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बलिदानी की वीरांगना का छलका दर्द: कहा- छह साल से सदमे में मेरे बच्चे, मसूद हो या कोई और उसे जान से मार दें

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: आकाश दुबे Updated Fri, 14 Feb 2025 01:26 PM IST
सार

पुलवामा हमले में बलिदान सीआरपीएफ कर्मी नासिर अहमद की पत्नी वीरांगना शाजिया कौसर कहती हैं कि मैंने बहुत कोशिश की कि पति की कमी को पूरी कर सकूं। बावजूद इसके बच्चे पिता की कमी महसूस करते हैं।

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On anniversary of Pulwama attack martyr s wife said my children have been in shock for six years
पुलवामा बरसी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आज बलिदानी नासिर की बरसी है। ये दिन बहुत तकलीफ देता है। तकलीफ कम हो जाती, यदि मेरे बच्चे भी शौहर की तरह बन पाते। लेकिन छह साल से वे तनाव में हैं। पिता की कमी को भुला नहीं पा रहे। बेटी तो किसी तरह से 9वीं कक्षा में पहुंच गई है, लेकिन छोटा बेटा अक्सर बीमार रहता है। पिता की मौत का सदमा सबसे ज्यादा बेटे को लगा है। इसकी तरफ देखकर बेटी भी मायूस हो जाती है। मैं तो यही कहूंगी कि मेरे बच्चों के इस हाल के पीछे मसूद हो या कोई और उसे जान से मार देना चाहिए।

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पुलवामा हमले में बलिदान सीआरपीएफ कर्मी नासिर अहमद की पत्नी वीरांगना शाजिया कौसर कहती हैं कि मैंने बहुत कोशिश की कि पति की कमी को पूरी कर सकूं। बावजूद इसके बच्चे पिता की कमी महसूस करते हैं। वे पिता के जाने के पहले दिन से ही लेकर अब तक सदमे में हैं। बेटा तो तनाव में ही रहता है। बेटी भी किसी तरह से आगे बढ़ी है। जब भी ये दिन आता है तो बच्चे और अधिक गमगीन हो जाते हैं। कुछ लोग आते हैं हर बरसी पर सांत्वना देने के लिए। इसे देखकर बच्चे और अधिक मायूस हो जाते हैं।

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पति की शहादत पर गर्व
शाजिया का कहना है कि पति के जाने का गम है। गर्व भी। मैं तो चाहती थी कि बच्चे बढ़े होकर पिता की तरह देश सेवा करें। इसके लिए प्रयास भी कर रही हूं। क्योंकि पति अकसर कहते थे कि बच्चों को ऐसी शिक्षा देना कि उनके अंदर देशभक्ति की जज्बा होना चाहिए। बता दें कि नासिर अहमद मूल रूप से राजोरी के रहने वाले थे। इस समय नासिर की पत्नी शाजिया जम्मू के बठिंडी में रहती है। नासिर हमले में बलिदान होने वाले एक मात्र जम्मू कश्मीर के रहने वाले थे।

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