में खुलकर नहीं बोल रहा है।
सूत्रों के अनुसार एफएसएल और साइबर टीमें बरामद लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, राउटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का डिजिटल फॉरेंसिक ऑडिट करेंगी ताकि डेटा, सर्वर एक्सेस और रिमोट कंट्रोल के साक्ष्य जुटाए जा सकें। विशेष साइबर विशेषज्ञों की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि परीक्षा प्रणाली में किस स्तर तक सेंध लगाई गई और कौन-कौन से सिक्योरिटी लेयर फेल हुए।
बरामद उपकरणों से मिले आईपी एड्रेस, लॉग फाइल्स और टाइमस्टैंप के आधार पर पूरे घटनाक्रम की तकनीकी टाइमलाइन पर काम किया जा सकता है। यह भी जांच का हिस्सा है कि क्या किसी अंदरूनी तकनीकी मदद के बिना इतनी बड़ी सेंध संभव थी।
हैरानी की बात यह है कि यह पूरी गतिविधि कई दिनों तक चलती रही लेकिन स्थानीय पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में बिना किसी ठोस निगरानी के सर्वर, लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम का संचालित होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।
यह मॉडल बेहद खतरनाक
क्षेत्र के सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट राकेश सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा का सर्वर यदि ऑफ-साइट लोकेशन से जुड़ा हुआ है तो ये अपने आप में बड़ी चूक है। इसमें परीक्षा केंद्र संचालन कंपनी की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। किराये के कमरे से नेटवर्क एक्सेस मिलना बताता है कि न तो नेटवर्क आइसोलेशन सही था और न ही रियल-टाइम मॉनिटरिंग थी।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर है स्कूल
जिस स्कूल में परीक्षा केंद्र के सर्वर को हैक करने की कोशिश की गई वह अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरीके का इस्तेमाल देशविरोधी तत्व या आतंकी नेटवर्क करते तो नतीजे कहीं ज्यादा भयावह हो सकते थे। यह मामला बताता है कि सीमा क्षेत्रों के साथ सटे कस्बों में साइबर गतिविधियों की निगरानी व्यवस्था बेहद कमजोर है।
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ये सुरक्षा तंत्र की बड़ी कमजोरी है : रिटायर्ड कर्नल
रिटायर्ड कर्नल सुनील संब्याल का कहना है कि सीमा से सटे इलाके में किसी भी तरह की असामान्य तकनीकी गतिविधि को बेहद गंभीरता से देखा जाता है। अगर किराये के कमरे से सर्वर, कंप्यूटर और केबलिंग की जा सकती है और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती तो ये सुरक्षा तंत्र की बड़ी कमजोरी है। आज मामला परीक्षा से जुड़ा है लेकिन कल इसी ढांचे का इस्तेमाल सुरक्षा, संचार, प्रशासनिक नेटवर्क या संवेदनशील डाटा तक पहुंचने के लिए किया जा सकता था। इसकी जांच अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आज के समय में युद्ध का स्वरूप बदल चुका है। सिर्फ बंदूक और गोला-बारूद नहीं बल्कि साइबर नेटवर्क भी हथियार बन चुके हैं। सीमा के पास अगर डिजिटल गतिविधियों पर मल्टी-लेयर निगरानी नहीं होगी तो ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
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सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, सिस्टम की जांच भी जरूरी
सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इस मामले में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा। सीमावर्ती क्षेत्र में डिजिटल गतिविधियों की निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए केंद्रीयकृत सुरक्षित सर्वर नीति बने। किराये के मकानों, खासकर बॉर्डर बेल्ट में टेक्निकल उपकरणों की सख्त जांच अनिवार्य हो।
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सवाल : बिना मिलीभगत के परीक्षा केंद्र में कैसे जोड़ दिया गया ऑफसाइट सर्वर
विशाल जसरोटिया (संवाद)
सांबा। घगवाल में कैलवरी मिशन स्कूल में दिल्ली पुलिस भर्ती के परीक्षा केंद्र के सर्वर सेंध की साजिश के पीछे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस कमरे से परीक्षा केंद्र के सर्वर तक पहुंचने की कोशिश की गई उसके किरायेदार का पुलिस में सत्यापन भी नहीं कराया गया। किसी भी परीक्षा केंद्र के सर्वर से ऑफसाइट सर्वर बिना अनुमति के नहीं जोड़ा जा सकता। ऐसे में यहां किसी मिलीभगत से सर्वर में सेंध लगाने की साजिश रची गई। कहीं इसमें अंतरराज्यीय गिरोह तो सक्रिय नहीं था।
जिस कमरे से परीक्षा केंद्र तक केबल बिछाया गया था वह सड़क के दूसरी ओर है। इस मामले में घगवाल पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज है। अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। एफआईआर में किसी का नाम भी नहीं है। जब्त सामग्री आईटी सेल में जांच के लिए भेजी गई है। एफएसएल टीम भी पड़ताल कर रही है। पुलिस का कोई भी अधिकारी इस मामले में खुलकर नहीं बोल रहा है।
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सूत्रों के अनुसार एफएसएल और साइबर टीमें बरामद लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, राउटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का डिजिटल फॉरेंसिक ऑडिट करेंगी ताकि डेटा, सर्वर एक्सेस और रिमोट कंट्रोल के साक्ष्य जुटाए जा सकें। विशेष साइबर विशेषज्ञों की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि परीक्षा प्रणाली में किस स्तर तक सेंध लगाई गई और कौन-कौन से सिक्योरिटी लेयर फेल हुए।
बरामद उपकरणों से मिले आईपी एड्रेस, लॉग फाइल्स और टाइमस्टैंप के आधार पर पूरे घटनाक्रम की तकनीकी टाइमलाइन पर काम किया जा सकता है। यह भी जांच का हिस्सा है कि क्या किसी अंदरूनी तकनीकी मदद के बिना इतनी बड़ी सेंध संभव थी।
हैरानी की बात यह है कि यह पूरी गतिविधि कई दिनों तक चलती रही लेकिन स्थानीय पुलिस, खुफिया एजेंसियों और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में बिना किसी ठोस निगरानी के सर्वर, लैपटॉप और कंप्यूटर सिस्टम का संचालित होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।
यह मॉडल बेहद खतरनाक
क्षेत्र के सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट राकेश सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन परीक्षा का सर्वर यदि ऑफ-साइट लोकेशन से जुड़ा हुआ है तो ये अपने आप में बड़ी चूक है। इसमें परीक्षा केंद्र संचालन कंपनी की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। किराये के कमरे से नेटवर्क एक्सेस मिलना बताता है कि न तो नेटवर्क आइसोलेशन सही था और न ही रियल-टाइम मॉनिटरिंग थी।
अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर है स्कूल
जिस स्कूल में परीक्षा केंद्र के सर्वर को हैक करने की कोशिश की गई वह अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इसी तरीके का इस्तेमाल देशविरोधी तत्व या आतंकी नेटवर्क करते तो नतीजे कहीं ज्यादा भयावह हो सकते थे। यह मामला बताता है कि सीमा क्षेत्रों के साथ सटे कस्बों में साइबर गतिविधियों की निगरानी व्यवस्था बेहद कमजोर है।
ये सुरक्षा तंत्र की बड़ी कमजोरी है : रिटायर्ड कर्नल
रिटायर्ड कर्नल सुनील संब्याल का कहना है कि सीमा से सटे इलाके में किसी भी तरह की असामान्य तकनीकी गतिविधि को बेहद गंभीरता से देखा जाता है। अगर किराये के कमरे से सर्वर, कंप्यूटर और केबलिंग की जा सकती है और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती तो ये सुरक्षा तंत्र की बड़ी कमजोरी है। आज मामला परीक्षा से जुड़ा है लेकिन कल इसी ढांचे का इस्तेमाल सुरक्षा, संचार, प्रशासनिक नेटवर्क या संवेदनशील डाटा तक पहुंचने के लिए किया जा सकता था। इसकी जांच अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आज के समय में युद्ध का स्वरूप बदल चुका है। सिर्फ बंदूक और गोला-बारूद नहीं बल्कि साइबर नेटवर्क भी हथियार बन चुके हैं। सीमा के पास अगर डिजिटल गतिविधियों पर मल्टी-लेयर निगरानी नहीं होगी तो ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, सिस्टम की जांच भी जरूरी
सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि इस मामले में कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा। सीमावर्ती क्षेत्र में डिजिटल गतिविधियों की निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए केंद्रीयकृत सुरक्षित सर्वर नीति बने। किराये के मकानों, खासकर बॉर्डर बेल्ट में टेक्निकल उपकरणों की सख्त जांच अनिवार्य हो।